बलरामपुर: नेपाल के दांग चौखड़ा से रतन नाथ योगी की शोभा यात्रा गुरुवार को नवरात्र के तीसरे दिन भारतीय सीमा क्षेत्र के ग्राम जनकपुर पहुंची. यहां दो दिन विश्राम के उपरांत पंचमी के दिन शनिवार को शोभा यात्रा शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचेगी. विश्राम के दौरान नेपाल से आए सभी संतों, श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोविड टेस्ट कराया जाएगा.
संतों का होगा कोविड जांच
गुरुवार की भोर तकरीबन 4 बजे पात्र देवता रतन नाथ योगी की शोभा यात्रा नेपाल से कोयलाबास होते हुए भारतीय सीमा में प्रवेश कर जनकपुर गांव पहुंची. यहां से पंचमी की भोर जत्था पैदल शक्ति पीठ देवीपाटन के लिए प्रस्थान करेगी. यात्रा विश्राम के दौरान दो दिनों तक यहां विश्राम की स्थिति में रहेगी. सीमा क्षेत्र के ग्रामीण, वनवासी, यहां पात्र देवता का पूजन करेंगे. यहीं पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से नेपाल से जत्थे में आए सभी संतों का कोविड जांच भी किया जाएगा.
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जनकपुर से पैदल रतन नाथ जी की शोभा यात्रा पंचमी के दिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचेगी. यहां परंपरागत ढंग से समय माता मंदिर में शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी शोभा यात्रा का स्वागत कर पूजन करेंगे. जनकपुर से देवीपाटन पहुंचने के दौरान रास्ते भर में दर्शन पूजन के लिए यात्रा मार्ग पर स्थानीय श्रद्धालु जुटेंगे.
कौन थे बाबा रतन नाथ
शक्तिपीठ देवीपाटन में हजारों वर्षों से चैत्र नवरात्र के पंचमी के दिन नेपाल के दांग चौखड़ा से पीर रतन नाथ की शोभा यात्रा आती रही है. 51 शक्तिपीठों में से देवीपाटन शक्तिपीठ की देश भर में विशेष मान्यता है. माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना बाबा रतन नाथ ने ही की थी. वह आदिशक्ति के भक्त थे. साथ ही वह दांग चौखड़ा के राजा रतन सेन महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के शिष्य भी थे. हजारों साल पहले अपने गुरू के आदेश पर रतननाथ, शक्तिपीठ देवीपाटन में तपस्यारत थे.
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा. वरदान में राजा ने नवरात्र में उनके द्वारा माता के पूजन करने का वरदान मांगा. तभी से (राजा जिन्हें गोरक्षनाथ जी से दीक्षा के उपरांत रतन नाथ योगी कहा जाता है) प्रत्येक चैत्र नवरात्र की पंचमी को नेपाल से देवीपाटन तक रतन नाथ की यात्रा आ रही है.
साल भर भक्तों को रहता है इंतजार
यात्रा मार्ग से जुड़े गावों के ग्रामीणों को इस यात्रा का पूरे वर्ष इंतजार रहता है. नेपाल-भारत सीमा क्षेत्र के रह रहे लोगों में रतन नाथ के प्रति गहरी आस्था है. रतन नाथ योगी के प्रति यहां के हिंदूओं के साथ ही मुस्लिम धर्म के लोगों की भी गहरी आस्था है. मुस्लिम इन्हें पीर बाबा भी कहते हैं, इसलिए इन्हें पीर रतन नाथ योगी के नाम से भी जाना जाता है. यह यात्रा नेपाल-भारत के मैत्रीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाते हुए दोनों देशों के धार्मिक सांस्कृतिक को दर्शाता है.