ETV Bharat / state

नेपाल से देवीपाटन पहुंची रतन नाथ योगी की शोभायात्रा - बलरामपुर खबर

चैत्र नवरात्रि की पंचमी को परंपरागत ढंग से नेपाल के जनकपुर से पीर रतन नाथ योगी (पात्र देवता) की शोभा यात्रा तुलसीपुर पहुंची. शोभायात्रा के पहुंचते ही श्रद्धालुओं के जय-जयकार से क्षेत्र गुंजायमान हो उठा. शोभा यात्रा का शक्तिपीठ पहुंचने पर पीठाधीश्वर ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यात्रा का स्वागत किया.

रतन नाथ योगी की शोभायात्रा
रतन नाथ योगी की शोभायात्रा
author img

By

Published : Apr 17, 2021, 4:58 PM IST

बलरामपुर: रतन नाथ योगी की शोभायात्रा नवरात्रि की पंचमी को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच परंपरागत ढंग से शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन पहुंची. शक्तिपीठ पर पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी ने शोभा यात्रा का स्वागत किया. इस दौरान भारी संख्या में सुरक्षा कर्मी मौजूद रहे. बता दें कि चैत्र नवरात्रि की पंचमी को प्रत्येक वर्ष नेपाल देश के दांग चौखड़ा जनपद से पीर रतन नाथ योगी की शोभायात्रा शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है. इस यात्रा का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्त्व है.

पीठाधीश्वर ने किया स्वागत
चैत्र नवरात्रि की पंचमी को परंपरागत ढंग से नेपाल के जनकपुर से पीर रतन नाथ योगी (पात्र देवता) की शोभा यात्रा तुलसीपुर पहुंची. शोभायात्रा के पहुंचते ही श्रद्धालुओं के जय-जयकार से क्षेत्र गुंजायमान हो उठा. शोभा यात्रा का शक्तिपीठ पहुंचने पर पीठाधीश्वर ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यात्रा का स्वागत किया. इसके उपरांत पात्र देवता के मुख्य पुजारियों द्वारा मां पाटेश्वरी का पूजन शुरू किया गया. जनकपुर से शक्तिपीठ की दूरी तकरीबन 18 किमी है. शोभायात्रा के निर्धारित मार्ग के दोनों ओर स्थानीय लोग रतन नाथ योगी (पात्र देवता) की एक झलक पाने के लिए भोर चार बजे से ही जुटे रहे.



कोविड को लेकर बरती गई विशेष एहतियात
शोभा यात्रा आगमन को देखते हुए स्थानीय और मंदिर प्रशासन द्वारा कोविड-19 को लेकर विशेष सतर्कता बरती गई. नवरात्रि के दूसरे दिन बुधवार को शोभा यात्रा का नेपाल से भारतीय सीमा में प्रवेश हुआ था. इसके बाद भारतीय सीमा के जनकपुर ग्राम में परम्परानुसार यात्रा विश्राम के लिये रुकी थी. इसके बाद आज यानी शनिवार को पंचमी की भोर में जनकपुर से पैदल यात्रा देवीपाटन पहुंची.

क्या है महत्व

शक्तिपीठ देवीपाटन में हजारों वर्षों से चैत्र नवरात्रि के पंचमी के दिन नेपाल के दांग चौखड़ा से पीर रतन नाथ की शोभा यात्रा आती रही है. माना जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व दांग चौखड़ा के राजा रतन सेन महायोगी गुरु गोरक्षनाथ से दीक्षा लेकर उनके आदेश पर शक्तिपीठ देवीपाटन में तपस्यारत थे, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा, इस पर वरदान में राजा ने नवरात्रि में उनके द्वारा ही पूजन करने का वरदान मांगा. जिस पर उन्हें माता ने वरदान दिया कि पंचमी से नवमी तक उनके द्वारा पूजा की जाएगी. तभी से (राजा जिन्हे गोरक्षनाथ जी से दीक्षा के उपरांत रतन नाथ योगी कहा जाता है) प्रत्येक चैत्र नवरात्रि की पंचमी को रतन नाथ की यात्रा आती है. नेपाल दांग चौखड़ा मंदिर से वहां के पुजारियों द्वारा परम्परा का निर्वहन करते हुए पात्र देवता रतन नाथ की यात्रा पैदल देवीपाटन लायी जाती है. यात्रा मार्ग से जुड़े गावों के ग्रामीणों को इस यात्रा का पूरे वर्ष इंतजार रहता है.

