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फसल अवशेषों को कम करने के लिए इन मशीनों का किसानभाई करें प्रयोग: अपर मुख्य सचिव कृषि

शुक्रवार को कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बाराबंकी में कृषि विज्ञान केंद्र का दौरा कर फसल अवशेष परियोजना के अंतर्गत तैयार की गई तमाम मशीनों का अवलोकन किया.

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Published : Sep 19, 2020, 7:12 AM IST

मशीनों का अवलोकन करते अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी के साथ अन्य अधिकारी.
मशीनों का अवलोकन करते अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी के साथ अन्य अधिकारी.

बाराबंकी: शुक्रवार को कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बाराबंकी में कृषि विज्ञान केंद्र का दौरा किया. इस दौरान फसल अवशेष परियोजना के अंतर्गत तैयार की गई तमाम मशीनों का उन्होंने अवलोकन किया. इस मौके पर उन्होंने किसान भाइयों से इन मशीनों का प्रयोग करने की अपील की, ताकि उन्हें पराली न जलानी पड़े. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक कर इस बार पराली जलाने से रोका जाए.


धान की फसल काटने में अभी कुछ समय बाकी है. किसान फसल अवशेष जलाकर वातावरण को प्रदूषित न करें, इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल समेत शासन अभी से गम्भीर हो गया है. फसल अवशेष ज्यादा न निकले इसके लिए हैप्पी सीडर, मल्चर, जीरो टिल सीड ड्रिल, रिवर्सेबल एमबी प्लाऊ जैसी तमाम मशीनों को मार्केट में उतारा गया है. इन मशीनों का फीडबैक लेने के लिए शुक्रवार को शासन से कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी हैदरगढ़ स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पहुंचे. उनके साथ शोध निदेशक डॉ. गजेंद्र सिंह, उपकृषि निदेशक अनिल सागर और जिला कृषि अधिकारी संजीव कुमार समेत तमाम वैज्ञानिक उपस्थित थे. इस दौरान उन्होंने मशीनों का डिमांस्ट्रेशन देखा.

इस मौके पर उन्होंने प्रगतिशील किसानों से इन मशीनों का प्रयोग करने की अपील की. उन्होंने कहा कि शासन हर हाल में पराली को लेकर गम्भीर है. इसीलिए फसल अवशेष परियोजना के जरिये किसानों को ऐसी मशीनों और यंत्रों के प्रयोग करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि फसल अवशेष कम से कम हो. उप कृषि निदेशक ने बताया कि अपर मुख्य सचिव के निर्देशों का पूरी तरह पालन कराया जाएगा.

बाराबंकी: शुक्रवार को कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बाराबंकी में कृषि विज्ञान केंद्र का दौरा किया. इस दौरान फसल अवशेष परियोजना के अंतर्गत तैयार की गई तमाम मशीनों का उन्होंने अवलोकन किया. इस मौके पर उन्होंने किसान भाइयों से इन मशीनों का प्रयोग करने की अपील की, ताकि उन्हें पराली न जलानी पड़े. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक कर इस बार पराली जलाने से रोका जाए.


धान की फसल काटने में अभी कुछ समय बाकी है. किसान फसल अवशेष जलाकर वातावरण को प्रदूषित न करें, इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल समेत शासन अभी से गम्भीर हो गया है. फसल अवशेष ज्यादा न निकले इसके लिए हैप्पी सीडर, मल्चर, जीरो टिल सीड ड्रिल, रिवर्सेबल एमबी प्लाऊ जैसी तमाम मशीनों को मार्केट में उतारा गया है. इन मशीनों का फीडबैक लेने के लिए शुक्रवार को शासन से कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी हैदरगढ़ स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पहुंचे. उनके साथ शोध निदेशक डॉ. गजेंद्र सिंह, उपकृषि निदेशक अनिल सागर और जिला कृषि अधिकारी संजीव कुमार समेत तमाम वैज्ञानिक उपस्थित थे. इस दौरान उन्होंने मशीनों का डिमांस्ट्रेशन देखा.

इस मौके पर उन्होंने प्रगतिशील किसानों से इन मशीनों का प्रयोग करने की अपील की. उन्होंने कहा कि शासन हर हाल में पराली को लेकर गम्भीर है. इसीलिए फसल अवशेष परियोजना के जरिये किसानों को ऐसी मशीनों और यंत्रों के प्रयोग करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि फसल अवशेष कम से कम हो. उप कृषि निदेशक ने बताया कि अपर मुख्य सचिव के निर्देशों का पूरी तरह पालन कराया जाएगा.

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