बलरामपुर: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने वाले हैं. इस कारण से गांवों में लगातार समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं. गांवों में पंचायत चुनावों के उम्मीदवारों के द्वारा जातीय समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है. ईटीवी भारत की टीम ने बलरामपुर जिले के रामपुर बंघुसरा जिला पंचायत वार्ड के अंतर्गत आने वाले गोंदीपुर गांव का दौरा किया. यहां विकास कार्यों पर बातचीत में लोग असंतुष्ट दिखाई दिए, जबकि आने वाले चुनावों में जातीय समीकरण को धता बताते हुए लोगों ने विकास कार्यों पर वोट देने में रुचि दिखाई.
क्या कहते हैं आंकड़ें
जिला पंचायत रामपुर बनघुसरा के अंतर्गत तकरीबन 1,48,000 वोटर आते हैं. इसकी जनसंख्या तकरीबन ढाई लाख बताई जाती है. जिला पंचायत रामपुर बनघुसरा में 23 गांव शामिल हैं. यह इलाका हर साल बाढ़ की चपेट में आ जाता है. यहां पर मुख्य समस्या सड़क, नाली, बिजली, पीने के पानी सहित उन तमाम योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने की है, जिसके जरिए लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सकता है.
क्या कहते हैं गोंदीपुर के आंकड़े
जिला मुख्यालय से तकरीबन 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोंदीपुर ग्राम सभा में 3,500 लोगों की जनसंख्या है. यहां पर तकरीबन 1900 वोटर हैं. पिछली बार यह सीट सुरक्षित थी. यहां से शेषराम नाम के व्यक्ति को प्रधान चुना गया था.
5 वर्ष के कार्यकाल के बारे में प्रधान प्रतिनिधि बृजेंद्र सिंह बताते हैं कि हमने तमाम कार्यों में अच्छी प्रगति की. लेकिन सड़कों का आभाव आज भी बना है. हमारे यहां नालियों की कमी है. साफ-सफाई भी नहीं हो पाती है, क्योंकि सफाई कर्मी अक्सर छुट्टी पर होते हैं.
गोंदीपुर ग्रामसभा में अगर लाभान्वित लोगों की बात की जाए तो आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 159 लोगों को लाभ दिया गया, जबकि प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के अंतर्गत 327 महिलाओं को गैस सिलेंडर और चूल्हा दिया गया. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 57 लोगों को आवास की सुविधा उपलब्ध करवाई गई, जबकि गांव के 387 लोगों को पात्र गृहस्थी राशन कार्ड उपलब्ध करवाया गया और 31 लोगों को अंत्योदय राशन कार्ड उपलब्ध करवाया गया है.
स्वच्छता में फिसड्डी है ये गांव
वहीं अगर स्वच्छता की बात की जाए तो गांव में 215 निजी शौचालय बनवाए गए, जबकि गांव में अभी तक एक भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण नहीं करवाया जा सका है. इस गांव के तीनों मज़रे भी सार्वजनिक शौचालय से विहीन हैं. गांव में पंचायत भवन और ग्राम सचिवालय भवन भी बना हुआ है. लेकिन स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. कुल मिलाकर यह गांव स्वच्छता के मामले में फिसड्डी साबित हो रहा है.
बच्चों के लिए भी असुविधा
गांव में 3 आंगनबाड़ी केंद्र होने चाहिए, जबकि एक आंगनबाड़ी केंद्र ही बन पाया है. गांव में एक प्राथमिक व एक उच्च प्राथमिक विद्यालय है. उसकी भी स्थिति अच्छी नहीं है. ओवरहेड टैंक के जरिए स्वच्छ पानी की सप्लाई सुनिश्चित की जानी है, लेकिन वह भी पिछले वित्तीय वर्ष से निर्माणाधीन है.
समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं
ग्रामीण बताते हैं कि हमें तमाम तरह की समस्याएं हैं, फिर भी कोई सुनने वाला नहीं है. गांव में सड़कों नालियों व पेयजल की सुविधाओं का अभाव है. साफ-सफाई भी समय से नहीं हो सकती हो पाती है. इसलिए पूरे गांव में गंदगी पसरी रहती है.
ग्रामीण बताते हैं कि हमारे यहां सड़कों व नालियों की बड़ी समस्या है. हर बार जब बरसात का पानी यहां पर भरता है तो पूरा गांव जलमग्न हो जाता है. जलमग्न होने के कारण सड़कें हर बार टूट जाती है, जिसका निर्माण व मरम्मत काफी समय से नहीं हो सका है. इसके साथ ही नालियों का निर्माण ना होने के कारण गंदगी बनी रहती है.
नहीं मिली पेंशन की सुविधा
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि लोगों को पेंशन वगैरह जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं, जो उम्मीदवार हमें इन सुविधाओं को दिलाने का वायदा करेगा, हम उसे ही इस बार चुनकर भेजेंगे.
रोजगार की सुविधा मिले तो आए बदलाव
गांव के युवा बताते हैं कि गांव में रोजगार का कोई संसाधन ना होने के कारण अधिकतर परिवारों के युवा बड़े शहरों को पलायन कर जाते हैं. यह समस्या पिछले कई दशकों से गांव में बनी हुई है. जिला मुख्यालय के पास होने के बावजूद भी गांव में रोजगार के संसाधन आज तक उपलब्ध नहीं हो सके हैं. हम ऐसे प्रत्याशी को वोट करेंगे जो गांव में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने की दिशा में काम कर सके.
गंदगी से मिले निज़ात
महिलाएं बताती हैं कि गांव में गंदगी बहुत ज्यादा है. साफ-सफाई ना हो पाने के कारण आए दिन समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. इस कारण परिवार में बीमारी फैलने का डर भी बना रहता है, जो हमें इन चीजों से निजात दिलाएगा हम उसे वोट करेंगे.
आवास की मिले सुविधा तो बेहतर हो ज़िंदगी
एक अन्य महिला कहती हैं कि हमारे यहां रहने की असुविधा है. गरीबी के कारण घर नहीं बन सका है. बड़े बेटे को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला, लेकिन दो अन्य बच्चे हैं, उन्हें किसी तरह का लाभ नहीं मिल सका है. वह आवास के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
क्या बोले प्रधान प्रतिनिधि
प्रधान प्रतिनिधि बृजेंद्र सिंह अपने कराए गए कार्य पर बात करते हुए कहते हैं कि इसी वित्तीय वर्ष में हम हमने मनरेगा के तहत 62 लाख रुपये का काम करवाया है. गांव के लोगों को रोजगार दिया है. इसके साथ ही कई लोगों को आवास की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. काफी लोगों का आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत गोल्डन कार्ड बनवाया गया है, जो परिवार छूटे हैं, उन्हें सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी. इसके साथ ही तमाम परिवारों को राशन की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है. वह कहते हैं कि हम इस बार अपने कार्यों के बदौलत लोगों से वोट मागेंगे.
इस बार होगा बदलाव, विकास के लिए पड़ेगा वोट
कुल मिलाकर अगर स्थिति को देखा जाए तो ग्रामीण मौजूदा प्रधान व जिला पंचायत सदस्य के कार्यों से संतुष्ट नजर नहीं आते हैं. ग्रमीण कहते हैं कि हमारे क्षेत्र में जिला पंचायत सदस्य द्वारा किसी तरह का कोई बड़ा काम नहीं करवाया गया है.
ग्रामीण इस बार के चुनाव में बदलाव चाहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जो उम्मीदवार साफ-सफाई, सड़क नाली, पढ़ाई इत्यादि की व्यवस्था करेगा और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का वायदा करेगा. हम उसी को वोट करेंगे. इस बार जातीय गणित से ही ताल नहीं बैठने वाले, हम इस बार के चुनावों में केवल विकास कार्यों की खातिर ही वोट करेंगे.