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...समाज के लिए नजीर है सैकड़ों साल पुरानी देवीपाटन शक्तिपीठ की 'गोशाला'

देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थित गो सेवा केंद्र में 150 गायें और 100 गोवंश पाले जाते हैं. गायों की देखभाल लगभग दो दर्जन से अधिक व्यक्ति करते हैं. यह गोशाला एक एकड़ से ज्यादा भूक्षेत्र में फैली हुई है.

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Published : Jul 26, 2019, 10:56 PM IST

महंत मिथिलेश नाथ योगी,पीठाधीश्वर, देवीपाटन शक्तिपीठ

बलरामपुर: योगी सरकार आज भले ही गो सेवा के लिए तमाम जतन कर रही हैं, लेकिन जिले से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर मां पाटेश्वरी के दरबार देवीपाटन शक्तिपीठ में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. दरअसल, देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थित गो सेवा केंद्र में 150 गायें और 100 गोवंश पाले जाते हैं. सभी गोवंशों के लिए रहने, खाने और उचित देखभाल की पूरी व्यवस्था मंदिर प्रशासन ही करता है.

देवीपाटन शक्तिपीठ की गोशाला में पल रही हैं 100 से अधिक गायें.

देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थित है गो सेवा केंद्र-

  • देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थिति यह गोशाला एक एकड़ से ज्यादा भूक्षेत्र में फैला हुई है.
  • गोशाला में 300 से अधिक गायों को आराम से रखने की पूरी व्यवस्था है.
  • गायों की देखभाल लगभग दो दर्जन से अधिक व्यक्ति करते हैं.
  • सभी गायों को नहलाने-धुलाने, खिलाने-पिलाने, चारा काटने और दूध निकालने इत्यादि की व्यवस्था करते हैं.

क्या है इतिहास-
लोग बताते हैं के यह गोशाला तब से स्थापित है, जब से देवीपाटन शक्तिपीठ पर मां भगवती की आराधना करने के लिए महायोगी गुरु गोरखनाथ आए थे. यहां पर उन्होंने न केवल तपस्या की बल्कि गो संरक्षण और गो संवर्धन को आगे बढ़ाने के लिए गायों को पालने की भी आवश्यकता लोगों को बताई. तभी से यहां पर गो सेवा की जाती है. वहीं दूसरी तरफ एक मान्यता यह भी है कि नाथ संप्रदाय से जुड़े लोगों के लिए गो सेवा एक अहम साधना है. नाथ संप्रदाय के संत और अनुयायी गो सेवा भाव महायोगी गुरु गोरखनाथ से जोड़कर देखते हैं.

गो सेवा समाज के लिए एक मूल भावना होनी चाहिए. गो सेवा के जरिए न केवल हम स्वस्थ समाज की परिकल्पना को आगे बढ़ा सकते हैं, बल्कि लोगों को जानवरों के प्रति सेवा भाव और प्रेम भी सिखा सकते हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा और गुरु गोरक्षनाथ के आशीर्वाद के कारण हमारे यहां शक्तिपीठ की गोशाला में कई नस्लों की तकरीबन 150गायें पल-बढ़ रही हैं. इनकी सेवा में किसी तरह की कमी न हो इसलिए मैं खुद 24 घंटे निगरानी करता हूं. गायों और गोवंशों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए डेढ़ से दो दर्जन कर्मचारी लगातार काम करते हैं.
-महंत मिथिलेश नाथ योगी, पीठाधीश्वर, देवीपाटन शक्तिपीठ

बलरामपुर: योगी सरकार आज भले ही गो सेवा के लिए तमाम जतन कर रही हैं, लेकिन जिले से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर मां पाटेश्वरी के दरबार देवीपाटन शक्तिपीठ में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. दरअसल, देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थित गो सेवा केंद्र में 150 गायें और 100 गोवंश पाले जाते हैं. सभी गोवंशों के लिए रहने, खाने और उचित देखभाल की पूरी व्यवस्था मंदिर प्रशासन ही करता है.

देवीपाटन शक्तिपीठ की गोशाला में पल रही हैं 100 से अधिक गायें.

देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थित है गो सेवा केंद्र-

  • देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थिति यह गोशाला एक एकड़ से ज्यादा भूक्षेत्र में फैला हुई है.
  • गोशाला में 300 से अधिक गायों को आराम से रखने की पूरी व्यवस्था है.
  • गायों की देखभाल लगभग दो दर्जन से अधिक व्यक्ति करते हैं.
  • सभी गायों को नहलाने-धुलाने, खिलाने-पिलाने, चारा काटने और दूध निकालने इत्यादि की व्यवस्था करते हैं.

