बांदा: दलहन और तिलहन का कटोरा कहे जाने वाले बुंदेलखंड में दलहन और तिलहन की खेती फिर से पुरानी दिनों जैसी हो, इसको लेकर मंगलवार को विश्व दलहन दिवस के मौके पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन हुआ. जिले में पहली बार आयोजित हुए इस सम्मेलन में देश और प्रदेश भर के पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित 10 किसानों ने हिस्सा लिया. वहीं देश और प्रदेश के कई कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ भी इस अरहर सम्मेलन में शामिल हुए. उन्होंने किसानों को उनकी आय को दोगुनी करने से संबंधित खेती करने के गुर बताए.
खास बात यह रही कि सम्मेलन का आयोजन अरहर की खेती के किनारे किया गया, जहां पर सरकारी विभागों के भी कई पंडाल लगाकर किसानों के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं के बारे में जानकारियां दी गई. इस मौके पर आसपास के जनपदों के हजारों की तादात में किसान यहां एकत्रित हुए, जिन्होंने इस सम्मेलन में विशेषज्ञों के द्वारा दी जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारियों को सुना. वहीं कार्यक्रम में आए हुए वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और किसानों का जिलाधिकारी ने स्वागत व सम्मान किया.
आपको बता दें, विश्व दलहन दिवस के मौके पर बांदा की कालिंजर कस्बे में अरहर सम्मेलन का आयोजन हुआ. जिसमें देश और प्रदेश के कई कृषि वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों समेत हजारों की तादात में लोगों ने हिस्सा लिया. यहां पर आए हुए प्रगतिशील किसानों ने बताया कि इस तरीके के कार्यक्रमों से यहां के किसानों को फायदा जरूर मिलेगा. उन्होंने बताया कि यहां का दलहन और तिलहन पूर्ण तरह से जैविक है, जिसकी डिमांड विदेशों में है. मगर कुछ समस्याओं के चलते यहां का किसान परेशान हैं और अगर इसी तरह प्रशासन किसानों का सहयोग करता रहा तो यहां का किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकेगा. यहां के किसान को सीधे फसलों को न बेचकर उसको एक उत्पाद के रूप में बेचना चाहिए, जिससे उन्हें भी फायदा होगा.
इस कार्यक्रम में आए बांदा-चित्रकूट के सांसद आरके सिंह पटेल ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि किसानों की आय को 2022 तक दोगुनी कर दिया जाए. इसको लेकर कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. आज जिला प्रशासन द्वारा इस कार्यक्रम को किया गया है, जिसका मकसद यही है कि किसानों की आय को बढ़ाया जाए. इस तरह के सम्मेलन से यहां के किसानों को जरूर फायदा मिलेगा.
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वहीं जिलाधिकारी हीरा लाल ने बताया कि इस सम्मेलन को करने का उद्देश्य सिर्फ इतना था कि यहां के किसानों को खेती करने के नए-नए तरीकों के बारे में जानकारी मिल सके. साथ ही किसान अपने उत्पाद की आमदनी को कैसे बढ़ा सके, इसके बारे में उनको पता चल सके.