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बलरामपुर: जिले की आधी आबादी को नहीं मिल रही सार्वजनिक शौचालय की सुविधा

आधी आबादी को जिले में सार्वजनिक शौचालय की सुविधा नहीं मिल पा रही है. शहर में कई जगह इन पर ताला लगा हुआ दिखाई पड़ता है तो कुछ में गंदगी का अंबार. नगरीय क्षेत्र में आने वाले दुकान और शॉपिंग मॉल्स में भी बेहतर सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्थाएं नहीं है. इससे महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jun 27, 2019, 7:56 PM IST

बंद पड़ा शौचालय.

बलरामपुर: जिले की आधी आबादी को भले ही सुरक्षित और स्वच्छ सार्वजनिक शौचालय मुहैया करवाने के लिए मोदी सरकार ने साल 2014 में स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) की शुरुआत की हो. लेकिन बलरामपुर जिले के चार नगर निकाय तुलसीपुर, पचपेड़वा (नगर पंचायत), बलरामपुर और उतरौला (नगर पालिका) क्षेत्रों में तकरीबन छह सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण तो कराया गया है. किसी में ताले लटकते दिखाई देते हैं, तो किसी का निर्माण ही अभी अधूरा पड़ा है.

सार्वजिनक शौचालय न होने की वजह से महिलाओं को हो रही समस्याएं.

शौचालय न होने से हो रही समस्या:

  • नगर पालिका परिषद बलरामपुर में 5 सीटों वाला पिंक टॉयलेट बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालय में बना है.
  • इस शौचालय के लिए अभी तक इस शौचालय का गड्ढा तक नहीं बनाया जा सका है.
  • जिला मुख्यालय के बलरामपुर नगर पालिका परिषद के अंतर्गत कुल 60 सीटों के साथ 8 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है.
  • उतरौला नगर पालिका परिषद क्षेत्र में कुल 8 सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया गया है, जिनमें 35 सीटें हैं.
  • पचपेड़वा नगर पंचायत परिषद में एक पिंक टॉयलेट के साथ साथ 12 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है, जिनमें 69 सीटें हैं.
  • तुलसीपुर नगर पंचायत परिषद में कुल 8 टॉयलेट है, जिनमें 44 सीटें हैं.
  • इसके बावजूद जिले के नगरीय क्षेत्रों में आने वाली महिलाओं के लिए शौचालय संबंधी दिक्कतों का समस्या करना पड़ता है.

स्थानीय महिला रुचि अग्रवाल ने बताया कि शहर में एक शौचालय जो सड़क पर दिखाई देता है. वह भी अक्सर बंद ही रहता हैं. वहीं, अगर वह खुले भी मिल जाए तो उन में गंदगी की प्रॉब्लम होने की वजह से लोग नहीं जाते हैं. अगर हम आउट ऑफ सिटी ट्रेवल कर रहे हैं तो भी पेट्रोल पंप पर ही शौचालयों का प्रयोग करती हैं, क्योंकि वहां पर साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक ठाक रहती है. नगर पालिका परिषद द्वारा संचालित किए जाने वाले सार्वजनिक शौचालयों में साफ-सफाई की बहुत ज्यादा समस्या है.

जहां पर साफ-सफाई की दिक्कतें हैं. उन शौचालयों को हम तत्काल ठीक करवा देंगे. हम आपकी शिकायत पर जांच भी करवा लेंगे. अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जहां तक रही, शौचालयों के न खुले रहने की बात तो कुछ शौचालयों को 8 घंटे तो कुछ शौचालयों को चार-चार घंटे की शिफ्ट में बांटकर खोला जा रहा है, जबकि कुछ शौचालय 24 घंटे खुले रहते हैं.
-राकेश कुमार जायसवाल, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद

बलरामपुर: जिले की आधी आबादी को भले ही सुरक्षित और स्वच्छ सार्वजनिक शौचालय मुहैया करवाने के लिए मोदी सरकार ने साल 2014 में स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) की शुरुआत की हो. लेकिन बलरामपुर जिले के चार नगर निकाय तुलसीपुर, पचपेड़वा (नगर पंचायत), बलरामपुर और उतरौला (नगर पालिका) क्षेत्रों में तकरीबन छह सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण तो कराया गया है. किसी में ताले लटकते दिखाई देते हैं, तो किसी का निर्माण ही अभी अधूरा पड़ा है.

