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बलरामपुर : बर्ड फेस्टिवल में नहीं पहुंचे पर्यटक, विभागीय खानापूर्ति में बीत गया आयोजन - बलरामपुर वन विभाग

बलरामपुर जिले में 'विश्व वेटलैंड दिवस' के अवसर पर छह जलाशयों पर बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्र, शिक्षकगण, पक्षीविद एवं जन सामान्य को बुलाया गया था, लेकिन आयोजन में कोई नहीं पहुंचा.

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Published : Feb 2, 2019, 9:04 PM IST

बलरामपुर : जिला वन विभाग और सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग बलरामपुर ने 'विश्व वेटलैंड दिवस' के अवसर पर जिले के छह जलाशयों पर पक्षी अवलोकन और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया. आयोजन में जिले के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्र, शिक्षकगण, पक्षीविद एवं जन सामान्य लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम ने जब इस बात का रियलिटी चेक किया तो नजारा दावे से बिलकुल इतर था.

दरअसल, जिले को पर्यटन के मानचित्र पर रोकने की मंशा से वन विभाग तमाम तरह की कवायदें कर रहा है, लेकिन यह कवायदें क्या वास्तव में जमीन पर हो रही है. यह अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है ? वन विभाग के इन तरह के कवायदों का असर कम से कम आज 'वर्ल्ड वेटलैंड डे' के दिन भी नहीं दिखा. विश्व वेटलैंड दिवस के अवसर पर जिला वन विभाग व सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग के द्वारा जिले के चित्तौड़गढ़ बांध, मजगांव बांध, कोहरगड्डी बांध, खैरमान बांध, भगवानपुर बांध, गनेशपुर बांध और रजिया ताल पर बड़े आयोजन का दावा किया जा रहा है.

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इसके लिए तमाम तरह की प्रतियोगिताएं पक्षी अवलोकन, फोटोग्राफी व अन्य क्रियाकलापों के होने की बात कही जा रही है, लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है. ईटीवी भारत ने जब इस बर्ड फेस्टिवल के आयोजन का रियलिटी चेक किया तो कोहरगड्डी बांध पर कोई भी नहीं मिला. इसके अलावा चित्तौड़गढ़ बांध भी सुनसान माहौल रहा. चित्तौड़गढ़ बांध पर तो पक्षी भी दिखाई नहीं दिए. इसके अलावा अन्य बांधों पर भी इसी तरह का नजारा रहा. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि वन विभाग का यह शो फ्लॉप रहा.

जानकारी देते DFO रंजीत मित्तल.
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इसको लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने जब स्थानीय निवासी प्रसाद थारू से बात की तो उन्होंने बताया कि हमें इस तरह के आयोजन की कोई जानकारी नहीं है. वन विभाग द्वारा अगर इस तरह का कोई आयोजन किया गया था तो हमें जानकारी मिलनी चाहिए थी, लेकिन हमें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिली. पर्यटन की संभावनाओं पर प्रसाद ने बताया किया यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जिसके आगे बढ़ने से यहां पर रहने वाली मूल थारू जनजाति को बड़ा फायदा होगा. इससे हम रोजगार से जुड़ सकेंगे, जिससे हमारी आमदनी में बढ़ोतरी होगी.

वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने बर्ड फेस्टिवल आयोजन को लेकर डीएफओ सोहेलवा व वन्य जीव प्रभाग रजनीकांत मित्तल से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हमने इस फेस्टिवल के आयोजन के लिए तमाम सामाजिक और शिक्षण संस्थान के लोगों को जानकारी दी थी. इसके अलावा समाचार पत्रों व अन्य माध्यमों के जरिए प्रचार-प्रसार भी किया गया था. अगर कुछ लोगों को जानकारी नहीं मिल सकी है तो आने वाले समय में होने वाले इस तरह के आयोजनों की जानकारी और प्रचार-प्रसार अधिक व्यापक रूप से किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम जिले में बेहतर पर्यटन की संभावनाओं के लिए तमाम तरह के काम कर रहे हैं, जिसका प्रभाव आने वाले समय में दिखाई देगा. इसीलिए बर्ड फेस्टिवल का भी आयोजन किया गया था.

