बाराबंकी: कहते हैं कि मेहनत और सच्ची लगन हो तो तमाम मुश्किलों के बाद भी कामयाबी हासिल की जा सकती है. जिले की अंकिता ने यह साबित कर दिया है. गरीबी और ग्रामीण परिवेश के बावजूद अंकिता ने राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा पास कर ली.
बीते वर्ष तीन नवम्बर को नेशनल मीन्स-कम मेरिट स्कॉलरशिप स्कीम के लिए आयोजित हुई परीक्षा में जिले के तकरीबन डेढ़ हजार छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे. इसमें बेसिक शिक्षा परिषद स्कूलों के बच्चे भी शामिल हुए थे. इस परीक्षा में सिद्धौर ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोपवा की कक्षा 8 में पढ़ने वाली अंकिता ने यह परीक्षा पास कर मिसाल कायम कर दी है. जिले के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी परिषदीय स्कूल के छात्र या छात्रा ने इस परीक्षा को पास किया है.
अंकिता के पिता नंदकिशोर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. अपने परिवार के साथ गांव में झोपड़ी बना कर रहते हैं. मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार की गुजर बसर करते हैं. परिवार में अंकिता की मां, उसका छोटा भाई कक्षा 5 में पढ़ने वाला आशुतोष, उससे छोटी बहन कक्षा 3 में पढ़ने वाली आयुषी, छोटा भाई कक्षा एक में पढ़ने वाला अमरदीप है. सभी बच्चे गांव के ही परिषदीय स्कूल में पढ़ते हैं. इस गरीबी के चलते अंकिता ने हौसला नहीं खोया और उसने अपनी मेहनत से यह परीक्षा पासकर अपने आगे की पढ़ाई आसान कर ली.
अंकिता को उसकी कामयाबी की सूचना देने पहुंचे स्कूल के सहायक अध्यापक दिनेश वर्मा ने पिता नंदकिशोर और मां को बताया तो वे खुशी से फूले नहीं समाए. एक हजार रुपये हर महीने मिलने की जानकारी पर उन्होंने कहा कि उनकी बिटिया अब ठीक से बड़ी कक्षा तक पढ़ जाएगी.
चर्चा में आ गया स्कूल
हालांकि जिले से तीन बच्चे शिवांशु शुक्ला, तनु रावत और अंकिता का चयन इस स्कीम के तहत हुआ है. इसमें शिवांशु और तनु जीजीआईसी की हैं, जबकि अंकिता सिद्धौर ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोपवा में पढ़ती है. पहली बार परिषदीय स्कूल की छात्रा का चयन होने से स्कूल चर्चा में आ गया. यहां के सहायक अध्यापक दिनेश वर्मा ने बताया कि जब वह वर्ष 2015 में स्कूल में नियुक्त होकर स्कूल पहुंचे थे तो उस समय स्कूल में केवल 33 बच्चे थे, लेकिन उन्होंने और उनके सहयोगियों ने आज इसे मॉडल स्कूल बना दिया. आज स्कूल में 130 बच्चे हैं.
शिक्षक दिनेश वर्मा की मेहनत लाई रंग
स्कूल के सहायक अध्यापक दिनेश वर्मा बहुत ही क्रिएटिव हैं. नियुक्ति के बाद से ही इन्होंने स्कूल के कायाकल्प का फैसला कर लिया था और फिर वे लगातार नवाचार करते रहे. गाइड टीचर के रूप में यह बच्चों को लगातार तराशने में लगे हैं. इनकी मेहनत से 2017 में यहां की दो बालिकाओं ने कांग्रेस बाल विज्ञान प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर गुजरात में प्रतिभाग किया. वर्ष 2018 में इन्ही के निर्देशन में स्कूल की एक बच्ची ने मंडलीय विज्ञान संगोष्ठी में प्रथम स्थान हासिल किया.
कबड्डी में राज्य स्तर तक बच्चे पहुंचे. इसके अलावा खेल प्रतियोगिताओ में यहां के बच्चे लगातार कीर्तिमान बनाते आ रहे हैं. राष्ट्रीय छात्रवृत्ति के लिए दिनेश ने स्कूल के 9 बच्चों को फार्म भरवाया था और उनकी तैयारी कराई थी, जिसका नतीजा रहा कि अंकिता चयनित हुई.
क्या है राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना
मई 2008 में केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई राष्ट्रीय मीन्स-कम मेरिट स्कॉलरशिप स्कीम का मकसद है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्रों को आठवीं कक्षा में उनकी ड्रॉप आउट को प्रोत्साहित किया जाय. इसके तहत छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है. इसके लिए परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें मेरिट के आधार पर चयन किया जाता है. चयनित छात्र और छात्राओं को प्रति माह एक हजार रुपये दिए जाते हैं. कक्षा 9 से 12 तक लगातार यह छात्रवृत्ति दी जाती है.
