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बलरामपुर: पार्वती-अरगा में आएगी पर्यटन का बहार, मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता - पार्वती-अरगा पक्षी विहार

यूपी के बलरामपुर जिले में स्थित 'सुहेलदेव वाइल्ड लाइफ सेंचुरी' में विकास के तमाम कार्य इन दिनों कराए जा रहे हैं. यहां स्थित पार्वती-अरगा पक्षी विहार को रामसर साइट के रूप में मान्यता भी मिल गई है, जिसके बाद अब इसका 30 लाख रुपये से विकास कराया जाएगा. इसके लिए बजट भी स्वीकृत हो गया है.

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पार्वती-अरगा पक्षी विहार को रामसर साइट के रूप में मिली मान्यता.
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Published : Feb 21, 2020, 10:18 AM IST

बलरामपुर: पर्यटन की दृष्टि से समृद्ध 'सुहेलदेव वाइल्ड लाइफ सेंचुरी' के दिन अब बहुरने वाले हैं. सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जहां तमाम तरह की कवायद अब धीरे-धीरे जमीन पर आकार ले रही हैं तो वहीं वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के अंर्तगत आने वाले 'पार्वती-अरगा पक्षी विहार' को रामसर साइट के रूप में मान्यता भी मिल गई है.

पार्वती-अरगा पक्षी विहार को रामसर साइट के रूप में मिली मान्यता.

इस समय विश्व में कुल 300 रामसर साइट हैं. भारत में इस बार कुल 10 रामसर साइट घोषित किए हैं. इस कारण से अब जहां पक्षी विहार में सुरक्षा के तमाम पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे. वहीं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर बजट खर्च किया जा सकेगा.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने के बाद पार्वती-अरगा पक्षी विहार का काफी महत्व बढ़ जाएगा. इसी के साथ बर्ड सेंचुरी में एंटीग्रेटेड डेवलपमेंट योजना के तहत यहां के विकास पर 30 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. देश-विदेश से यहां आने वाले पक्षियों की सुरक्षा के लिए ड्रोन कैमरे का प्रयोग किया जाएगा. इसकी मदद से न केवल उनकी सुरक्षा की जाएगी बल्कि पक्षी विहार की सुरक्षा के लिए चारों तरह हाई सिक्योरिटी फेंशिग का कार्य भी कराया जाएगा. इसके साथ ही पर्यटकों के लिए बोट इत्यादि की व्यवस्था भी की जाएगी.

एक नजर में पक्षी विहार
यह पक्षी विहार 12 हजार हेक्टेअर में फैला हुआ है, जो सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग के अंतर्गत आने वाले गोंडा जिले के टिकरी क्षेत्र की पार्वती-अरगा झील में स्थित है. यह पक्षी विहार नौ किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. यह झील कुल नौ गांवों से होकर गुजरती है. इस झील का सबसे ज्यादा क्षेत्र वजीरगंज में आता है.

कौन-कौन से पक्षी आते हैं यहां
पार्वती-अरगा झील में मध्य एशिया से काज और चट्टा पक्षी आते हैं. सर्दी के मौसम में विदेशी पक्षियों के अलावा सैकड़ों की तादाद में सारस भी अपने जोड़े के साथ यहां विचरण करते सहज ही देखे जा सकते हैं. तिब्बत से आने वाली पक्षियों में छोटी मुर्गाबी, नकटा, गिर्री और सुर्खाब प्रमुख हैं.

झील का है धार्मिक महत्व
पार्वती-अरगा झील को वैसे तो पक्षी विहार के लिए प्रमुख तौर पर मान्यता मिली हुई है, लेकिन धार्मिक कारण भी इस पक्षी विहार से जुड़ाव रखते हैं. लोगों की मान्यता है कि ये माता पार्वती और भगवान महादेव के अटूट प्रेम की निशानी है. पार्वती झील ही नहीं बल्कि इसके नाम से गांव भी बसा है.

