ETV Bharat / state

10 लोगों की मौत के बाद भी नहीं सुधरे हालात, सड़कों पर दौड़ रहीं खटारा बसें

उत्तर प्रदेश के बांदा में बादल रोडवेज डिपो कंडम और खटारा बसों को सड़कों पर दौड़ा रहा है. बसों की हालत इतनी खराब है कि उसपर बैठने वाले यात्रियों के साथ-साथ उसे चलाने वाले ड्राइवर को भी डर लगता है.

author img

By

Published : Dec 1, 2019, 3:24 PM IST

Updated : Dec 1, 2019, 5:29 PM IST

etv bharat
रोडवेज दौड़ा रहा खटारा बसे.

बांदा: जिले में 25 नवंबर को रोडवेज बस और ट्रक की आमने-सामने की भिड़ंत में 10 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे में 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिनका अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है. इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी हालात जस के तस बने हैं. बांदा रोडवेज डिपो में अभी भी ऐसी कंडम और खटारा बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है जो कभी भी हादसे का शिकार हो सकती हैं.

रोडवेज दौड़ा रहा खटारा बसे.

ईटीवी भारत की टीम ने जब रोडवेज में बसों का रियलिटी चेक किया तो हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आई. यहां पर कई बसें ऐसी मिली जिनकी स्टेरिंग फ्री थी तो वहीं किसी बस की खिड़की में कांच नहीं थे और किसी का हार्न नहीं बज रहा था. ईटीवी ने इस मामले में क्षेत्रीय प्रबंधक से बात करनी चाही तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया.

रोजाना रोड पर खटारा बसों को दौड़ाया जा रहा है

  • बांदा रोडवेज बस से रोजाना सैकड़ों की तादात में बसों का संचालन होता है.
  • यहां से छोटे-बड़े शहरों से लेकर राजधानी तक बसे जाती हैं.
  • आसपास के जनपदों में खटारा बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है.
  • 25 नवंबर को बांदा से फतेहपुर जा रही एक बस दुर्घटना का शिकार हो गई थी, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी.
  • बसों के सही संचालन को लेकर सरकार बसों की मरम्मत के लिए भारी-भरकम बजट साल में देती है.
  • बसों की स्थिति देखकर कई सवाल खड़े होते हैं क्योंकि ज्यादातर बसों में कुछ न कुछ कमी जरूर पाई जाती है.

इसे भी पढ़ें- ...जब मेनका गांधी ने मंच से वर-वधुओं से मांगी माफी

रियालिटी चेक में आई बसों की असलियत
बांदा से फतेहपुर जाने वाली एक बस का रियलिटी चेक किया जो एकदम खटारा स्थिति में थी और उसकी स्टेरिंग कभी भी टूट सकती थी. यात्रियों ने बताया कि इन बसों में बैठने से डर तो लगता है लेकिन मजबूरी को कारण उनको सफर तय करना पड़ता है क्योंकि इसके सिवा कोई दूसरा चारा भी तो नहीं है. बसों के चालकों से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया की उन्हें बसों को चलाने में खुद भी बहुत डर लगता है.

यह बसें कभी भी हादसे का शिकार हो सकती हैं. बस चालकों ने बताया कि अगर वह अपनी बात उच्चाधिकारियों के सामने रखते हैं तो उनकी संविदा समाप्त करने की धमकी दी जाती है इसलिए मजबूरी बस वह भी कुछ नहीं बोलते. क्षेत्रीय प्रबंधक संजीव अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने अपने आपको बाइट के लिए अधिकृत न बताते हुए मामले से पल्ला झाड़ दिया और कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया.

बांदा: जिले में 25 नवंबर को रोडवेज बस और ट्रक की आमने-सामने की भिड़ंत में 10 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे में 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिनका अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है. इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी हालात जस के तस बने हैं. बांदा रोडवेज डिपो में अभी भी ऐसी कंडम और खटारा बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है जो कभी भी हादसे का शिकार हो सकती हैं.

रोडवेज दौड़ा रहा खटारा बसे.

ईटीवी भारत की टीम ने जब रोडवेज में बसों का रियलिटी चेक किया तो हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आई. यहां पर कई बसें ऐसी मिली जिनकी स्टेरिंग फ्री थी तो वहीं किसी बस की खिड़की में कांच नहीं थे और किसी का हार्न नहीं बज रहा था. ईटीवी ने इस मामले में क्षेत्रीय प्रबंधक से बात करनी चाही तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया.

रोजाना रोड पर खटारा बसों को दौड़ाया जा रहा है

  • बांदा रोडवेज बस से रोजाना सैकड़ों की तादात में बसों का संचालन होता है.
  • यहां से छोटे-बड़े शहरों से लेकर राजधानी तक बसे जाती हैं.
  • आसपास के जनपदों में खटारा बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है.
  • 25 नवंबर को बांदा से फतेहपुर जा रही एक बस दुर्घटना का शिकार हो गई थी, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी.
  • बसों के सही संचालन को लेकर सरकार बसों की मरम्मत के लिए भारी-भरकम बजट साल में देती है.
  • बसों की स्थिति देखकर कई सवाल खड़े होते हैं क्योंकि ज्यादातर बसों में कुछ न कुछ कमी जरूर पाई जाती है.

