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बुंदेलखंड की मिट्टी में कबड्डी खेल जूनियर इंडिया कैंप तक पहुंची बेटी - जूनियर इंडिया कैंप में चुनी गई प्रियंका

बुंदेलखंड के किसान परिवार में जन्मी प्रियंका यहां की माटी में कबड्डी खेलते-खेलते बड़ी उपलब्धी हासिल कर ली है. अब उसका चयन इंडिया जूनियर कैंप के लिए हुआ है. प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिताओं में 'पंगा' ले चुकी प्रियंका की कामयाबी पर उनके परिजन ही नहीं बल्कि पूरा गांव खुश है.

जूनियर इंडिया कैंप में चुनी गई प्रियंका.
जूनियर इंडिया कैंप में चुनी गई प्रियंका.
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Published : Nov 14, 2020, 4:25 AM IST

बांदा: बुंदेलखंड की बंजर भूमि भले ही अन्न का अच्छा उत्पादन ना करती हो, लेकिन यहां प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. बस जरूरत है तो यहां की प्रतिभाओं को उचित मार्गदर्शन, मंच व सुविधाएं देने की. इस पिछड़े क्षेत्र में बचपन से कबड्डी की शौकीन प्रियंका यादव ने अपने इस खेल को आगे बढ़ाने का लक्ष्य बनाया है. अपनी मेहनत व परिवार के सहयोग से प्रियंका का सेलेक्शन जूनियर इंडिया कैंप में हुआ है. हालांकि जैसे-जैसे प्रियंका की उम्र बढ़ रही है वैसे-वैसे उनके सामने परेशानियां भी आ रही हैं. जहां एक तरफ साधारण किसान परिवार में जन्मी प्रियंका को अपने इस खेल को आगे ले जाने के लिए आर्थिक रूप से परेशान होना पड़ रहा है.

कबड्डी खेल प्रियंका पहुंची जूनियर इंडिया कैंप तक

जूनियर इंडिया कैंप में अपनी लगन और मेहनत से बनाई जगह

शहर कोतवाली क्षेत्र के जरेली कोठी इलाके की रहने वाली प्रियंका यादव के पिता राजा भैया यादव एक साधारण किसान हैं. प्रियंका को बचपन से ही कबड्डी खेलने का शौक था और मोहल्ले से खेलते-खेलते प्रियंका राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की कबड्डी प्रतियोगिता में शामिल होने लगी. इसके बाद घर से कुछ दूर पर स्थित स्टेडियम में जाकर कबड्डी की प्रैक्टिस करने लगी. यहां कमल यादव नाम के कोच ने प्रियंका के जज्बे को देखते हुए उसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया. इसके बाद प्रियंका ने जनपद स्तरीय, मण्डल स्तरीय व प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और कई बार मेडल भी जीते. साल 2017 में प्रियंका का आगरा हॉस्टल में भी चयन हुआ था, लेकिन परिवारिक दिक्कतों के चलते उन्हें वहां से लौट कर आना पड़ा. बावजूद प्रियंका की हिम्मत और लगन में कोई कमी नहीं आई. अब उनका चयन जूनियर इंडिया कैंप के लिए हुआ है.

प्रियंका अपनी मां और बहन के साथ.
प्रियंका अपनी मां और बहन के साथ.

प्रियंका का सपना है इंडिया टीम से खेलना

प्रियंका के परिजनों ने बताया कि प्रियंका को बचपन से ही कबड्डी खेलने का शौक था. जिसका उन्होंने खूब सपोर्ट किया और आज उनकी बेटी ने जूनियर इंडिया कैंप में अपनी जगह बनाई है. इससे परिवार के सभी सदस्य बेहद खुश है. उन्होंने बताया कि साधारण किसान परिवार होने के चलते हमें कई तरह की दिक्कतें भी आ रही हैं. जहां एक तरफ पैसों की कमी के चलते हम प्रियंका को अच्छी कोचिंग व अच्छी सुविधाएं मुहैया नहीं करा पा रहे हैं. साथ ही उसकी बढ़ती उम्र को देखते हुए समाज के लोगों से भी तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. फिर भी हम प्रियंका को सहयोग कर रहे हैं और हम आगे उसे देश का नाम रोशन करते देखना चाहते हैं.

मैदान में टीम के साथ कबड्डी खेलती प्रियंका.
मैदान में टीम के साथ कबड्डी खेलती प्रियंका.

प्रियंका ने बताया कि उसे बचपन से ही कबड्डी खेलने का शौक था. कक्षा 6 में ही प्रियंका ने इस खेल में करियर बनाने का निश्चय किया. वह पिछले 6 सालों से कबड्डी खेल रही है. इस दौरान उसने कई राज्यों में जाकर कई मैच खेलें. टीम में लड़कियों को ज्यादा अच्छे खेलते देख प्रियंका की हिम्मत और बढ़ती है. अब प्रियंका का चयन जूनियर इंडिया कैंप में हुआ है.

मीडिया से बातचीत करती प्रियंका.
मीडिया से बातचीत करती प्रियंका.

