बलरामपुर: योगी सरकार आज भले ही गो सेवा के लिए तमाम जतन कर रही हैं, लेकिन जिले से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर मां पाटेश्वरी के दरबार देवीपाटन शक्तिपीठ में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. दरअसल, देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थित गो सेवा केंद्र में 150 गायें और 100 गोवंश पाले जाते हैं. सभी गोवंशों के लिए रहने, खाने और उचित देखभाल की पूरी व्यवस्था मंदिर प्रशासन ही करता है.
देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थित है गो सेवा केंद्र-
- देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थिति यह गोशाला एक एकड़ से ज्यादा भूक्षेत्र में फैला हुई है.
- गोशाला में 300 से अधिक गायों को आराम से रखने की पूरी व्यवस्था है.
- गायों की देखभाल लगभग दो दर्जन से अधिक व्यक्ति करते हैं.
- सभी गायों को नहलाने-धुलाने, खिलाने-पिलाने, चारा काटने और दूध निकालने इत्यादि की व्यवस्था करते हैं.
क्या है इतिहास-
लोग बताते हैं के यह गोशाला तब से स्थापित है, जब से देवीपाटन शक्तिपीठ पर मां भगवती की आराधना करने के लिए महायोगी गुरु गोरखनाथ आए थे. यहां पर उन्होंने न केवल तपस्या की बल्कि गो संरक्षण और गो संवर्धन को आगे बढ़ाने के लिए गायों को पालने की भी आवश्यकता लोगों को बताई. तभी से यहां पर गो सेवा की जाती है. वहीं दूसरी तरफ एक मान्यता यह भी है कि नाथ संप्रदाय से जुड़े लोगों के लिए गो सेवा एक अहम साधना है. नाथ संप्रदाय के संत और अनुयायी गो सेवा भाव महायोगी गुरु गोरखनाथ से जोड़कर देखते हैं.
गो सेवा समाज के लिए एक मूल भावना होनी चाहिए. गो सेवा के जरिए न केवल हम स्वस्थ समाज की परिकल्पना को आगे बढ़ा सकते हैं, बल्कि लोगों को जानवरों के प्रति सेवा भाव और प्रेम भी सिखा सकते हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा और गुरु गोरक्षनाथ के आशीर्वाद के कारण हमारे यहां शक्तिपीठ की गोशाला में कई नस्लों की तकरीबन 150गायें पल-बढ़ रही हैं. इनकी सेवा में किसी तरह की कमी न हो इसलिए मैं खुद 24 घंटे निगरानी करता हूं. गायों और गोवंशों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए डेढ़ से दो दर्जन कर्मचारी लगातार काम करते हैं.
-महंत मिथिलेश नाथ योगी, पीठाधीश्वर, देवीपाटन शक्तिपीठ