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आजादी की 75वीं वर्षगांठ : आसान नहीं है राष्ट्रीय ध्वज बनाना, इस खास टेक्निक का होता है इस्तेमाल

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश के कोने-कोने में 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम मनाया जा रहा है. इस स्वर्णिम अवसर पर आइए जानते हैं, राष्ट्रीय ध्वज को बनाने के तरीके...

खास कारीगर बनाते हैं राष्ट्रीय ध्वज
खास कारीगर बनाते हैं राष्ट्रीय ध्वज
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Published : Aug 10, 2022, 4:34 PM IST

Updated : Aug 10, 2022, 6:32 PM IST

बाराबंकी : यूं तो हमारे देश की आन, बान और शान का प्रतीक तिरंगा आम बाजारों में मिल जाएगा. लेकिन खादी (Khadi) के बने तिरंगे की अपनी एक अलग ही पहचान है. खादी के कपड़े से राष्ट्रीय ध्वज तैयार करना अपने आप में एक खास कला है. ईटीवी भारत की टीम राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) को बनाने की प्रक्रिया से रूबरू करा रही है.

भारतीय ध्वज संहिता के नियमों के मुताबिक, मुताबिक भले ही पॉलिस्टर से बने झंडों को फहराने की मान्यता मिल गई हो, लेकिन खादी से तैयार होने वाले राष्ट्रीय ध्वज का एक अलग ही क्रेज है. इसे तैयार करने में खास प्रक्रिया अपनाई जाती है. खादी का तिरंगा बनाते समय सबसे पहले कोरी खादी की धुलाई की जाती है फिर इस खादी को केसरिया (Saffron Colour) और हरे (Green Colour) रंग में रंगा जाता है. रंगे हुए कपड़ों को सुखाने के बाद निश्चित साइजों में अलग-अलग पट्टियां काटी जाती हैं.

खादी का राष्ट्रीय ध्वज बनाने की प्रक्रिया

सफेद पट्टी पर नीले रंग के चक्र की स्क्रीन प्रिंटिंग (Screen Printing) से छपाई की जाती है. चक्र की छपाई मुख्य काम है, दोनों तरफ एक ही स्थान पर चक्र (Wheel) होना चाहिए इसके लिए विशेष सावधानी बरती जाती है. उसके बाद इन पट्टियों को प्रेस करके तीनो पट्टियों की सिलाई की जाती है. इस तरह हमारा राष्ट्रीय ध्वज तैयार होता है. भारत के राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना पिंगली वेंकैया ने की थी. राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था.

राष्ट्रीय ध्वज बनाता कारीगर
राष्ट्रीय ध्वज बनाता कारीगर

क्या राष्ट्रीय ध्वज का उपयुक्त आकार ?
भारत के ध्वज संहिता के पैराग्राफ 1.3 और 1.4 के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज आकार में आयताकार होगा. झंडा किसी भी आकार का हो सकता है, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 होगा. भारतीय ध्वज तीन अलग-अलग रंगों की एक समान चौड़ाई की पट्टियों से मिलकर बनता है. सबसे ऊपर वाली पट्टी केसरिया रंग की और सबसे नीचे वाली पट्टी हरे रंग की होती है. बीच मे सफेद पट्टी में एक चक्र होता है. हमारा राष्ट्रीय ध्वज अपने आप मे कई अर्थ समेटे हुए है. तिरंगे में उपयुक्त तीनों रंगों और अशोक चक्र का अलग-अलग संदेश प्रदर्शित होता है.

राष्ट्रीय ध्वज पर अशोक चक्र की छपाई करता कारीगर
राष्ट्रीय ध्वज पर अशोक चक्र की छपाई करता कारीगर

ये हैं तिरंगा बनाने के स्टैंडर्ड :
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) ने झंडे बनाने के मानक तैयार किए हैं. तिरंगे के लिए 9 स्टैंडर्ड साइज तय किए गए हैं. सबसे बड़ा झंडा 21 फिट लंबा और 14 फिट चौड़ा होता है. यानी 630 सेमी लंबा और 420 सेमी चौड़ा होता है. यही नही राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला खादी का कपड़ा भी खास ढंग से तैयार किया जाता है. बीआईएस द्वारा जारी दिशा निर्देशों के मुताबिक प्रति वर्ग सेंटीमीटर में 150 धागे ही होने चाहिए.

