बाराबंकी: नगरीय निकायों में मैनुअल स्कैवेंजर यानी हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह समाप्त हो चुकी है या नहीं और कभी इस काम से जुड़े लोगों को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं. इसे जांचने के लिए राज्यस्तरीय निगरानी समिति के सदस्य ने बाराबंकी का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने सर्किट हाउस में निकायों के अधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कैम्प लगाकर ऐसे लोगों को चिन्हित किया जाए और उन्हें इससे निकालकर सरकारी योजनाओं का लाभ देकर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाया जाए. इस मौके पर उन्होंने बताया कि सरकार ने ठेके पर काम करने वाले सफाईकर्मियों का पारिश्रमिक बढ़ा दिया गया है.
मैनुअल स्केवेंजर्स निषेध
मैनुअल स्केवेंजर्स यानी हाथ से मैला ढोने की प्रथा को निषेध बना दिया गया है. मैनुअल स्केवेंजर्स का रोजगार और शुष्क शौचालय का निर्माण(निषेध)अधिनियम 1993 के तहत इसे पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है. ज्यादातर नगर निकायों और नगरपालिकाओं से इस काम मे लगे लोगों को निकालकर उन्हें सरकार मुख्यधारा में ला रही है. इन लोगों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं इसको लेकर राज्यस्तरीय निगरानी समिति के सदस्य राम भरोसी लाल बाल्मीकि ने मंगलवार को बाराबंकी का दौरा किया. पीडब्लूडी गेस्ट हाउस में उन्होंने नगरपालिका और नगर निकायों के अधिकारियों से इसको लेकर जानकारी ली. इस बाबत उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसे लोगों को चिन्हित किया जाय और योजना का लाभ न पाने वाले लोगों को कैम्प लगाकर उनको योजनाओं का लाभ दिलाया जाए.
सफाईकर्मियों का बढ़ा पारिश्रमिक
इसके अलावा सदस्य राज्य स्तरीय निगरानी समिति राम भरोसी बाल्मीकि ने कहा कि ठेका यानी कार्यदायी संस्था के माध्यम से निकायों में लगाये गए सफाईकर्मियों का मानदेय 308 रुपये से बढ़ा दिया गया है. उन्होंने कहा कि 351 रुपये का शासनादेश आ चुका है. अब इसी माह होने वाले टेंडर इसी दर पर होंगे और अब इसी के हिसाब से भुगतान होगा.
मैनुअल स्केवेंजर्स के लिए योजनाएं
- जो भी कभी इस काम से जुड़ा था उसको दूसरा रोजगार करने के लिए 40 हजार रुपये दिए जा रहे हैं.
- ऐसे लोगों के परिवार के एक सदस्य को नौकरी.
- बच्चों को वजीफा
इसे भी पढे़ं- मुजफ्फरनगर: रंग डालने के विवाद में पथराव, एक गंभीर रूप से घायल