बांदाः उप कृषि निदेशक अरविंद कुमार ने बताया कि खतों में पराली जलाने से वायु प्रदूषण बहुत तेजी से फैलता है. ऐसे में किसानों को चाहिए कि पराली न जलाएं और इसे नष्ट करने के अन्य उपाय को अपनाएं. उन्होंने बताया कि पराली को किसान गोशालाओं में दे सकते हैं, जिससे वह खाद के रूप में तब्दील हो सकेगी.
उप कृषि निदेशक ने बताया कि किसान आधुनिक यंत्र जैसे- श्रम मास्टर, मल्चर आदि का प्रयोग करके इसे खेतों में सड़ा सकते हैं. इससे खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी. इसके अलॉवा अगर नम खेत में 10 किलोग्राम यूरिया खाद को एक एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर दिया जाएगा तो यह जल्द ही उसमें सड़ जाएगा और खाद का काम करेगा.
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उप कृषि निदेशक ने बताया कि किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे पिछले वर्ष की अपेक्षा इस साल किसानों में जागरूकता बढ़ी है. हालांकि कुछ किसान ऐसे हैं, जो लापरवाही कर रहे हैं, जिसके चलते वायु प्रदूषण के साथ-साथ उनके खेतों की उर्वरा शक्ति भी खत्म हो रही है.