तैयार राष्ट्रीय ध्वज को पैक करते कारीगर
तैयार राष्ट्रीय ध्वज को पैक करते कारीगर
ध्वज का प्रकार ध्वज का आकार (सेमी में)
115 ×10
222.5 ×15
345 ×30
490 ×60
5135 ×90
6180 ×120
7270 ×180
8360 ×240
9 630 ×420

इसे पढ़ें- हर-घर तिरंगा : अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जान लें ये महत्वपूर्ण नियम

बाराबंकी : यूं तो हमारे देश की आन, बान और शान का प्रतीक तिरंगा आम बाजारों में मिल जाएगा. लेकिन खादी (Khadi) के बने तिरंगे की अपनी एक अलग ही पहचान है. खादी के कपड़े से राष्ट्रीय ध्वज तैयार करना अपने आप में एक खास कला है. ईटीवी भारत की टीम राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) को बनाने की प्रक्रिया से रूबरू करा रही है.

भारतीय ध्वज संहिता के नियमों के मुताबिक, मुताबिक भले ही पॉलिस्टर से बने झंडों को फहराने की मान्यता मिल गई हो, लेकिन खादी से तैयार होने वाले राष्ट्रीय ध्वज का एक अलग ही क्रेज है. इसे तैयार करने में खास प्रक्रिया अपनाई जाती है. खादी का तिरंगा बनाते समय सबसे पहले कोरी खादी की धुलाई की जाती है फिर इस खादी को केसरिया (Saffron Colour) और हरे (Green Colour) रंग में रंगा जाता है. रंगे हुए कपड़ों को सुखाने के बाद निश्चित साइजों में अलग-अलग पट्टियां काटी जाती हैं.

खादी का राष्ट्रीय ध्वज बनाने की प्रक्रिया

सफेद पट्टी पर नीले रंग के चक्र की स्क्रीन प्रिंटिंग (Screen Printing) से छपाई की जाती है. चक्र की छपाई मुख्य काम है, दोनों तरफ एक ही स्थान पर चक्र (Wheel) होना चाहिए इसके लिए विशेष सावधानी बरती जाती है. उसके बाद इन पट्टियों को प्रेस करके तीनो पट्टियों की सिलाई की जाती है. इस तरह हमारा राष्ट्रीय ध्वज तैयार होता है. भारत के राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना पिंगली वेंकैया ने की थी. राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था.

राष्ट्रीय ध्वज बनाता कारीगर
राष्ट्रीय ध्वज बनाता कारीगर

क्या राष्ट्रीय ध्वज का उपयुक्त आकार ?
भारत के ध्वज संहिता के पैराग्राफ 1.3 और 1.4 के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज आकार में आयताकार होगा. झंडा किसी भी आकार का हो सकता है, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 होगा. भारतीय ध्वज तीन अलग-अलग रंगों की एक समान चौड़ाई की पट्टियों से मिलकर बनता है. सबसे ऊपर वाली पट्टी केसरिया रंग की और सबसे नीचे वाली पट्टी हरे रंग की होती है. बीच मे सफेद पट्टी में एक चक्र होता है. हमारा राष्ट्रीय ध्वज अपने आप मे कई अर्थ समेटे हुए है. तिरंगे में उपयुक्त तीनों रंगों और अशोक चक्र का अलग-अलग संदेश प्रदर्शित होता है.

राष्ट्रीय ध्वज पर अशोक चक्र की छपाई करता कारीगर
राष्ट्रीय ध्वज पर अशोक चक्र की छपाई करता कारीगर

ये हैं तिरंगा बनाने के स्टैंडर्ड :
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) ने झंडे बनाने के मानक तैयार किए हैं. तिरंगे के लिए 9 स्टैंडर्ड साइज तय किए गए हैं. सबसे बड़ा झंडा 21 फिट लंबा और 14 फिट चौड़ा होता है. यानी 630 सेमी लंबा और 420 सेमी चौड़ा होता है. यही नही राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला खादी का कपड़ा भी खास ढंग से तैयार किया जाता है. बीआईएस द्वारा जारी दिशा निर्देशों के मुताबिक प्रति वर्ग सेंटीमीटर में 150 धागे ही होने चाहिए.

तैयार राष्ट्रीय ध्वज को पैक करते कारीगर
तैयार राष्ट्रीय ध्वज को पैक करते कारीगर
ध्वज का प्रकार ध्वज का आकार (सेमी में)
115 ×10
222.5 ×15
345 ×30
490 ×60
5135 ×90
6180 ×120
7270 ×180
8360 ×240
9 630 ×420

इसे पढ़ें- हर-घर तिरंगा : अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जान लें ये महत्वपूर्ण नियम

Last Updated : Aug 10, 2022, 6:32 PM IST
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