बाराबंकी: गरीब की बेटी अंकिता ने राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा में मारी बाजी - राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की अंकिता ने कड़ी मेहनत और लगन से राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा पास कर ली है. इस परीक्षा को पास करने के बाद अब अंकिता को 12वीं कक्षा तक छात्रवृत्ति मिलेगी. परीक्षा में जिले के तकरीबन डेढ़ हजार छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे.
बाराबंकी: कहते हैं कि मेहनत और सच्ची लगन हो तो तमाम मुश्किलों के बाद भी कामयाबी हासिल की जा सकती है. जिले की अंकिता ने यह साबित कर दिया है. गरीबी और ग्रामीण परिवेश के बावजूद अंकिता ने राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा पास कर ली.
बीते वर्ष तीन नवम्बर को नेशनल मीन्स-कम मेरिट स्कॉलरशिप स्कीम के लिए आयोजित हुई परीक्षा में जिले के तकरीबन डेढ़ हजार छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे. इसमें बेसिक शिक्षा परिषद स्कूलों के बच्चे भी शामिल हुए थे. इस परीक्षा में सिद्धौर ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोपवा की कक्षा 8 में पढ़ने वाली अंकिता ने यह परीक्षा पास कर मिसाल कायम कर दी है. जिले के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी परिषदीय स्कूल के छात्र या छात्रा ने इस परीक्षा को पास किया है.
अंकिता के पिता नंदकिशोर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. अपने परिवार के साथ गांव में झोपड़ी बना कर रहते हैं. मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार की गुजर बसर करते हैं. परिवार में अंकिता की मां, उसका छोटा भाई कक्षा 5 में पढ़ने वाला आशुतोष, उससे छोटी बहन कक्षा 3 में पढ़ने वाली आयुषी, छोटा भाई कक्षा एक में पढ़ने वाला अमरदीप है. सभी बच्चे गांव के ही परिषदीय स्कूल में पढ़ते हैं. इस गरीबी के चलते अंकिता ने हौसला नहीं खोया और उसने अपनी मेहनत से यह परीक्षा पासकर अपने आगे की पढ़ाई आसान कर ली.
अंकिता को उसकी कामयाबी की सूचना देने पहुंचे स्कूल के सहायक अध्यापक दिनेश वर्मा ने पिता नंदकिशोर और मां को बताया तो वे खुशी से फूले नहीं समाए. एक हजार रुपये हर महीने मिलने की जानकारी पर उन्होंने कहा कि उनकी बिटिया अब ठीक से बड़ी कक्षा तक पढ़ जाएगी.
चर्चा में आ गया स्कूल
हालांकि जिले से तीन बच्चे शिवांशु शुक्ला, तनु रावत और अंकिता का चयन इस स्कीम के तहत हुआ है. इसमें शिवांशु और तनु जीजीआईसी की हैं, जबकि अंकिता सिद्धौर ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोपवा में पढ़ती है. पहली बार परिषदीय स्कूल की छात्रा का चयन होने से स्कूल चर्चा में आ गया. यहां के सहायक अध्यापक दिनेश वर्मा ने बताया कि जब वह वर्ष 2015 में स्कूल में नियुक्त होकर स्कूल पहुंचे थे तो उस समय स्कूल में केवल 33 बच्चे थे, लेकिन उन्होंने और उनके सहयोगियों ने आज इसे मॉडल स्कूल बना दिया. आज स्कूल में 130 बच्चे हैं.
शिक्षक दिनेश वर्मा की मेहनत लाई रंग
स्कूल के सहायक अध्यापक दिनेश वर्मा बहुत ही क्रिएटिव हैं. नियुक्ति के बाद से ही इन्होंने स्कूल के कायाकल्प का फैसला कर लिया था और फिर वे लगातार नवाचार करते रहे. गाइड टीचर के रूप में यह बच्चों को लगातार तराशने में लगे हैं. इनकी मेहनत से 2017 में यहां की दो बालिकाओं ने कांग्रेस बाल विज्ञान प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर गुजरात में प्रतिभाग किया. वर्ष 2018 में इन्ही के निर्देशन में स्कूल की एक बच्ची ने मंडलीय विज्ञान संगोष्ठी में प्रथम स्थान हासिल किया.
कबड्डी में राज्य स्तर तक बच्चे पहुंचे. इसके अलावा खेल प्रतियोगिताओ में यहां के बच्चे लगातार कीर्तिमान बनाते आ रहे हैं. राष्ट्रीय छात्रवृत्ति के लिए दिनेश ने स्कूल के 9 बच्चों को फार्म भरवाया था और उनकी तैयारी कराई थी, जिसका नतीजा रहा कि अंकिता चयनित हुई.
क्या है राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना
मई 2008 में केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई राष्ट्रीय मीन्स-कम मेरिट स्कॉलरशिप स्कीम का मकसद है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्रों को आठवीं कक्षा में उनकी ड्रॉप आउट को प्रोत्साहित किया जाय. इसके तहत छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है. इसके लिए परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें मेरिट के आधार पर चयन किया जाता है. चयनित छात्र और छात्राओं को प्रति माह एक हजार रुपये दिए जाते हैं. कक्षा 9 से 12 तक लगातार यह छात्रवृत्ति दी जाती है.