इसे भी पढ़ें- देवीपाटन शक्तिपीठ में चल रहा है मेला, कोरोना काल में है भक्तों का रेला

नेपाल-भारत सीमा क्षेत्र के लोगों में रतन नाथ के प्रति गहरी आस्था है. रतन नाथ योगी को यहां के हिंदूओं के साथ ही साथ मुस्लिम धर्म के लोगों की भी गहरी आस्था है. मुस्लिम इन्हें पीर बाबा भी कहते हैं, इसलिए इन्हें पीर रतन नाथ योगी के नाम से जाना जाता है. यह यात्रा नेपाल-भारत के मैत्री संबंधों को प्रगाढ़ बनाते हुए दोनों देशों की धार्मिक सांस्कृतिक को दर्शाता है.

बलरामपुर: रतन नाथ योगी की शोभायात्रा नवरात्रि की पंचमी को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच परंपरागत ढंग से शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन पहुंची. शक्तिपीठ पर पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी ने शोभा यात्रा का स्वागत किया. इस दौरान भारी संख्या में सुरक्षा कर्मी मौजूद रहे. बता दें कि चैत्र नवरात्रि की पंचमी को प्रत्येक वर्ष नेपाल देश के दांग चौखड़ा जनपद से पीर रतन नाथ योगी की शोभायात्रा शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है. इस यात्रा का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्त्व है.

पीठाधीश्वर ने किया स्वागत
चैत्र नवरात्रि की पंचमी को परंपरागत ढंग से नेपाल के जनकपुर से पीर रतन नाथ योगी (पात्र देवता) की शोभा यात्रा तुलसीपुर पहुंची. शोभायात्रा के पहुंचते ही श्रद्धालुओं के जय-जयकार से क्षेत्र गुंजायमान हो उठा. शोभा यात्रा का शक्तिपीठ पहुंचने पर पीठाधीश्वर ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यात्रा का स्वागत किया. इसके उपरांत पात्र देवता के मुख्य पुजारियों द्वारा मां पाटेश्वरी का पूजन शुरू किया गया. जनकपुर से शक्तिपीठ की दूरी तकरीबन 18 किमी है. शोभायात्रा के निर्धारित मार्ग के दोनों ओर स्थानीय लोग रतन नाथ योगी (पात्र देवता) की एक झलक पाने के लिए भोर चार बजे से ही जुटे रहे.



कोविड को लेकर बरती गई विशेष एहतियात
शोभा यात्रा आगमन को देखते हुए स्थानीय और मंदिर प्रशासन द्वारा कोविड-19 को लेकर विशेष सतर्कता बरती गई. नवरात्रि के दूसरे दिन बुधवार को शोभा यात्रा का नेपाल से भारतीय सीमा में प्रवेश हुआ था. इसके बाद भारतीय सीमा के जनकपुर ग्राम में परम्परानुसार यात्रा विश्राम के लिये रुकी थी. इसके बाद आज यानी शनिवार को पंचमी की भोर में जनकपुर से पैदल यात्रा देवीपाटन पहुंची.

क्या है महत्व

शक्तिपीठ देवीपाटन में हजारों वर्षों से चैत्र नवरात्रि के पंचमी के दिन नेपाल के दांग चौखड़ा से पीर रतन नाथ की शोभा यात्रा आती रही है. माना जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व दांग चौखड़ा के राजा रतन सेन महायोगी गुरु गोरक्षनाथ से दीक्षा लेकर उनके आदेश पर शक्तिपीठ देवीपाटन में तपस्यारत थे, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा, इस पर वरदान में राजा ने नवरात्रि में उनके द्वारा ही पूजन करने का वरदान मांगा. जिस पर उन्हें माता ने वरदान दिया कि पंचमी से नवमी तक उनके द्वारा पूजा की जाएगी. तभी से (राजा जिन्हे गोरक्षनाथ जी से दीक्षा के उपरांत रतन नाथ योगी कहा जाता है) प्रत्येक चैत्र नवरात्रि की पंचमी को रतन नाथ की यात्रा आती है. नेपाल दांग चौखड़ा मंदिर से वहां के पुजारियों द्वारा परम्परा का निर्वहन करते हुए पात्र देवता रतन नाथ की यात्रा पैदल देवीपाटन लायी जाती है. यात्रा मार्ग से जुड़े गावों के ग्रामीणों को इस यात्रा का पूरे वर्ष इंतजार रहता है.

इसे भी पढ़ें- देवीपाटन शक्तिपीठ में चल रहा है मेला, कोरोना काल में है भक्तों का रेला

नेपाल-भारत सीमा क्षेत्र के लोगों में रतन नाथ के प्रति गहरी आस्था है. रतन नाथ योगी को यहां के हिंदूओं के साथ ही साथ मुस्लिम धर्म के लोगों की भी गहरी आस्था है. मुस्लिम इन्हें पीर बाबा भी कहते हैं, इसलिए इन्हें पीर रतन नाथ योगी के नाम से जाना जाता है. यह यात्रा नेपाल-भारत के मैत्री संबंधों को प्रगाढ़ बनाते हुए दोनों देशों की धार्मिक सांस्कृतिक को दर्शाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.