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बांदा का जखनी बना जलगांव, प्यासे बुंदेलखंड को दिया पानी का मंत्र

बुंदेलखंड वैसे तो सूखा और पानी की कमी के लिए जाना जाता रहा है. मगर बांदा जिले के कुछ गांव के लोग जल संरक्षण को लेकर ऐसा काम कर रहे हैं कि अब ये गांव जलगांव के तौर पर पहचाने जाते हैं. इन गांवों में अब पानी की समस्या नहीं है. यह चमत्कार अचानक नहीं हुआ. इसकी शुरुआत हुई गांव जखनी से. बड़ी बात यह है कि जखनी गांव के लोगों ने सूखाग्रस्त इलाके को बिना किसी सरकारी मदद के जलगांव बना दिया है. जखनी के ग्रामीणों की इस मेहनत को जल मंत्रालय ने भी सराहा है.

अब पानी की यहां नहीं रही कमी.
अब पानी की यहां नहीं रही कमी.
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Published : Dec 25, 2020, 5:02 PM IST

बांदा: जब भीषण गर्मी में देश और बुंदेलखंड के तमाम हिस्सों में पानी की किल्लत की तस्वीरें आती हैं, तब बांदा के जखनी और इसके आस-पास के गांवों में पानी ही पानी दिखाई देता है. इस इलाके में पानी की कोई कमी नहीं है.

जखनी गांव में पानी की कमी नहीं.

जखनी का मंत्र, गांव का पानी गांव में

बांदा जिले के शहर मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव जखनी है. 7 साल पहले तक बुंदेलखंड के अन्य इलाकों की तरह इस गांव में भी पानी की किल्लत थी. परेशानी बढ़ी तो यहां के लोगों ने जल संरक्षण शुरू किया. जल संरक्षण का मूल मंत्र था, खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में. इस फार्मूले के तहत गांव और घरों से निकले पानी को नालियों के माध्यम से तालाबों में जमा किया गया. इसी तरह खेतों में मेड़बंदी कराकर बारिश के पानी को संरक्षित किया. 6 से 7 सालों की मेहनत का नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे गिर रहे जलस्तर में लगातार सुधार हुआ. अब गर्मियों के मौसम में भी जखनी गांव के कुएं और तालाब पानी से लबालब रहते हैं और हैंडपंपों से भरपूर पानी मिलता है. जखनी में कभी फसल पानी की कमी के कारण सूख जाती थी, मगर अब लोग धान की भी खेती कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं.

जब लहलहाए खेत तो खत्म हो गया पलायन

किसान गजेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जखनी गांव की तरह ही उन्होंने मेड़बंदी कर पानी को संरक्षित किया. आज वह खेती कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं. वहीं एक किसान राममिलन ने भी बताया कि पहले खेती में जहां 10 से 15 हजार रुपये का ही उत्पादन होता था. अब उन्हें दो फसलों में डेढ़ से दो लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है. अब उनके मन में घर छोड़ने की इच्छा नहीं होती है. इसके अलावा एक किसान अनिरुद्ध ने बताया कि बीटेक करने के बाद वह बाहर नौकरी करने चला गया था, लेकिन आज वह पानी को संरक्षित कर खेती कर रहे हैं. घर में रहकर आमदनी हो रही है.

नजीर बन गया जखनी गांव

जिला विकास अधिकारी के.के. पांडे ने बताया कि बुंदेलखंड में वर्षा का औसत पंजाब से ज्यादा है. मगर जल संरक्षण पर यहां के लोगों ने ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते अब यहां के लोग परेशान रहते हैं. जखनी के लोगों ने जल संरक्षण पर बेहतरीन काम किया. उनका काम अब लोगों के लिए नजीर बना हुआ है. अब जखनी के आसपास के दूसरे गांव के लोग भी जल संरक्षण पर ध्यान दे रहे हैं. उम्मीद है कि अगर अन्य इलाकों के लोग जखनी से सबक लेते रहे तो बुंदेलखंड का गांव-गांव जलगांव हो जाएगा.

बांदा: जब भीषण गर्मी में देश और बुंदेलखंड के तमाम हिस्सों में पानी की किल्लत की तस्वीरें आती हैं, तब बांदा के जखनी और इसके आस-पास के गांवों में पानी ही पानी दिखाई देता है. इस इलाके में पानी की कोई कमी नहीं है.

जखनी गांव में पानी की कमी नहीं.

जखनी का मंत्र, गांव का पानी गांव में

बांदा जिले के शहर मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव जखनी है. 7 साल पहले तक बुंदेलखंड के अन्य इलाकों की तरह इस गांव में भी पानी की किल्लत थी. परेशानी बढ़ी तो यहां के लोगों ने जल संरक्षण शुरू किया. जल संरक्षण का मूल मंत्र था, खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में. इस फार्मूले के तहत गांव और घरों से निकले पानी को नालियों के माध्यम से तालाबों में जमा किया गया. इसी तरह खेतों में मेड़बंदी कराकर बारिश के पानी को संरक्षित किया. 6 से 7 सालों की मेहनत का नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे गिर रहे जलस्तर में लगातार सुधार हुआ. अब गर्मियों के मौसम में भी जखनी गांव के कुएं और तालाब पानी से लबालब रहते हैं और हैंडपंपों से भरपूर पानी मिलता है. जखनी में कभी फसल पानी की कमी के कारण सूख जाती थी, मगर अब लोग धान की भी खेती कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं.

जब लहलहाए खेत तो खत्म हो गया पलायन

किसान गजेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जखनी गांव की तरह ही उन्होंने मेड़बंदी कर पानी को संरक्षित किया. आज वह खेती कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं. वहीं एक किसान राममिलन ने भी बताया कि पहले खेती में जहां 10 से 15 हजार रुपये का ही उत्पादन होता था. अब उन्हें दो फसलों में डेढ़ से दो लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है. अब उनके मन में घर छोड़ने की इच्छा नहीं होती है. इसके अलावा एक किसान अनिरुद्ध ने बताया कि बीटेक करने के बाद वह बाहर नौकरी करने चला गया था, लेकिन आज वह पानी को संरक्षित कर खेती कर रहे हैं. घर में रहकर आमदनी हो रही है.

नजीर बन गया जखनी गांव

जिला विकास अधिकारी के.के. पांडे ने बताया कि बुंदेलखंड में वर्षा का औसत पंजाब से ज्यादा है. मगर जल संरक्षण पर यहां के लोगों ने ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते अब यहां के लोग परेशान रहते हैं. जखनी के लोगों ने जल संरक्षण पर बेहतरीन काम किया. उनका काम अब लोगों के लिए नजीर बना हुआ है. अब जखनी के आसपास के दूसरे गांव के लोग भी जल संरक्षण पर ध्यान दे रहे हैं. उम्मीद है कि अगर अन्य इलाकों के लोग जखनी से सबक लेते रहे तो बुंदेलखंड का गांव-गांव जलगांव हो जाएगा.

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