बाराबंकी. यूपी के बाराबंकी की एक अदालत ने साढ़े सात वर्ष पूर्व एक नाबालिग बालिका के अपहरण व उसके साथ हुए दुराचार के मामले में एक आरोपी को दोषसिद्ध होने पर दस वर्ष के सश्रम कारावास और 20 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है.
ये फैसला अपर सत्र न्यायाधीश/पॉक्सो ऐक्ट के विशेष न्यायाधीश दिनेश पाल यादव ने सुनाया. जुर्माने की रकम भी पीड़िता को देने का आदेश दिया गया है. वहीं, इसी मामले में अभियुक्त कुलदीप यादव के खिलाफ आरोप साबित न होने पर उसके विरुद्ध लगाए गए सभी आरोपों से उसे दोषमुक्त कर दिया गया है.
विशेष लोक अभियोजक अजय सिंह ने अभियोजन कथानक बताया कि 12 दिसंबर 2013 को थाना टिकैतनगर पर वादी ने तहरीर दी कि ग्राम सराय बरई निवासी जगनू लोध पुत्र बंशीलाल उसकी 15 वर्षीय पुत्री को बहला फुसलाकर भगा ले गया.
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तहरीर के आधार पर थाना टिकैतनगर में अपराध संख्या 320/2013 पर धारा 363,366 आईपीसी में मुकदमा दर्ज किया गया. पीड़िता के मेडिकल परीक्षण के बाद मामले में 376, 506 आईपीसी और पॉक्सो ऐक्ट की धाराएं लगाई गईं.
तत्कालीन विवेचक ने वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलित करते हुए अभियुक्तों जुगनू लोध और कुलदीप यादव के विरुद्ध 363,366,376,506 आईपीसी और पॉक्सो ऐक्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था.
मामले में अभियोजन पक्ष ने समुचित गवाही कराई. दोनों पक्षों की गवाही और बहस के आधार माननीय अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश पॉक्सो ऐक्ट दिनेश पाल यादव ने जुगनू लोध पुत्र बंशीलोध को दोषसिद्ध करते हुए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई.
साथ ही जुर्माने की रकम पीड़िता को देने का आदेश दिया. वहीं, इसी मामले में अभियुक्त कुलदीप यादव के विरुद्ध लगाए गए आरोप साबित न होने पर उसे दोषमुक्त कर दिया.