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...इस गांव के वाशिंदे अभी भी मांग रहे हैं पिछड़ेपन से आजादी

विकास की दौड़ में पीछे रह गया है बलरामपुर जिला का हरैया सतघरवा ब्लॉक. अधिकारियों और नेताओं की उदासीनता के चलते जिले के 801 ग्रामसभाओं में अभी भी विकास की लौ नहीं जल सकी है.

पिछड़ेपन से आजादी मांगता हरैया सतघरवा ब्लॉक.
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Published : Nov 6, 2019, 3:07 PM IST

बलरामपुरः जिले के हरैया सतघरवा ब्लॉक में पड़ने वाला बरहवा गांव आज भी पिछड़ेपन का शिकार है. जहां ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हो सकी हैं. इस ग्रामसभा में 12 मजरे हैं, जिनमें से किसी भी मजरे में अभी तक मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं. नेपाल और जंगल के बीच बसे इस गांव के वाशिंदे सड़क, बिजली, पानी, पाठशाला और अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं.

पिछड़ेपन से आजादी मांगता हरैया सतघरवा ब्लॉक.

मूलभूत सुविधाओं का अभाव

ग्रामीण आरोप लगाते हुए कहते हैं कि यहां पर न तो सड़क है, न ही बिजली, न ही पानी की सुविधा है. पूरे गांव में केवल 2 सरकारी नल लगे हैं. वह भी पिछले 2 वर्षों से रिबोर तक नहीं हो सके हैं. इस कारण वे गंदा पानी पीने को मजबूर है. ग्रामीणों का कहना है कि इन सब विकास कार्यों के लिए जो पैसा आता है, वह ग्राम प्रधान प्रतिनिधि लवकुश और सेक्रेटरी मिलकर खा जाते हैं.

बाकायदा कागजात दिखाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि पिछले 3 वर्षों से गांव के दोनों छोर पर बने पुलों की रिपेयरिंग के लिए पैसा आ रहा है, लेकिन वह पुल अभी भी नहीं बन सका. इस गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी काफी धांधली की जाती है. ग्राम प्रधान पैसे लेकर आवास मुहैया करवाता है और बाद में जब लाभार्थी के खाते में पैसे आ जाते हैं, तो खुद ही उस पैसे से आवास बनवाने लगता है.

पाठशाला के नाम पर गांव में एक मदरसा

इस गांव के बच्चे न तो पढ़ने जाते हैं और न ही उन्हें कोई सुविधा मिल पा रही है. पाठशाला के नाम पर गांव में ही एक मदरसा है. ऐसे में कैसे यह बच्चे नए भारत के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल सकेंगे. बारिश के दौरान यह गांव जलमग्न हो जाता है, रास्ता ना होने के कारण जिला मुख्यालय और तहसील मुख्यालयों से संपर्क कट जाता है.

ग्रामीण कहते हैं कि आजादी भारत को भले ही मिल गई हो, लेकिन हमें आज तक आजादी नहीं मिल सकी है. हमने ना तो जनप्रतिनिधियों को वोट दिया, न उनका चेहरा देखा, न ही हम उनका नाम जानते हैं. हमारे यहां जनप्रतिनिधि व नेता वोट तक मांगने नहीं आते हैं.

बरहवा ग्रामसभा के लखाही मजरे में विकास ना होने की समस्या और विकास में भ्रष्टाचार होने की संज्ञान में आया है. हम इस ग्राम सभा की जांच करवाते हैं और जिन-जिन सुविधाओं से ग्रामीण आज तक वंचित हैं. वह सुविधाएं उन्हें जल्द से जल्द देने का काम किया जाएगा. ग्रामसभा को जल्द से जल्द कनेक्ट करने का काम किया जाएगा.
-कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

बलरामपुरः जिले के हरैया सतघरवा ब्लॉक में पड़ने वाला बरहवा गांव आज भी पिछड़ेपन का शिकार है. जहां ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हो सकी हैं. इस ग्रामसभा में 12 मजरे हैं, जिनमें से किसी भी मजरे में अभी तक मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं. नेपाल और जंगल के बीच बसे इस गांव के वाशिंदे सड़क, बिजली, पानी, पाठशाला और अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं.

