बांदा: उत्तर प्रदेश परिवहन (Uttar Pradesh Transport) संविदा कर्मचारी संघ व उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ (Uttar Pradesh Roadways Employees Union) के बैनर तले रोडवेज के संविदा कर्मचारियों ने मंगलवार को अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर बांदा रोडवेज बस स्टैंड में धरना-प्रदर्शन किया. वहीं, प्रदर्शन के दौरान इन्होंने अपने प्रबंध निदेशक पर निजी बसों को बढ़ावा दिए जाने का आरोप लगाया है.
आरोप है कि रोडवेज की बसों में ध्यान न देने के चलते वे जर्जर हालत में हैं. 25% बसें कंडम होकर खड़ी हो गई हैं और 75% बसें जर्जर हालत में हैं, जिससे सड़कों में डग्गामार वाहनों की भरमार है. जानकारी के बावजूद प्रबंध निदेशक अपनी आंख में पट्टी बांधे हुए हैं, जिससे कि न सिर्फ परिवहन निगम के राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि, रोडवेज के कर्मचारियों को भी समस्याएं हो रही हैं.
बता दें कि बांदा रोडवेज बस स्टैंड में मंगलवार को उत्तर प्रदेश परिवहन संविदा कर्मचारी संघ और उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के बैनर तले रोडवेज में काम करने वाले संविदा कर्मचारी इकट्ठे हुए. इन्होंने अपनी मांगों को लेकर जोरदार धरना-प्रदर्शन करते हुए प्रबंध निदेशक के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में रोडवेज के संविदा कर्मचारी धरना-प्रदर्शन में मौजूद रहे.
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उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के क्षेत्रीय मंत्री सुरेंद्र सिंह ने बताया कि आज उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में बसे लगभग 25% की संख्या में खड़ी हो गई हैं. तो वहीं 75% बसों में कल पुर्जों की कमी है, जिससे वे समय से सड़कों पर नहीं चल पा रही हैं. और इसके चलते डग्गामार बसें राष्ट्रीय कृत सड़कों में धड़ल्ले से दौड़ रही हैं. इस पूरे मामले में प्रबंध निदेशक आंख मूंदे हुए हैं और निजी बसों को बढ़ावा दे रहे हैं. हमारी 17 सूत्रीय मांगे हैं, जिसमें संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए, जनसंख्या के हिसाब से बसों को बेड़े में शामिल किया जाए. राष्ट्रीय कृत मार्गों में बिना परमिट के सड़कों में बसों को न चलने दिये जाने की मांग है. हमारी यह भी मांग है कि बसों में गुणवत्तापूर्ण कार्य किया जाए, जिससे की बसें सड़कों पर सही से चल सके और परिवहन निगम के राजस्व में बढ़ोतरी हो सके. और हमारा मानदेय समय से मिल सके.