बांदाः हर ओर मौत की खबरें, हर ओर ऑक्सीजन, दवाइयां, एंबुलेंस नहीं मिलने की खबरें, हर ओर अनगिन जलती चिताओं की खबरें, इन तमाम खबरों के बीच भी कुछ खबरें हैं जो दिल को सुकून देती हैं. ऐसी ही खबर है बांदा के दो भाइयों की. इन दोनों भाइयों ने अपनी 40 लाख की लग्जरी कार को एंबुलेंस के तौर पर प्रयोग करना शुरू कर दिया है. किसी भी जरूरतमंद का पता चले तो यह भाई अपनी कार लेकर पहुंच जाते हैं, उसे अस्पताल पहुंचाने. कार की पिछली सीटों को हटाकर अंदर से एंबुलेंस का स्वरूप भी दिया गया है. जरूरतमंदों के लिए इनकी सेवा दिन के पूरे 24 घंटे उपलब्ध रहती है. यही नहीं, ये दोनों भाई जरूरतमंदों तक ऑक्सीजन व दवाओं को भी फ्री में पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
अतर्रा कस्बे के रहने वाले हैं रोहित और राहुल शुक्ला
जिले के अतर्रा कस्बे के रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक रविकांत के दो बेटे रोहित शुक्ला और राहुल शुक्ला इस कोविड-19 महामारी में लोगों की मदद करने के लिए आगे आए हैं. रोहित शुक्ला ने एमबीए और एलएलबी किया है, तो वहीं इनके छोटे भाई राहुल शुक्ला ने फाइनेंस से एमबीए किया है. राहुल गूगल में भी काम कर चुके हैं. दिल्ली में ये फूडलैंड कैफे नाम से रेस्टोरेंट चलाते थे, जिसकी दिल्ली में दर्जनभर से ज्यादा शाखाएं थीं. पिछले साल 2020 में कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान, ये अपने व्यापार को बंदकर घर आ गए. अब कोविड-19 की दूसरी वेब के बीच लोगों को परेशान देखते हुए, इन्होंने लोगों की मदद करने की ठानी. अपनी लगभग 40 लाख रुपए की स्कोडा कार को लोगों की मदद में समर्पित कर दिया. एक एंबुलेंस की तरह ही यह अपनी गाड़ी से लोगों को अस्पताल पहुंचाने का काम करते हैं. इन्होंने अपनी गाड़ी की पीछे की सीटों को निकलवा दिया है, जिससे वे इसमें आक्सीजन के सिलेंडर रखकर उन्हें जरूरतमन्दों तक पहुंचा सकें. इन्होंने अपनी गाड़ी में फ्री रैपिड ऑक्सीजन सेवा का स्टीकर भी लगा रखा है. दोनों भाई जरूरतमंदों को जहां ऑक्सीजन के सिलेंडर फ्री में पहुंचाने का काम कर रहे हैं, तो वहीं लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने और उन तक दवाओं को भी पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
अपने साथ कोई कुछ लेके नहीं जाता, सिर्फ कर्म ही जाते हैं साथ
राहुल शुक्ला बताते हैं कि आज के इस दौर में लोग आर्थिक लाभ के पीछे भाग दौड़ कर रहे हैं, लेकिन मेरा मानना है कि मरने के बाद इंसान के साथ सिर्फ उसके कर्म ही ऊपर जाते हैं. हमसे जितनी संभव हो, जरूरतमंदों की उतनी मदद करनी चाहिए. इसी सोच के साथ मैं यह काम कर रहा हूं. यह काम करने से मुझे अच्छा महसूस होता है. अब तक हम लगभग 300 लोगों की मदद कर चुके हैं. हम 24 घंटे लोगों की सेवा में तत्पर हैं.
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पिता ने दी सेवा की शिक्षा
रोहित शुक्ला का कहना है कि हमारे पिता ने हमको यह शिक्षा दी है कि जितना लोगों की मदद कर सको, उतनी जरूर करो. उसी को ध्यान में रखते हुए हम लोग इस कोविड-19 में लोगों की मदद कर रहे हैं. हम लोग यहां से ऑक्सीजन लेने महोबा जाते हैं और वहां से ऑक्सीजन लेकर यहां आते हैं और लोगों की फ्री में मदद करते हैं. हम लोगों की मदद करने के लिए व्हाट्सएप और फेसबुक के अलावा अन्य सोशल मीडिया नेटवर्क का सहारा ले रहे हैं. लोगों की जरूरत के हिसाब से मदद कर रहे हैं.