पिछड़ेपन से आजादी मांगता हरैया सतघरवा ब्लॉक.

मूलभूत सुविधाओं का अभाव

ग्रामीण आरोप लगाते हुए कहते हैं कि यहां पर न तो सड़क है, न ही बिजली, न ही पानी की सुविधा है. पूरे गांव में केवल 2 सरकारी नल लगे हैं. वह भी पिछले 2 वर्षों से रिबोर तक नहीं हो सके हैं. इस कारण वे गंदा पानी पीने को मजबूर है. ग्रामीणों का कहना है कि इन सब विकास कार्यों के लिए जो पैसा आता है, वह ग्राम प्रधान प्रतिनिधि लवकुश और सेक्रेटरी मिलकर खा जाते हैं.

बाकायदा कागजात दिखाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि पिछले 3 वर्षों से गांव के दोनों छोर पर बने पुलों की रिपेयरिंग के लिए पैसा आ रहा है, लेकिन वह पुल अभी भी नहीं बन सका. इस गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी काफी धांधली की जाती है. ग्राम प्रधान पैसे लेकर आवास मुहैया करवाता है और बाद में जब लाभार्थी के खाते में पैसे आ जाते हैं, तो खुद ही उस पैसे से आवास बनवाने लगता है.

पाठशाला के नाम पर गांव में एक मदरसा

इस गांव के बच्चे न तो पढ़ने जाते हैं और न ही उन्हें कोई सुविधा मिल पा रही है. पाठशाला के नाम पर गांव में ही एक मदरसा है. ऐसे में कैसे यह बच्चे नए भारत के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल सकेंगे. बारिश के दौरान यह गांव जलमग्न हो जाता है, रास्ता ना होने के कारण जिला मुख्यालय और तहसील मुख्यालयों से संपर्क कट जाता है.

ग्रामीण कहते हैं कि आजादी भारत को भले ही मिल गई हो, लेकिन हमें आज तक आजादी नहीं मिल सकी है. हमने ना तो जनप्रतिनिधियों को वोट दिया, न उनका चेहरा देखा, न ही हम उनका नाम जानते हैं. हमारे यहां जनप्रतिनिधि व नेता वोट तक मांगने नहीं आते हैं.

बरहवा ग्रामसभा के लखाही मजरे में विकास ना होने की समस्या और विकास में भ्रष्टाचार होने की संज्ञान में आया है. हम इस ग्राम सभा की जांच करवाते हैं और जिन-जिन सुविधाओं से ग्रामीण आज तक वंचित हैं. वह सुविधाएं उन्हें जल्द से जल्द देने का काम किया जाएगा. ग्रामसभा को जल्द से जल्द कनेक्ट करने का काम किया जाएगा.
-कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

Intro:(यह ख़बर दोबारा भेजी जा रही है। कृपया संज्ञान लें।)

विकास की दौड़ में पीछे रह गया बलरामपुर जिला आज भी पूरे देश के साथ चलने के लिए हांफ रहा है। कारण है अधिकारियों की उदासीनता और नेताओं की हिलाहवाली। बलरामपुर जिले के 801 ग्रामसभाओं में अभी भी विकास की लौ नहीं जल सकी है। जिसके जरिए ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं मयस्सर हो सकें। बलरामपुर जिले के हरैया सतघरवा ब्लॉक में पढ़ने वाला बरहवा ग्रामसभा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इस ग्रामसभा में 12 मजरे हैं जिनमें से कई में अभी तक मूलभूत सुविधाओं कब विकास का थोड़ा सा भी काम नहीं हो सका है। नेपाल और जंगल के बीच बसे इस गांव के बाशिंदे सड़क, बिजली, पानी, पाठशाला व अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं।


