बलरामपुर: महिलाओं को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार जननी-शिशु सुरक्षा योजना जैसे कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन महिलाओं को इसका कोई लाभ मिलता नहीं दिख रहा है. क्योंकि सेवाओं के नाम पर यहां प्रसूताओं से वसूली की जा रही है.
ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में मुफ्त सुरक्षित प्रसव व जच्चा-बच्चा को बेहतरीन सेवाएं मुहैया कराने के लिए लागू जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम जिले में दम तोड़ता दिख रहा है. जिले के उतरौला में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मरीजों से वसूली का अड्डा बन गया है, जहां प्रसव के लिए गर्भवती से 500 से 900 रुपये की वसूली होती है. जच्चा-बच्चा की जान बचाने के लिए दोनों को 48 घंटे तक अस्पताल में भर्ती रखने व उन्हें मुफ्त नाश्ता-भोजन मुहैया कराने समेत अन्य योजनाएं भी कागज में ही चल रही हैं.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के आंकड़ों की मानें तो प्रतिदिन अस्पताल में 6 से 8 प्रसव होते हैं, लेकिन जेएसवाई वार्ड बंद ही रहता है. स्वास्थ्यकर्मी जच्चा-बच्चा की जान जोखिम में डालकर डिलीवरी के कुछ घंटे बाद ही उन्हें छुट्टी दे देते हैं. इतना ही नहीं छुट्टी न मिलने तक प्रसूता व परिवारीजनों को अस्पताल में भूखे रहना पड़ता है.
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इस तरह की शिकायतें सीएचसी उतरौला से पहले भी आ चुकी है. हम जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
घनश्याम सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बलरामपुर