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बलरामपुर: खतरे का निशान पार करने वाली राप्ती नदी का घट रहा जलस्तर

भारी बारिश की वजह से जिले से गुजरने वाली राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चल रहा था.अब नदी का जलस्तर घट रहा है. इसके बावजूद नदी के तटीय ग्रामीण इलाकों के लोगों की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं. तुलसीपुर तहसील और नेपाल को जोड़ने वाला नेशनल हाई वे 730 अभी भी बंद है.

बाढ़ से जनजीवन प्रभावित राप्ती का घटने लगा जलस्तर
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Published : Jul 18, 2019, 2:18 AM IST

बलरामपुर: एक दिन पहले जहां जिले से गुजरने वाली राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 34 सेंटीमीटर ऊपर था, अब नदी का जलस्तर प्रति घंटे 1 सेंटीमीटर की दर से घट रहा है. बावजूद इसके नदी के तटीय ग्रामीण इलाकों के लोगों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. बाढ़ के पानी के कारण तकरीबन जिले भर के 100 गांव घिरे हुए हैं.

डूबने से हुई रामतीरथ की मौत:
कोतवाली उतरौला क्षेत्र के महुआधनी के निवासी गुड्डू पुत्र रामतीरथ की मौत बाढ़ के पानी में डूबने के कारण हो गई है. मृतक देवरिया अर्जुन से अपने गांव की तरफ जा रहे था. रास्ते में नहर के पास तेज बहाव में बह गया. काफी मशक्कत के बाद उसके शव को ढूंढा जा सका.

नेशनल हाई-वे 730 भी बंद:
जिले से तुलसीपुर तहसील और नेपाल को जोड़ने वाला नेशनल हाई वे 730 अभी भी बंद है. बेल्हामोड़ के पास तेज बहाव के कारण रास्ते को अभी भी सामान्य रूप से शुरू नहीं किया जा सका है. गौरा-तुलसीपुर चौराहा के बीच भी आवागमन पूरी तरह से ठप पड़ा है. गौरा-तुलसीपुर मार्ग पर स्थित दतरंगवा डिप पर पानी का बहाव तेज होने के कारण आवागमन बंद है. इस क्षेत्र के कम से कम 25 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं. वहीं ललिया हरिहरगंज मार्ग पर लौवकहवा, जदही, और खैरपुरवा के पास डिपों पर तेजी से पानी चल रहा है. यहां पर नाव लगाकर आवागमन की व्यवस्था की जा रही गई है. क्षेत्र के अधिकतर गांव बाढ़ से प्रभावित हैं.

अगर उतरौला क्षेत्र की बात करें तो यहां पर स्थिति बेहद विकट होती जा रही है. रविवार और सोमवार को राप्ती नदी के बढ़े जलस्तर के कारण 60 से अधिक गांव के संपर्क मार्ग बंद हो चुके हैं. इसके चलते लोग नाव से आने-जाने पर मजबूर हैं. पानी को देखते हुए उतरौला-पचपेड़वा मार्ग पर आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.

प्रशासन के प्रयास बाढ़ पीड़ितों के लिए नाकाफी:
इस दौरान प्रशासन जहां अपने से बेहतर प्रयासों की बात कर रहा है, वहीं जमीन पर लोग प्रशासन के माध्यम से पहुंचाई जा रही मदद से संतुष्ट नजर नहीं हैं. इस बारे में बात करते हुए बलरामपुर सदर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम सभा दतरंगवा के निवासी जंग बहादुर वर्मा कहते हैं कि, प्रशासन के पहुंचाई जा रही मदद नाकाफी है. हम लोग जब से बाढ़ से घिरे हैं, तब से यहां पर अधिकारी देखने तक नहीं आए. गांव का रास्ता पूरी तरह से बंद है. हम हर साल बाढ़ में इसी तरह घिर जाते हैं.

अधिकारियों ने नहीं किया गांव का रुख:
सदर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम वीरपुर के निवासी मनोज कुमार भारती का कहना है कि जब से बांध बना है. यहां पर करोड़ों रुपए लगा दिए गए हैं. फिर भी हम लोगों को बाढ़ से राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है. हम लोगों की सैकड़ों बीघा गन्ने का फसल जलमग्न हो गया. तकरीबन 50 बीघे गन्ना पूरी तरह से डूब गया है. इस दौरान प्रशासन की ओर से ना तो कोई मदद पहुंचाई जा रही है, ना अधिकारी गावों की तरफ रुख कर रहे हैं.

जिलाधिकारी बोले अब स्थिति सामान्य हो रही है:
मामले पर जिलाधिकारी कृष्णा करने का कहना है कि बाढ़ से पीड़ित सभी गांवों को हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है. जहां-जहां डिपों पर तेज बहाव के कारण रास्ते बंद हैं, वहां तकरीबन 40 नावों को डिप्लॉय किया गया है. जिसके जरिए आवागमन सुचारू बनाया जा रहा है. वहीं राप्ती नदी का जलस्तर घटने से गांवों से पानी निकलना शुरू हो गया है. अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. इस दौरान प्रशासन की पूरी तैयारी है, जहां भी बाढ़ की स्थिति है, हम पूरी सजगता के साथ काम कर रहे हैं.