सार्वजिनक शौचालय न होने की वजह से महिलाओं को हो रही समस्याएं.

शौचालय न होने से हो रही समस्या:

  • नगर पालिका परिषद बलरामपुर में 5 सीटों वाला पिंक टॉयलेट बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालय में बना है.
  • इस शौचालय के लिए अभी तक इस शौचालय का गड्ढा तक नहीं बनाया जा सका है.
  • जिला मुख्यालय के बलरामपुर नगर पालिका परिषद के अंतर्गत कुल 60 सीटों के साथ 8 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है.
  • उतरौला नगर पालिका परिषद क्षेत्र में कुल 8 सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया गया है, जिनमें 35 सीटें हैं.
  • पचपेड़वा नगर पंचायत परिषद में एक पिंक टॉयलेट के साथ साथ 12 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है, जिनमें 69 सीटें हैं.
  • तुलसीपुर नगर पंचायत परिषद में कुल 8 टॉयलेट है, जिनमें 44 सीटें हैं.
  • इसके बावजूद जिले के नगरीय क्षेत्रों में आने वाली महिलाओं के लिए शौचालय संबंधी दिक्कतों का समस्या करना पड़ता है.

स्थानीय महिला रुचि अग्रवाल ने बताया कि शहर में एक शौचालय जो सड़क पर दिखाई देता है. वह भी अक्सर बंद ही रहता हैं. वहीं, अगर वह खुले भी मिल जाए तो उन में गंदगी की प्रॉब्लम होने की वजह से लोग नहीं जाते हैं. अगर हम आउट ऑफ सिटी ट्रेवल कर रहे हैं तो भी पेट्रोल पंप पर ही शौचालयों का प्रयोग करती हैं, क्योंकि वहां पर साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक ठाक रहती है. नगर पालिका परिषद द्वारा संचालित किए जाने वाले सार्वजनिक शौचालयों में साफ-सफाई की बहुत ज्यादा समस्या है.

जहां पर साफ-सफाई की दिक्कतें हैं. उन शौचालयों को हम तत्काल ठीक करवा देंगे. हम आपकी शिकायत पर जांच भी करवा लेंगे. अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जहां तक रही, शौचालयों के न खुले रहने की बात तो कुछ शौचालयों को 8 घंटे तो कुछ शौचालयों को चार-चार घंटे की शिफ्ट में बांटकर खोला जा रहा है, जबकि कुछ शौचालय 24 घंटे खुले रहते हैं.
-राकेश कुमार जायसवाल, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद

Intro:जिले की आधी आधी आबादी को भले ही सुरक्षित व स्वच्छ सार्वजनिक शौचालय मुहैया करवाने के लिए मोदी सरकार ने साल 2014 में स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) की शुरुआत की हो। और इसके तहत लक्ष्य साधकर यह कह दिया हो कि सभी महिलाओं को सार्वजनिक शौचालय मुहैया करवाया जाए। लेकिन बलरामपुर जिले में यह व्यवस्था शायद लागू नहीं होती। तभी तो जिले के चार नगर निकाय तुलसीपुर, पचपेड़वा (नगर पंचायत), बलरामपुर, उतरौला (नगर पालिका) क्षेत्रों में तकरीबन आधा दर्जन सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण तो कराया गया है। लेकिन किन्ही में ताले लटकते दिखाई देते हैं। तो किन्ही का निर्माण ही अभी अधूरा है। ऐसे में कैसे जिले के नगरीय क्षेत्रों में खरीदारी या पढ़ाई करने के लिए आने वाली महिलाओं को सार्वजनिक शौचालयों को मुहैया करवाने का दावा किया जा रहा है। यह अपने आप में सोचने वाली बात है।