दूसरे अभिभावकों को भी यही सोचना चाहिए कि उनके बच्चे क्या करना चाहते हैं, जिस चीज में बच्चों की रुचि हो उसे आगे ले जाने में अभिभावकों को मदद करनी चाहिए. अभी तक तो मेरे अभिभावक सपोर्ट कर रहे थे, लेकिन अब वे कहते हैं कि तुम बड़ी हो रही हो और अब नहीं खेलना, लेकिन फिर भी अभी उनका सहयोग मिल रहा है.

-प्रियंका, कबड्डी खिलाड़ी

बांदा: बुंदेलखंड की बंजर भूमि भले ही अन्न का अच्छा उत्पादन ना करती हो, लेकिन यहां प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. बस जरूरत है तो यहां की प्रतिभाओं को उचित मार्गदर्शन, मंच व सुविधाएं देने की. इस पिछड़े क्षेत्र में बचपन से कबड्डी की शौकीन प्रियंका यादव ने अपने इस खेल को आगे बढ़ाने का लक्ष्य बनाया है. अपनी मेहनत व परिवार के सहयोग से प्रियंका का सेलेक्शन जूनियर इंडिया कैंप में हुआ है. हालांकि जैसे-जैसे प्रियंका की उम्र बढ़ रही है वैसे-वैसे उनके सामने परेशानियां भी आ रही हैं. जहां एक तरफ साधारण किसान परिवार में जन्मी प्रियंका को अपने इस खेल को आगे ले जाने के लिए आर्थिक रूप से परेशान होना पड़ रहा है.

कबड्डी खेल प्रियंका पहुंची जूनियर इंडिया कैंप तक

जूनियर इंडिया कैंप में अपनी लगन और मेहनत से बनाई जगह

शहर कोतवाली क्षेत्र के जरेली कोठी इलाके की रहने वाली प्रियंका यादव के पिता राजा भैया यादव एक साधारण किसान हैं. प्रियंका को बचपन से ही कबड्डी खेलने का शौक था और मोहल्ले से खेलते-खेलते प्रियंका राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की कबड्डी प्रतियोगिता में शामिल होने लगी. इसके बाद घर से कुछ दूर पर स्थित स्टेडियम में जाकर कबड्डी की प्रैक्टिस करने लगी. यहां कमल यादव नाम के कोच ने प्रियंका के जज्बे को देखते हुए उसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया. इसके बाद प्रियंका ने जनपद स्तरीय, मण्डल स्तरीय व प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और कई बार मेडल भी जीते. साल 2017 में प्रियंका का आगरा हॉस्टल में भी चयन हुआ था, लेकिन परिवारिक दिक्कतों के चलते उन्हें वहां से लौट कर आना पड़ा. बावजूद प्रियंका की हिम्मत और लगन में कोई कमी नहीं आई. अब उनका चयन जूनियर इंडिया कैंप के लिए हुआ है.

प्रियंका अपनी मां और बहन के साथ.
प्रियंका अपनी मां और बहन के साथ.

प्रियंका का सपना है इंडिया टीम से खेलना

प्रियंका के परिजनों ने बताया कि प्रियंका को बचपन से ही कबड्डी खेलने का शौक था. जिसका उन्होंने खूब सपोर्ट किया और आज उनकी बेटी ने जूनियर इंडिया कैंप में अपनी जगह बनाई है. इससे परिवार के सभी सदस्य बेहद खुश है. उन्होंने बताया कि साधारण किसान परिवार होने के चलते हमें कई तरह की दिक्कतें भी आ रही हैं. जहां एक तरफ पैसों की कमी के चलते हम प्रियंका को अच्छी कोचिंग व अच्छी सुविधाएं मुहैया नहीं करा पा रहे हैं. साथ ही उसकी बढ़ती उम्र को देखते हुए समाज के लोगों से भी तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. फिर भी हम प्रियंका को सहयोग कर रहे हैं और हम आगे उसे देश का नाम रोशन करते देखना चाहते हैं.

मैदान में टीम के साथ कबड्डी खेलती प्रियंका.
मैदान में टीम के साथ कबड्डी खेलती प्रियंका.

प्रियंका ने बताया कि उसे बचपन से ही कबड्डी खेलने का शौक था. कक्षा 6 में ही प्रियंका ने इस खेल में करियर बनाने का निश्चय किया. वह पिछले 6 सालों से कबड्डी खेल रही है. इस दौरान उसने कई राज्यों में जाकर कई मैच खेलें. टीम में लड़कियों को ज्यादा अच्छे खेलते देख प्रियंका की हिम्मत और बढ़ती है. अब प्रियंका का चयन जूनियर इंडिया कैंप में हुआ है.

मीडिया से बातचीत करती प्रियंका.
मीडिया से बातचीत करती प्रियंका.

दूसरे अभिभावकों को भी यही सोचना चाहिए कि उनके बच्चे क्या करना चाहते हैं, जिस चीज में बच्चों की रुचि हो उसे आगे ले जाने में अभिभावकों को मदद करनी चाहिए. अभी तक तो मेरे अभिभावक सपोर्ट कर रहे थे, लेकिन अब वे कहते हैं कि तुम बड़ी हो रही हो और अब नहीं खेलना, लेकिन फिर भी अभी उनका सहयोग मिल रहा है.

-प्रियंका, कबड्डी खिलाड़ी

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