क्या है इतिहास-
लोग बताते हैं के यह गोशाला तब से स्थापित है, जब से देवीपाटन शक्तिपीठ पर मां भगवती की आराधना करने के लिए महायोगी गुरु गोरखनाथ आए थे. यहां पर उन्होंने न केवल तपस्या की बल्कि गो संरक्षण और गो संवर्धन को आगे बढ़ाने के लिए गायों को पालने की भी आवश्यकता लोगों को बताई. तभी से यहां पर गो सेवा की जाती है. वहीं दूसरी तरफ एक मान्यता यह भी है कि नाथ संप्रदाय से जुड़े लोगों के लिए गो सेवा एक अहम साधना है. नाथ संप्रदाय के संत और अनुयायी गो सेवा भाव महायोगी गुरु गोरखनाथ से जोड़कर देखते हैं.

गो सेवा समाज के लिए एक मूल भावना होनी चाहिए. गो सेवा के जरिए न केवल हम स्वस्थ समाज की परिकल्पना को आगे बढ़ा सकते हैं, बल्कि लोगों को जानवरों के प्रति सेवा भाव और प्रेम भी सिखा सकते हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा और गुरु गोरक्षनाथ के आशीर्वाद के कारण हमारे यहां शक्तिपीठ की गोशाला में कई नस्लों की तकरीबन 150गायें पल-बढ़ रही हैं. इनकी सेवा में किसी तरह की कमी न हो इसलिए मैं खुद 24 घंटे निगरानी करता हूं. गायों और गोवंशों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए डेढ़ से दो दर्जन कर्मचारी लगातार काम करते हैं.
-महंत मिथिलेश नाथ योगी, पीठाधीश्वर, देवीपाटन शक्तिपीठ

Intro:सरकारों द्वारा भले ही आज गौ सेवा के लिए तमाम जतन किए जा रहे हैं लेकिन बलरामपुर जिले से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर मां पाटेश्वरी के दरबार देवीपाटन शक्तिपीठ में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थित गौ सेवा केंद्र में डेढ़ सौ गए और सौ गौवंश पाले जाते हैं। सभी गौवंशों के लिए रहने, खाने और उचित देखभाल की पूरी व्यवस्था मंदिर प्रशासन द्वारा की जाती है।


Body:देवीपाटन शक्तिपीठ में स्थिति यह गौशाला एक एकड़ से ज़्यादा भूक्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें 300 से अधिक गायों को आराम से रखने की पूरी व्यवस्था है। गायों की देखभाल के लिए तकरीबन दो दर्जन व्यक्तियों को भी लगे हुए हैं। यह सभी गायों को नहलाने-धुलाने, खिलाने-पिलाने व चारा काटने, दूध निकालने इत्यादि की व्यवस्था करते हैं।

क्या है इतिहास :-
लोग बताते हैं के यह गौशाला तब से स्थापित है जब देवीपाटन शक्तिपीठ पर मां भगवती की आराधना करने के लिए महायोगी गुरु गोरखनाथ आए थे यहां पर उन्होंने न केवल तपस्या की बल्कि गौ संरक्षण और गौ संवर्धन को आगे बढ़ाने के लिए गायों को पालने की भी आवश्यकता लोगों को बताएं तभी से यहां पर गौ सेवा की जाती है।
वहीं दूसरी तरफ एक मान्यता यह भी है कि नाथ संप्रदाय से जुड़े लोगों के लिए गौ सेवा एक हम साधना है। नाथ संप्रदाय के संत और अनुयायी गौसेवा भाव महायोगी गुरु गोरखनाथ से जोड़कर देखते हैं।
इस बारे में बात करते हुए देवीपाटन शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर महंत मिथिलेश नाथ योगी बताते हैं कि नाथ सम्प्रदाय के प्रेरता और संस्थापक महायोगी गुरु गोरखनाथ का जन्म गांव के गोबर से हुआ था। गुरु गोरक्षनाथ गायों के बीच ही पले बढ़े थे। इसलिए नाथ संप्रदाय के संत और अनुयाई गौसेवा के लिए खासे उत्साहित रहते हैं।


Conclusion:देवीपाटन पीठाधीश्वर कहते हैं कि गौ सेवा समाज के लिए एक मूल भावना होनी चाहिए। गौ सेवा के जरिए न केवल हम स्वस्थ समाज की परिकल्पना को आगे बढ़ा सकते हैं। बल्कि लोगों को जानवरों के प्रति सेवा भाव व प्रेम भी सिखला सकते हैं।
वह कहते हैं के प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा और गुरु गोरक्षनाथ के आशीर्वाद के कारण हमारे यहां शक्तिपीठ की गौशाला में कई नस्लों की तकरीबन डेढ़ सौ गाय पल बढ़ रही हैं। इनकी सेवा में किसी तरह की कमी ना हो इसलिए मैं खुद 24 घंटे निगरानी करता हूं। गायों और गोवंशों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए डेढ़ से दो दर्जन कर्मचारी लगातार काम करते हैं।
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