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बलरामपुर : जिला वन विभाग और सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग बलरामपुर ने 'विश्व वेटलैंड दिवस' के अवसर पर जिले के छह जलाशयों पर पक्षी अवलोकन और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया. आयोजन में जिले के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्र, शिक्षकगण, पक्षीविद एवं जन सामान्य लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम ने जब इस बात का रियलिटी चेक किया तो नजारा दावे से बिलकुल इतर था.

दरअसल, जिले को पर्यटन के मानचित्र पर रोकने की मंशा से वन विभाग तमाम तरह की कवायदें कर रहा है, लेकिन यह कवायदें क्या वास्तव में जमीन पर हो रही है. यह अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है ? वन विभाग के इन तरह के कवायदों का असर कम से कम आज 'वर्ल्ड वेटलैंड डे' के दिन भी नहीं दिखा. विश्व वेटलैंड दिवस के अवसर पर जिला वन विभाग व सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग के द्वारा जिले के चित्तौड़गढ़ बांध, मजगांव बांध, कोहरगड्डी बांध, खैरमान बांध, भगवानपुर बांध, गनेशपुर बांध और रजिया ताल पर बड़े आयोजन का दावा किया जा रहा है.

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इसके लिए तमाम तरह की प्रतियोगिताएं पक्षी अवलोकन, फोटोग्राफी व अन्य क्रियाकलापों के होने की बात कही जा रही है, लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है. ईटीवी भारत ने जब इस बर्ड फेस्टिवल के आयोजन का रियलिटी चेक किया तो कोहरगड्डी बांध पर कोई भी नहीं मिला. इसके अलावा चित्तौड़गढ़ बांध भी सुनसान माहौल रहा. चित्तौड़गढ़ बांध पर तो पक्षी भी दिखाई नहीं दिए. इसके अलावा अन्य बांधों पर भी इसी तरह का नजारा रहा. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि वन विभाग का यह शो फ्लॉप रहा.

जानकारी देते DFO रंजीत मित्तल.
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इसको लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने जब स्थानीय निवासी प्रसाद थारू से बात की तो उन्होंने बताया कि हमें इस तरह के आयोजन की कोई जानकारी नहीं है. वन विभाग द्वारा अगर इस तरह का कोई आयोजन किया गया था तो हमें जानकारी मिलनी चाहिए थी, लेकिन हमें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिली. पर्यटन की संभावनाओं पर प्रसाद ने बताया किया यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जिसके आगे बढ़ने से यहां पर रहने वाली मूल थारू जनजाति को बड़ा फायदा होगा. इससे हम रोजगार से जुड़ सकेंगे, जिससे हमारी आमदनी में बढ़ोतरी होगी.

वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने बर्ड फेस्टिवल आयोजन को लेकर डीएफओ सोहेलवा व वन्य जीव प्रभाग रजनीकांत मित्तल से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हमने इस फेस्टिवल के आयोजन के लिए तमाम सामाजिक और शिक्षण संस्थान के लोगों को जानकारी दी थी. इसके अलावा समाचार पत्रों व अन्य माध्यमों के जरिए प्रचार-प्रसार भी किया गया था. अगर कुछ लोगों को जानकारी नहीं मिल सकी है तो आने वाले समय में होने वाले इस तरह के आयोजनों की जानकारी और प्रचार-प्रसार अधिक व्यापक रूप से किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम जिले में बेहतर पर्यटन की संभावनाओं के लिए तमाम तरह के काम कर रहे हैं, जिसका प्रभाव आने वाले समय में दिखाई देगा. इसीलिए बर्ड फेस्टिवल का भी आयोजन किया गया था.