Body:बलरामपुर जिले की नगर पालिका परिषद बलरामपुर में 5 सीटों वाला पिंक टॉयलेट बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालय में बन कर खड़ा तो हो गया है। लेकिन अभी तक इस शौचालय का गड्ढा तक नहीं बनाया जा सका है। इसलिए वह हाथी दांत साबित हो रहा है।
वहीं, जिला मुख्यालय के बलरामपुर नगर पालिका परिषद के अंतर्गत कुल 60 सीटों के साथ 8 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है। वहीं, अगर उतरौला नगर पालिका परिषद क्षेत्र की बात की जाए तो यहां पर कुल 8 सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया गया है, जिनमें 35 सीटें हैं। वहीं, अगर पचपेड़वा नगर पंचायत परिषद की बात की जाए तो यहां पर एक पिंक टॉयलेट के साथ साथ 12 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है, जिनमें 69 सीटें हैं।
वहीं, अगर तुलसीपुर नगर पंचायत परिषद की बात की जाए तो यहां पर कुल 8 टॉयलेट है, जिनमें 44 सीटें हैं।
इसके बावजूद पुलिस जिले के नगरीय क्षेत्रों में आने वाली महिलाओं के लिए शौचालय संबंधी दिक्कतों से रोज़ाना दो चार होना पड़ता है। उन्हें अगर किसी काम से बाजार में ज्यादा देर रुकना पड़ जाए तो उन्हें शौच से संबंधित तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। नगरीय क्षेत्र में आने वाले दुकान और शॉपिंग मॉल्स में भी बेहतर सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्थाएं नहीं है। ना ही भीड़भाड़ वाले तमाम जगहों पर इस तरह की कोई व्यवस्था नगर निकायों द्वारा की गई है, जिससे महिलाओं को सुरक्षित वातावरण में टॉयलेट जाने की सुविधा मिल सके।
जब इसी मामले हमने तुलसी पार्क इलाके में रहने वाली रूचि अग्रवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि शहर में एक शौचालय जो सड़क पर दिखाई देता है। वह भी अक्सर बंद ही रहता हैं। वहीं, अगर वह खुले भी मिल जाए तो उन में गंदगी की प्रॉब्लम होने की वजह से हम लोग सार्वजनिक शौचालयों में प्रिफर नहीं करते हैं। रुचि कहती हैं कि अगर हम आउट ऑफ सिटी ट्रेवल कर रहे हैं तो भी पेट्रोल पंप पर ही शौचालयों का यूज करती हैं। क्योंकि वहां पर साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक ठाक रहती है। जबकि नगर पालिका परिषद द्वारा संचालित किए जाने वाले सार्वजनिक शौचालयों में साफ-सफाई की बहुत ज्यादा प्रॉब्लम है।
वही तुलसी पार्क की ही रहने वाली सारिका ने हमसे बात करते हुए कहा कि हम लोग अगर बाजार जाते हैं और हमें इस तरह की प्रॉब्लम होती है। तो हम कितनी भी देर क्यों ना रुके रह जाए। फिर भी घर आने का ही वेट करते हैं, क्योंकि नगरीय क्षेत्र में बनाए गए शौचालयों में एक तो बहुत गंदगी होती है और दूसरे वह अधिकतर खुले नहीं मिलते।


Conclusion:वहीं जब हमने इस मुद्दे पर बलरामपुर नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी राकेश कुमार जयसवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि जहां पर साफ-सफाई की दिक्कतें हैं। उन शौचालयों को हम तत्काल ठीक करवा देंगे। वही हम आपकी शिकायत पर जांच भी करवा लेंगे और अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे कड़ी कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा।
वहीं, जहां तक रही, शौचालयों के ना खुले रहने की बात तो कुछ शौचालयों को 8 घंटे, तो कुछ शौचालयों को चार-चार घंटे की शिफ्ट में बांटकर खोला जा रहा है। जबकि कुछ शौचालय 24 घंटे रनिंग रहते हैं।
ऐसे में आपको अंदाजा लग सकता है कि किस तरह से जिले के नगर निकाय महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति सजग हैं। महिलाओं को ज्यादा देर तक शौच या पेशाब संबंधी परेशानियां अगर होती रहती है तो उन्हें पेशाब में जलन, जल्दी जल्दी पेशाब का आना, किडनी से संबंधित रोग व यकृत से संबंधित रोगों का सामना करना पड़ सकता है। फिर भी जिले के आला अधिकारी कुंभकरण की नींद में सोते हुए लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
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