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बांदा: बुंदेली किसानों के लिए धान की यह प्रजाति है सबसे उपयोगी - पूसा बासमती से होता है फायदा

उत्तर प्रदेश का बांदा वैसे तो सूखा क्षेत्र है, लेकिन यहां पर पूसा बासमती की पैदावर अच्छी होती है. पिछले कुछ सालों में यहां के किसानों ने प्रयोग के तौर पर धान की पूसा बासमती प्रजाति को अपने खेतों में बोया और उनको अधिक पैदावार हुई.

farmers get profit
किसानों को पूसा बासमती से फायदा
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Published : May 21, 2020, 5:58 PM IST

बांदा: वैसे तो बुंदेलखंड का क्षेत्र सूखा क्षेत्र नाम से जाना जाता है, लेकिन जिले के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां पानी की पर्याप्त सुविधा है और यहां पर धान की पैदावार भी खूब होती है. वहीं धान की पूसा बासमती की प्रजाति यहां के लिए सबसे ज्यादा आय देने वाली प्रजाति उभर कर सामने आई है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और इसके लिए इस बार कृषि विभाग की तरफ से इस प्रजाति के धान को किसानों को सब्सिडी के साथ उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर इस प्रजाति को यहां के किसान रोपेंगे तो इनकी आय अच्छी होगी.

किसानों को पूसा बासमती से फायदा

बता दें कि जिले के अतर्रा और नरैनी क्षेत्र में धान की पैदावार होती है. वहीं पिछले कुछ सालों में यहां के किसानों ने प्रयोग के तौर पर धान की पूसा बासमती प्रजाति को अपने खेतों में बोया और उन्हें इससे दूसरी धान की प्रजातियों की तुलना में लगभग बराबर का उत्पादन मिला. पूसा बासमती धान दूसरे दानों की तुलना में ज्यादा कीमती होता है, जिससे यहां के किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ है. इसको देखते हुए इस बार कृषि विभाग इस प्रजाति को सरकारी बीज भंडारों में किसानों के लिए अनुदान पर उपलब्ध करा रहा है, जिससे यहां के किसानों की आय बढ़ सके.

जिला कृषि अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि पिछले 5 सालों में यहां पर बासमती धान की अच्छी पैदावार हुई है. खासतौर पर पूसा बासमती 1121 जो 140 से 145 दिनों में तैयार हो जाता है. इस कारण इस प्रजाति की तरफ किसानों का रुझान ज्यादा रहा है. अभी तक किसानों को यह बीज सरकारी बीज भंडारों से उपलब्ध नहीं हो रहा था.

भारत सरकार की तरफ से भौगोलिक चिन्हांकन में बुंदेलखंड बासमती के लिए पूरी तरह से अनुकूलित नहीं है फिर भी यहां के किसानों का जो अनुभव रहा है, उससे उन्हें इस प्रजाति को पैदा करने से ज्यादा मुनाफा हुआ है. यह धान दूसरे धान की अपेक्षा ज्यादा मुनाफा देने वाला है, इसीलिए किसानों की मांग को देखते हुए हमने इस बार यहां पर पूसा बासमती 1637 धान मंगवाया है. इस प्रजाति की खासियत है कि इस प्रजाति में झोंका रोग का ज्यादा असर नहीं होता है. साथ ही अगर कृषि क्रियाओं को सही से किया जाए तो इसमें 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार भी की जा सकती है. इसलिए किसानों से अपील है की धान की प्रजातियां सरकारी बीज भंडारों में उपलब्ध हैं, जिस पर सरकार की तरफ से 80% तक का अनुदान भी है.

बांदा: वैसे तो बुंदेलखंड का क्षेत्र सूखा क्षेत्र नाम से जाना जाता है, लेकिन जिले के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां पानी की पर्याप्त सुविधा है और यहां पर धान की पैदावार भी खूब होती है. वहीं धान की पूसा बासमती की प्रजाति यहां के लिए सबसे ज्यादा आय देने वाली प्रजाति उभर कर सामने आई है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और इसके लिए इस बार कृषि विभाग की तरफ से इस प्रजाति के धान को किसानों को सब्सिडी के साथ उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर इस प्रजाति को यहां के किसान रोपेंगे तो इनकी आय अच्छी होगी.

किसानों को पूसा बासमती से फायदा

बता दें कि जिले के अतर्रा और नरैनी क्षेत्र में धान की पैदावार होती है. वहीं पिछले कुछ सालों में यहां के किसानों ने प्रयोग के तौर पर धान की पूसा बासमती प्रजाति को अपने खेतों में बोया और उन्हें इससे दूसरी धान की प्रजातियों की तुलना में लगभग बराबर का उत्पादन मिला. पूसा बासमती धान दूसरे दानों की तुलना में ज्यादा कीमती होता है, जिससे यहां के किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ है. इसको देखते हुए इस बार कृषि विभाग इस प्रजाति को सरकारी बीज भंडारों में किसानों के लिए अनुदान पर उपलब्ध करा रहा है, जिससे यहां के किसानों की आय बढ़ सके.

जिला कृषि अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि पिछले 5 सालों में यहां पर बासमती धान की अच्छी पैदावार हुई है. खासतौर पर पूसा बासमती 1121 जो 140 से 145 दिनों में तैयार हो जाता है. इस कारण इस प्रजाति की तरफ किसानों का रुझान ज्यादा रहा है. अभी तक किसानों को यह बीज सरकारी बीज भंडारों से उपलब्ध नहीं हो रहा था.

भारत सरकार की तरफ से भौगोलिक चिन्हांकन में बुंदेलखंड बासमती के लिए पूरी तरह से अनुकूलित नहीं है फिर भी यहां के किसानों का जो अनुभव रहा है, उससे उन्हें इस प्रजाति को पैदा करने से ज्यादा मुनाफा हुआ है. यह धान दूसरे धान की अपेक्षा ज्यादा मुनाफा देने वाला है, इसीलिए किसानों की मांग को देखते हुए हमने इस बार यहां पर पूसा बासमती 1637 धान मंगवाया है. इस प्रजाति की खासियत है कि इस प्रजाति में झोंका रोग का ज्यादा असर नहीं होता है. साथ ही अगर कृषि क्रियाओं को सही से किया जाए तो इसमें 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार भी की जा सकती है. इसलिए किसानों से अपील है की धान की प्रजातियां सरकारी बीज भंडारों में उपलब्ध हैं, जिस पर सरकार की तरफ से 80% तक का अनुदान भी है.

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