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Intro:जिले को पर्यटन के मानचित्र पर रुकने की मंशा से वन विभाग तमाम तरह की कवायदें कर रहा है। लेकिन यह कवायदें क्या वास्तव में जमीन पर हो रही है यह अपने आप में एक यक्ष प्रश्न है।
वन विभाग के इन तरह के कवायदों का असर कम से कम आज वर्ल्ड वेटलैंड डे के दिन भी नहीं दिखा। जिला वन विभाग और सोहेल व वन्य जीव प्रभाग बलरामपुर ने विश्व वेटलैंड दिवस के अवसर पर आज जिले के 6 जलाशयों पर पक्षी अवलोकन और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया था, जिसमें जनपद के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्र छात्राएं, शिक्षकगण, पक्षीविद एवं जन सामान्य लोग लोगों के शामिल होने का दावा भी किया जा रहा है। लेकिन जब ईटीवी ने इस बात का रियलिटी चेक किया तो नजारा दावे से बिल्कुल इतर था।


Body:विश्व वेटलैंड दिवस के अवसर पर जिला वन विभाग व सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग बलरामपुर के द्वारा जिले के चित्तौड़गढ़ बांध, मजगांव बांध, कोहरगड्डी बांध, खैरमान बांध, भगवानपुर बांध, गनेशपुर बांध, रजिया ताल पर बड़े आयोजन का दावा किया जा रहा है। इस बाबत तमाम तरह की प्रतियोगिताएं पक्षी अवलोकन, फोटोग्राफी व अन्य क्रियाकलापों के होने की बात कही जा रही है। लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।
ईटीवी ने जब इस बर्ड फेस्टिवल के आयोजन का रियलिटी चेक किया तो कोहरगड्डी बांध पर कोई भी नहीं मिला। इसके अलावा चित्तौड़गढ़ बांध भी सुना-सुना दिखाई दिया। चित्तौड़गढ़ बांध पर तो पक्षियों भी दिखाई नहीं दी। इसके अलावा अन्य बांधो पर भी इसी तरह का मिलाजुला असर दिखाई दिया। कुल मिलाकर वन विभाग का यह शो फ्लॉप रहा।
जब हमने इस बार स्थानीय निवासी प्रसाद थारू से बात की तो उन्होंने बताया कि हमें इस तरह के आयोजन की कोई जानकारी नहीं है। वन विभाग द्वारा अगर इस तरह का कोई आयोजन किया गया था तो हमें तमाम माध्यमों द्वारा जानकारी मिलनी चाहिए थी। लेकिन हमें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिली।
पर्यटन की संभावनाओं पर प्रसाद ने बात करते हुए कहा कि यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जिसके आगे बढ़ने से यहां पर रहने वाली मूल थारू जनजाति को बड़ा फायदा मिलेगा। हम आपरोक्ष रूप से रोजगार से जुड़ सकेंगे। जिससे हमारी आमदनी में बढ़ोतरी होगी।


Conclusion:वही जब हमने इस बाबत डीएफओ सवाल व वन्य जीव प्रभाग रजनीकांत मित्तल से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हमने इस फेस्टिवल के आयोजन के लिए तमाम सामाजिक और शिक्षण संस्थान के लोगों को जानकारी दी थी। इसके अलावा न्यूज़ पेपर व अन्य माध्यमों के जरिए प्रचार-प्रसार भी किया गया था। अगर कुछ लोगों को जानकारी नहीं मिल सकी है तो आने वाले समय में होने वाले इस तरह के आयोजनों की जानकारी और प्रचार प्रसार अधिक व्यापक रूप से किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हम जिले में बेहतर पर्यटन की संभावनाओं के लिए तमाम तरह के काम कर रहे हैं, जिसका प्रभाव आने वाले समय में दिखाई देगा इसीलिए बर्ड फेस्टिवल का भी आयोजन किया गया है।
खैर, अधिकारी दावे कुछ भी करें लेकिन जमीन पर दिखाई देने वाली वास्तविकता हैरान करती है। बर्ड फेस्टिवल जैसे प्रमुख और व्यापक आयोजनों के जरिए, वन विभाग यह तो सोच रहा है कि जिले को पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जाएगा। लेकिन इस तरह के आयोजनों का प्रचार-प्रसार ना होना और लोगों को इसकी जानकारी ना होना, इसकी असफलता का एक बहुत बड़ा कारण है।
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