बलरामपुर: एक दिन पहले जहां जिले से गुजरने वाली राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 34 सेंटीमीटर ऊपर था, अब नदी का जलस्तर प्रति घंटे 1 सेंटीमीटर की दर से घट रहा है. बावजूद इसके नदी के तटीय ग्रामीण इलाकों के लोगों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. बाढ़ के पानी के कारण तकरीबन जिले भर के 100 गांव घिरे हुए हैं.

डूबने से हुई रामतीरथ की मौत:
कोतवाली उतरौला क्षेत्र के महुआधनी के निवासी गुड्डू पुत्र रामतीरथ की मौत बाढ़ के पानी में डूबने के कारण हो गई है. मृतक देवरिया अर्जुन से अपने गांव की तरफ जा रहे था. रास्ते में नहर के पास तेज बहाव में बह गया. काफी मशक्कत के बाद उसके शव को ढूंढा जा सका.

नेशनल हाई-वे 730 भी बंद:
जिले से तुलसीपुर तहसील और नेपाल को जोड़ने वाला नेशनल हाई वे 730 अभी भी बंद है. बेल्हामोड़ के पास तेज बहाव के कारण रास्ते को अभी भी सामान्य रूप से शुरू नहीं किया जा सका है. गौरा-तुलसीपुर चौराहा के बीच भी आवागमन पूरी तरह से ठप पड़ा है. गौरा-तुलसीपुर मार्ग पर स्थित दतरंगवा डिप पर पानी का बहाव तेज होने के कारण आवागमन बंद है. इस क्षेत्र के कम से कम 25 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं. वहीं ललिया हरिहरगंज मार्ग पर लौवकहवा, जदही, और खैरपुरवा के पास डिपों पर तेजी से पानी चल रहा है. यहां पर नाव लगाकर आवागमन की व्यवस्था की जा रही गई है. क्षेत्र के अधिकतर गांव बाढ़ से प्रभावित हैं.

अगर उतरौला क्षेत्र की बात करें तो यहां पर स्थिति बेहद विकट होती जा रही है. रविवार और सोमवार को राप्ती नदी के बढ़े जलस्तर के कारण 60 से अधिक गांव के संपर्क मार्ग बंद हो चुके हैं. इसके चलते लोग नाव से आने-जाने पर मजबूर हैं. पानी को देखते हुए उतरौला-पचपेड़वा मार्ग पर आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.

प्रशासन के प्रयास बाढ़ पीड़ितों के लिए नाकाफी:
इस दौरान प्रशासन जहां अपने से बेहतर प्रयासों की बात कर रहा है, वहीं जमीन पर लोग प्रशासन के माध्यम से पहुंचाई जा रही मदद से संतुष्ट नजर नहीं हैं. इस बारे में बात करते हुए बलरामपुर सदर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम सभा दतरंगवा के निवासी जंग बहादुर वर्मा कहते हैं कि, प्रशासन के पहुंचाई जा रही मदद नाकाफी है. हम लोग जब से बाढ़ से घिरे हैं, तब से यहां पर अधिकारी देखने तक नहीं आए. गांव का रास्ता पूरी तरह से बंद है. हम हर साल बाढ़ में इसी तरह घिर जाते हैं.

अधिकारियों ने नहीं किया गांव का रुख:
सदर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम वीरपुर के निवासी मनोज कुमार भारती का कहना है कि जब से बांध बना है. यहां पर करोड़ों रुपए लगा दिए गए हैं. फिर भी हम लोगों को बाढ़ से राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है. हम लोगों की सैकड़ों बीघा गन्ने का फसल जलमग्न हो गया. तकरीबन 50 बीघे गन्ना पूरी तरह से डूब गया है. इस दौरान प्रशासन की ओर से ना तो कोई मदद पहुंचाई जा रही है, ना अधिकारी गावों की तरफ रुख कर रहे हैं.

जिलाधिकारी बोले अब स्थिति सामान्य हो रही है:
मामले पर जिलाधिकारी कृष्णा करने का कहना है कि बाढ़ से पीड़ित सभी गांवों को हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है. जहां-जहां डिपों पर तेज बहाव के कारण रास्ते बंद हैं, वहां तकरीबन 40 नावों को डिप्लॉय किया गया है. जिसके जरिए आवागमन सुचारू बनाया जा रहा है. वहीं राप्ती नदी का जलस्तर घटने से गांवों से पानी निकलना शुरू हो गया है. अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. इस दौरान प्रशासन की पूरी तैयारी है, जहां भी बाढ़ की स्थिति है, हम पूरी सजगता के साथ काम कर रहे हैं.

