बाराबंकी: यूपी की बाराबंकी पुलिस और आबकारी टीम ने संयुक्त रूप से अपमिश्रित शराब बनाने और बेचने वाले सिंडिकेट का खुलासा करते हुए 2 शातिर अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया. खास बात यह कि ये शातिर अभियुक्त शीशियों से सिरिंज के जरिये और प्लास्टिक की शीशियों के ढक्कन तोड़कर असली शराब निकाल लेते थे और फिर उसमें मिलावट करके उतनी ही मात्रा में नकली शराब भरकर असली के दाम पर बेच देते थे. इनके कब्जे से भारी मात्रा में नए ढक्कन, क्यूआर कोड स्लिप, खाली शीशियां और 42 पेटी अपमिश्रित शराब बरामद की गई है.
पकड़ा गया अपमिश्रित शराब बनाने का कारखाना
बताते चलें कि मसौली थाना क्षेत्र में अपमिश्रित शराब बनाने और बेचे जाने की मैनुअल इंटेलिजेंस के आधार पर मिली सूचना के आधार पर मसौली थाने की पुलिस और आबकारी विभाग की संयुक्त टीम ने गुरुवार को टेरासानी गांव स्थित एक देशी शराब के ठेके पर छापेमारी की. टीम उस वक्त हैरान रह गई जब यहां भारी मात्रा में शीशियों के नए ढक्कन, क्यूआर कोड की दर्जनों स्लिप, खाली नई शीशियां, देशी शराब की बिना ढक्कन वाली शीशियां, सिरिंज, केमिकल और अपमिश्रित शराब पाई गई. टीम ने अपमिश्रित शराब बना रहे दो युवकों को गिरफ्तार कर लिया. इनके कब्जे से 89 हजार 380 रुपये भी बरामद किए गए.
दो गिरफ्तार, ठेकेदार की तलाश
इस गोरखधंधे में लिप्त गिरफ्तार किए गए दोनों युवकों समेत शराब ठेके के अनुज्ञापी के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 419, 420, 467, 468, 471, 472, 272, 120 बी और 60 आबकारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है. पकड़े गए दोनों युवकों में एक अशोक जायसवाल है, जो चंदौली जिले के धीना थाने के इमलिया गांव का रहने वाला है, जबकि दूसरे युवक का नाम मनीष गुप्ता है, जो चंदौली जिले के ही धीना थाने के रैथा गांव का रहने वाला है.
पिछले 6 महीनों से चल रहा था गोरखधंधा
पकड़े गए अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि वे पिछले 6 महीनों से इस धंधे में लिप्त हैं. क्यूआर कोड स्लिप, खाली शीशियां, ढक्कन और दूसरे सामान उन्हें जौनपुर जिले के कस्बा और थाना चन्दवक निवासी ठेकेदार फेकनी देवी द्वारा उपलब्ध कराया जाता था. इस अपमिश्रित शराब की बिक्री उसी शराब ठेके से की जाती थी.
कैसे करते थे अपमिश्रण
ये लोग शराब के टेट्रा पैक डिब्बों से सिरिंज के जरिये असली शराब निकाल लेते थे. इसी तरह प्लास्टिक की शीशियों के ढक्कन तोड़कर उनसे भी शराब निकाल लेते थे. फिर इस असली शराब को एक जार में इकट्ठा कर लेते थे. उसके बाद जार में पानी और केमिकल डाल देते थे. जार वाली अपमिश्रित शराब को फिर से वे टेट्रा पैक डिब्बो में सिरिंज के जरिये भर देते थे. ये लोग जहां सिरिंज लगाते थे, वहां फेवीक्विक लगा देते थे, जिससे कोई भांप नहीं पाता था.
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इस धंधे में और लोग भी हो सकते हैं शामिल
प्लास्टिक की शीशियों में भी ये जार की अपमिश्रित शराब भरते थे फिर उसमें अपना ढक्कन लगा देते थे. उसके बाद उस पर क्यूआर कोड का लेवल चिपका देते थे. इस अपमिश्रित शराब को असली सरकारी वाले दाम पर बेच दिया जाता था. एडिशनल एसपी डॉ. अवधेश सिंह ने बताया कि इस गोरखधंधे में अभी और लोग भी शामिल हो सकते हैं. मामले की विवेचना की जा रही है, जो भी नाम सामने आएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.