इसके बारे में जानकारी देते हुए सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी रजनीकांत मित्तल कहते हैं कि पार्वती-अरगा पक्षी विहार को रामसर साइट डिक्लेयर कर दिया गया है, जो इसके सर्वांगीण विकास को लेकर बहुत अच्छी खबर है. यहां पर झील के विकास को लेकर 30 लाख रुपये के प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिलने के साथ बजट भी जारी हो गया है. पक्षी विहार की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरा खरीदा जाएगा. वहीं पक्षी विहार की सीमा पर फेंशिग का कार्य कराया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- बलरामपुर: अब मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए होगी सुहेलदेव वन्यजीव अभ्यारण्य की सुरक्षा

यहां पर ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके, इसके लिए तमाम तरह की योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है. यहां पर बोट राइडिंग की सुविधा भी पर्यटकों को जल्द ही मिलनी शुरू हो जाएगी.
-रजनीकांत मित्तल, प्रभागीय वनाधिकारी, सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग

बलरामपुर: पर्यटन की दृष्टि से समृद्ध 'सुहेलदेव वाइल्ड लाइफ सेंचुरी' के दिन अब बहुरने वाले हैं. सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जहां तमाम तरह की कवायद अब धीरे-धीरे जमीन पर आकार ले रही हैं तो वहीं वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के अंर्तगत आने वाले 'पार्वती-अरगा पक्षी विहार' को रामसर साइट के रूप में मान्यता भी मिल गई है.

पार्वती-अरगा पक्षी विहार को रामसर साइट के रूप में मिली मान्यता.

इस समय विश्व में कुल 300 रामसर साइट हैं. भारत में इस बार कुल 10 रामसर साइट घोषित किए हैं. इस कारण से अब जहां पक्षी विहार में सुरक्षा के तमाम पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे. वहीं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर बजट खर्च किया जा सकेगा.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने के बाद पार्वती-अरगा पक्षी विहार का काफी महत्व बढ़ जाएगा. इसी के साथ बर्ड सेंचुरी में एंटीग्रेटेड डेवलपमेंट योजना के तहत यहां के विकास पर 30 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. देश-विदेश से यहां आने वाले पक्षियों की सुरक्षा के लिए ड्रोन कैमरे का प्रयोग किया जाएगा. इसकी मदद से न केवल उनकी सुरक्षा की जाएगी बल्कि पक्षी विहार की सुरक्षा के लिए चारों तरह हाई सिक्योरिटी फेंशिग का कार्य भी कराया जाएगा. इसके साथ ही पर्यटकों के लिए बोट इत्यादि की व्यवस्था भी की जाएगी.

एक नजर में पक्षी विहार
यह पक्षी विहार 12 हजार हेक्टेअर में फैला हुआ है, जो सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग के अंतर्गत आने वाले गोंडा जिले के टिकरी क्षेत्र की पार्वती-अरगा झील में स्थित है. यह पक्षी विहार नौ किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. यह झील कुल नौ गांवों से होकर गुजरती है. इस झील का सबसे ज्यादा क्षेत्र वजीरगंज में आता है.

कौन-कौन से पक्षी आते हैं यहां
पार्वती-अरगा झील में मध्य एशिया से काज और चट्टा पक्षी आते हैं. सर्दी के मौसम में विदेशी पक्षियों के अलावा सैकड़ों की तादाद में सारस भी अपने जोड़े के साथ यहां विचरण करते सहज ही देखे जा सकते हैं. तिब्बत से आने वाली पक्षियों में छोटी मुर्गाबी, नकटा, गिर्री और सुर्खाब प्रमुख हैं.

झील का है धार्मिक महत्व
पार्वती-अरगा झील को वैसे तो पक्षी विहार के लिए प्रमुख तौर पर मान्यता मिली हुई है, लेकिन धार्मिक कारण भी इस पक्षी विहार से जुड़ाव रखते हैं. लोगों की मान्यता है कि ये माता पार्वती और भगवान महादेव के अटूट प्रेम की निशानी है. पार्वती झील ही नहीं बल्कि इसके नाम से गांव भी बसा है.

इसके बारे में जानकारी देते हुए सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी रजनीकांत मित्तल कहते हैं कि पार्वती-अरगा पक्षी विहार को रामसर साइट डिक्लेयर कर दिया गया है, जो इसके सर्वांगीण विकास को लेकर बहुत अच्छी खबर है. यहां पर झील के विकास को लेकर 30 लाख रुपये के प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिलने के साथ बजट भी जारी हो गया है. पक्षी विहार की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरा खरीदा जाएगा. वहीं पक्षी विहार की सीमा पर फेंशिग का कार्य कराया जाएगा.

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यहां पर ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके, इसके लिए तमाम तरह की योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है. यहां पर बोट राइडिंग की सुविधा भी पर्यटकों को जल्द ही मिलनी शुरू हो जाएगी.
-रजनीकांत मित्तल, प्रभागीय वनाधिकारी, सुहेलवा वन्य जीव प्रभाग

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