Intro:एक दिन पहले जहां जिले से गुजरने वाली राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान स3 34 सेंटीमीटर ऊपर ऊपर था। वहीं, अब प्रति घंटे 1 सेंटीमीटर की दर से जलस्तर घट रहा है। लेकिन नदी के तटीय ग्रामीण इलाकों के लोगों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। बाढ़ के पानी के कारण तकरीबन जिलेभर के 100 गांव घिरे हुए हैं।
कोतवाली उतरौला क्षेत्र के महुआधनी के निवासी गुड्डू पुत्र रामतीरथ की मौत बाढ़ के पानी में डूबने के कारण हो गई है। मृतक देवरिया अर्जुन से अपने गांव की तरफ जा रहा था। रास्ते में नहर के पास डिप पर तेज बहाव में वह बह गया। काफी मशक्कत के बाद उसके शव को ढूंढा जा सका।
वहीं, जिले से तुलसीपुर तहसील और नेपाल को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे 730 अभी भी बंद है। बेल्हामोड़ के पास तेज बहाव के कारण रास्ते को अभी भी सामान्य रूप से शुरू नहीं किया जा सका है। गौरा चौराहा-तुलसीपुर के बीच भी आवागमन पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। गौरा-तुलसीपुर मार्ग पर स्थित दतरंगवा डिप पर पानी का बहाव तेज होने के कारण वहां पर आवागमन बंद है। वहीं, इस क्षेत्र के कम से कम 25 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। वहीं, ललिया हरिहरगंज मार्ग पर लौवकहवा, जदही, व खैरपुरवा के पास डिपों पर तेजी से पानी चल रहा है। यहां पर नाव लगाकर आवागमन की व्यवस्था की जा रही गई है। वही, इस क्षेत्र के अधिकतर गांव बाढ़ से प्रभावित नज़र आते हैं।
श्रीदत्तगंज के बभनपूर्वा व परसिया गांव में राप्ती नदी तेजी से कटान कर रही है। इस इलाके के कई गांवों में पानी भरने लगा है।


Body:वहीं अगर उतरौला क्षेत्र की बात करें तो यहां पर स्थिति बेहद विकट होती जा रही है रविवार और सोमवार को राप्ती नदी के बढ़े जलस्तर के कारण 5 दर्जन से अधिक गांव के संपर्क मार्ग बंद हो चुके हैं। लोग नाव से आने जाने पर मजबूर हैं। पानी को देखते हुए उतरौला पचपेड़वा मार्ग पर आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
इस दौरान प्रशासन जहां अपने से बेहतर प्रयासों की बात कर रहा है वहीं जमीन पर लोग प्रशासन द्वारा पहुंचाई जा रही मदद से संतुष्ट नज़र नहीं आते हैं।
इस बारे में बात करते हुए बलरामपुर सदर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम सभा दतरंगवा के निवासी जंग बहादुर वर्मा कहते हैं कि प्रशासन द्वारा पहुंचाई जा रही मदद नाकाफी है। हम लोग जब से बाढ़ से घिरे हैं, तब से यहां पर अधिकारी देखने तक नहीं आए हैं। गांव का रास्ता पूरी तरह से बंद है। हम हर साल बाढ़ में इसी तरह घिर जाते हैं।
सदर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम वीरपुर के निवासी मनोज कुमार भारती बताते हैं कि जब से बंधा बना है। तब से यहां पर करोड़ों रुपए लगा दिए गए हैं। फिर भी हम लोगों को बाहर से लाल राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। एक दो जगह फूट गया है। इस कारण हम लोगों का सैकड़ों बीघा गन्ने का फसल जलमग्न हो गया है। अब फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है।
वह कहते हैं कि मेरा ही तकरीबन 50 बीघे गणना पूरी तरह से डूब कर जल गया है। इस दौरान प्रशासन द्वारा न तो कोई मदद पहुंचाई जा रही है। ना अधिकारी गावों की तरफ रुख कर रहे हैं।


Conclusion:वहीं, इस मामले पर जब हमने जिलाधिकारी कृष्णा करने से बात की तो उन्होंने कहा कि बाढ़ से पीड़ित सभी गांवों को हर संभव मदद पहुँचाई जा रही है। जहां-जहां डिपों पर तेज बहाव के कारण रास्ते बंद हैं। वहां पर तकरीबन 40 नावों को डिप्लॉय किया गया है। जिसके जरिए आवागमन सुचारू बनाया जा रहा है। वहीं, राप्ती नदी का जलस्तर घट रहा है, जिसके कारण गांवों से पानी निकलना शुरू हो गया है। जिन गांवों के बाहर पानी भरा हुआ था, वहां अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।
वह कहते हैं इस दौरान प्रशासन की पूरी तैयारी है, जहां भी बाढ़ की स्थिति है। हम पूरी सजगता के साथ काम कर रहे हैं। किसी भी तरह की जन और धन हानि होने की समस्या को हम नहीं पैदा होने दे रहे हैं।
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