बाराबंकी: कोरोना संकट काल में एंबुलेंस कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं. इसके बावजूद भी कई एंबुलेंस कर्मचारियों का कंपनी ने न केवल वेतन काटा, बल्कि तमाम कर्मचारियों को नौकरी से भी निकाल दिया. कंपनी द्वारा लगातार किये जा रहे उत्पीड़न से दुखी एंबुलेंस कर्मचारियों ने मंगलवार से कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है. कर्मचारियों ने 102 एंबुलेंस की चलने वाली सभी 44 गाड़ियों का चक्का जाम कर दिया है. आक्रोशित कर्मचारियों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती गाड़ियां नहीं चलेंगी.
जिले में सरकारी एंबुलेंस 102 की 44 गाड़ियां और 108 की 36 गाड़ियां हैं. मंगलवार से 102 एंबुलेंस सेवा की सभी गाड़ियों का संचालन ठप कर इनके चालकों और टेक्नीशियन ने कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है. दरअसल इनका आरोप है कि उनकी कार्यप्रदाता कंपनी जीवीके ईएमआरआई लगातार उनका शोषण कर रही है. उनका वेतन काट लिया जाता है. यही नहीं समय पर उनको वेतन भी नहीं दिया जाता है.
पीड़ित कर्मचारियों ने कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनसे धोखाधड़ी करने को कहा जाता है. उनको रोजाना फर्जी मरीजों को अस्पताल तक ले जाने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे कंपनी को ज्यादा लाभ हो. ऐसा न करने पर इन्हें नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जाती है. कोरोना काल में पूरी जिम्मेदारी से ड्यूटी करने वाले तमाम कर्मचारियों को बिना किसी कारण से निकाल दिया गया. यही नहीं इनका वेतन भी काट लिया गया.
मजबूरन इन्होंने कार्य बहिष्कार कर 102 एम्बुलेंस की सेवाएं बंद कर दीं. ईटीवी भारत की टीम ने जब जिले में कंपनी का काम देख रहे प्रोग्राम मैनेजर से बात की तो उन्होंने भी माना कि पीड़ित कर्मचारियों की कुछ मांगें सही हैं. कंपनी से किसी को बाहर करने का अधिकार उच्चाधिकारियों को है. अब उन्होंने किस कारण से निकाल दिया ये वही जानें. कर्मचारियों ने मांग की है कि कंपनी द्वारा उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग से एंबुलेंस के नाम पर किये जा रहे फर्जी भुगतानों की जांच कराई जाए.