Body:मूलभूत सुविधाएं न मिलने पर ग्रामीण आरोप लगाते हुए कहते हैं कि यहां पर न तो सड़क है ना ही बिजली है। ना ही पानी की सुविधा है। पूरे गांव में केवल 2 सरकारी नल लगे हैं। वह भी पिछले 2 वर्षों से रिबोर तक नहीं हो सके हैं। वह कहते है कि इस कारण हमें गंदा पानी पीना पड़ता है।
ग्रामीण आरोप लगाते हुए कहते हैं कि इन सब विकास कार्यों के लिए जो पैसा आता है। वह ग्राम प्रधान प्रतिनिधि लवकुश और सेक्रेटरी मिलकर खा जाते हैं। ग्रामीण बाकायदा कागजात दिखाते हुए कहते हैं कि पिछले 3 वर्षों से गांव के दोनों छोर पर बने पुलों के रिपेयरिंग के लिए पैसा आ रहा है। लेकिन वह पुल अभी भी नहीं बन सका है।
ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी यहां पर काफी धांधली की जाती है। ग्राम प्रधान पैसे लेकर आवास मुहैया करवाता है और बाद में जब लाभार्थी के खाते में पैसे आ जाते हैं तो खुद ही आवास बनवाने लगता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि यहां के बच्चे ना तो पढ़ने जा पाते हैं और ना ही उन्हें कोई सुविधा मिल पा रही है। पाठशाला के नाम पर गांव में ही एक मदरसा है, जो केवल उर्दू की तालीम देता है। ऐसे में कैसे यह बच्चे नए भारत के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल सकेंगे। यह अपने आप में यक्ष प्रश्न नजर आता है।
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि पिछले कई सालों से बारिश के दौरान हम लोग पूरी तरह से जलमग्न हो जाते हैं। रास्ता ना होने के कारण हम लोग जिला मुख्यालय और तहसील मुख्यालयों से कट से जाया करते हैं। हमारे पास खाने-पीने की सभी जरूरी सुविधाओं का भी टोटा हो जाता है। गांव तक जाने के लिए एक बड़े नाले को पार करना पड़ता है और जब व नाला उफान पर होता है। तो कोई भी व्यक्ति कहीं भी ग्राम सभा के बाहर हिल तक नहीं पाता।
ग्रामीण कहते हैं कि आजादी भारत को भले ही मिल गई हो। लेकिन हम जैसे ग्रामीणों को आज तक आजादी नहीं मिल सकी है। हमने ना तो जनप्रतिनिधियों को वोट दिया उनका ही चेहरा देखा है और ना ही हम उनका नाम तक जानते हैं। हमारे यहां जनप्रतिनिधि व नेता वोट तक मांगने नहीं आते हैं।


Conclusion:जब हमने इस मामले पर जिलाधिकारी कृष्णा करने से बात की तो उन्होंने कहा कि आपके द्वारा बरहवा ग्रामसभा के लखाही मजरे में विकास ना होने की समस्या और विकास में भ्रष्टाचार होने की बात को संज्ञान में लाया गया है। हम इस ग्राम सभा की जांच करवाते हैं और जिन-जिन सुविधाओं से ग्रामीण आज तक वंचित हैं। वह सुविधाएं उन्हें जल्द से जल्द देने का काम किया जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ग्रामसभा में जो कनेक्टिविटी की समस्या है वह हर साल बरसात के दौरान हो जाए करती है। जैसे ही बरसात बीता है ग्रामीण सड़कों को तेजी से बनाने का काम शुरू हो जाता है। बरसात बीता है और फिर से काम शुरू हो जाएगा। ग्रामसभा को जल्द से जल्द कनेक्ट करने का काम किया जाएगा।

बाईट क्रमशः :-
समीउल्ला, ग्रामीण
रज्जाक, ग्रामीण
रेश्मा, ग्रामीण
कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी
योगेंद्र त्रिपाठी, संवाददाता, 9839325432
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