इसे भी पढ़ें- ...जब मेनका गांधी ने मंच से वर-वधुओं से मांगी माफी

रियालिटी चेक में आई बसों की असलियत
बांदा से फतेहपुर जाने वाली एक बस का रियलिटी चेक किया जो एकदम खटारा स्थिति में थी और उसकी स्टेरिंग कभी भी टूट सकती थी. यात्रियों ने बताया कि इन बसों में बैठने से डर तो लगता है लेकिन मजबूरी को कारण उनको सफर तय करना पड़ता है क्योंकि इसके सिवा कोई दूसरा चारा भी तो नहीं है. बसों के चालकों से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया की उन्हें बसों को चलाने में खुद भी बहुत डर लगता है.

यह बसें कभी भी हादसे का शिकार हो सकती हैं. बस चालकों ने बताया कि अगर वह अपनी बात उच्चाधिकारियों के सामने रखते हैं तो उनकी संविदा समाप्त करने की धमकी दी जाती है इसलिए मजबूरी बस वह भी कुछ नहीं बोलते. क्षेत्रीय प्रबंधक संजीव अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने अपने आपको बाइट के लिए अधिकृत न बताते हुए मामले से पल्ला झाड़ दिया और कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया.

Intro:SLUG- 10 लोगों की मौत के बाद भी नहीं सुधरे हालात, यहां की बसों में यात्रा का मतलब मौत को दावद देना है
PLACE- BANDA
REPORT- ANAND TIWARI
DATE- 29.11.19
ANCHOR- बांदा में 25 नवंबर को रोडवेज बस और ट्रक की आमने-सामने की भिड़ंत में 10 लोगों की मौत हो गई थी और डेढ़ दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जिनका अभी भी इस अस्पताल में इलाज चल रहा है। लेकिन इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी हालात जस के तस बने हैं। बादल रोडवेज डिपो में अभी भी ऐसी कंडम और खटारा बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है जो कभी भी हादसे का शिकार हो सकती हैं। ईटीवी भारत की टीम ने जब रोडवेज में बसों का रियलिटी चेक किया तो हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आई। यहां पर कई बसें ऐसी मिली जिनकी स्टेरिंग फ्री थी तो वहीं किसी बस की खिड़की में कांच नहीं थे तो किसी में हार्न नहीं बज रहा था। वहीं जब हमने इस मामले में क्षेत्रीय प्रबंधक से बात करनी चाही तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया।


Body:वीओ- आपको बता दें कि बांदा रोडवेज बस से रोजाना सैकड़ों की तादात में बसों का संचालन होता है । यहां से छोटे-बड़े शहरों से लेकर राजधानी तक को बसे जाती हैं। लेकिन आसपास के जनपदों में खटारा बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। अभी 25 नवंबर को बांदा से फतेहपुर जा रही एक बस दुर्घटना का शिकार हो गई थी जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी। बसों के सही संचालन को लेकर सरकार बसों की मरम्मत के लिए भारी-भरकम बजट साल में देती है। लेकिन बसों की स्थिति देखकर कई सवाल खड़े होते हैं क्योंकि ज्यादातर बसों में कुछ न कुछ कमी जरूर पाई जाती है। हमने बांदा से फतेहपुर जाने वाली एक बस का रियलिटी चेक किया जो एकदम खटारा स्थिति में थी और उसकी स्टेरिंग कभी भी टूट सकती थी।


Conclusion:वीओ- यात्रियों ने बताया कि इन बसों में बैठने से डर तो लगता है लेकिन मजबूरी व उनको सफर तय करना पड़ता है क्योंकि इसके सिवा कोई दूसरा चारा भी तो नहीं है।

वीओ- वही बसों के चालकों से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया की उन्हें बसों को चलाने में खुद भी बहुत डर लगता है क्योंकि यह बसें कभी भी हादसे का शिकार हो सकती हैं। अपनी पीड़ा बताते हुए बस चालकों ने बताया कि अगर वह अपनी बात उच्चाधिकारियों के सामने रखते हैं तो उनकी संविदा समाप्त करने की धमकी दी जाती है इसलिए मजबूरी बस वह भी कुछ नहीं बोलते।

वीओ- वही संबंध में जब क्षेत्रीय प्रबंधक संजीव अग्रवाल से बात करना चाहा तो उन्होंने अपने आपको बाइट के लिए अधिकृत ना बताते हुए मामले से पल्ला झाड़ दिया और कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया।

बाइट: मानव, यात्री
बाइट: सुरेंद्र सिंह, बस चालक
बाइट: मो. शमशाद, बस चालक
वन टू वन: आनंद तिवारी

नोट: सर इस खबर को अगर डेस्क पर एडिट किया जाएगा तो अच्छा पैकेज तैयार हो जाएगा

ANAND TIWARI
BANDA
9795000076
Last Updated : Dec 1, 2019, 5:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.