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बलरामपुर : सुधर रही है प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति, बच्चे खेल-खेल में सीख रहे हैं पढ़ना

नीति आयोग के लागू किए गए ग्रेडेड लर्निंग प्रोग्राम, बिल्डिंग ऐज लर्निंग ऐड्स (BALA), मिड डे मील और एनसीईआरटी द्वारा लागू एक नए तरीके की शिक्षा पद्धति द्वारा बच्चों को बेहतर विकास का अवसर मिल रहा है. प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले तमाम बच्चे इनके जरिए नई-नई चीजें सीख रहे हैं, जो उनके बौद्धिक और सामाजिक विकास में सहायक बन रहा है.

सर्व शिक्षा अभियान
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Published : Mar 13, 2019, 11:39 AM IST

बलरामपुर : नीति आयोग की तरफ से बलरामपुर जिले के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, उनका प्रभाव अब धीरे-धीरे प्राथमिक स्कूलों में नजर आने लगा है. सरकार के लागू 'ऑपरेशन कायाकल्प' में तकरीबन 800 विद्यालयों का कायाकल्प करके उनकी सूरत को बदलने का काम कर लिया गया है.

दूसरी तरफ नीति आयोग के लागू किए गए ग्रेडेड लर्निंग प्रोग्राम, बिल्डिंग ऐज लर्निंग ऐड्स (BALA), मिड डे मील और एनसीईआरटी द्वारा लागू एक नए तरीके की शिक्षा पद्धति द्वारा बच्चों को बेहतर विकास का अवसर मिल रहा है. प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले तमाम बच्चे इनके जरिए नई-नई चीजें सीख रहे हैं, जो उनके बौद्धिक और सामाजिक विकास में सहायक बन रहा है.

सरकारी स्कूलों में बेहतर हो रही शिक्षा व्यवस्था

नीति आयोग ने बलरामपुर को साल 2015-16 में अति महत्वाकांक्षी जिले के रूप में घोषित किया था. यह जिला सालों से शिक्षा, स्वास्थ्य व ढांचागत विकास के लिए आस लगाए बैठा था लेकिन विकास की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी थी. जिले की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का आलम यह था कि सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, सब पढ़े-सब बढ़े, जैसे अभियानों के बाद भी जिले का शिक्षा प्रतिशत 60% क्रॉस नहीं कर पा सका था लेकिन नीति आयोग द्वारा बलरामपुर में किए जा रहे कार्यों का प्रयास अब दिखना शुरू हो गया है.

800 स्कूल हो चुके रिनोवेट
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से जिले के 2235 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कायाकल्प योजना को लागू किया गया. इस योजना का मकसद यह दिया गया था कि जिले के सभी स्कूलों का रिनोवेशन करवा कर उन्हें स्वच्छ और सुंदर बनाया जाए. इसके साथ ही सभी स्कूलों में मिड डे मील शेड, बालक-बालिकाओं के लिए अलग शौचालय, प्रत्येक स्कूल में बिल्डिंग ऐज लर्निंग ऐड्स (BALA), पुस्तकालय स्वच्छ जल व अन्य सुविधाओं से आच्छादित किया जा रहा है. कायाकल्प योजना के तहत तकरीर 800 स्कूलों का रिईनोवेट अब तक किया जा चुका है.

समाजसेवी संस्थान कर रहे अपना काम
जिले में नीति आयोग के मॉनिटर किए जाने वाले समाजसेवी संस्थान भी अपना काम कर रहे हैं. इन समाजसेवी संस्थाओं द्वारा ग्रेडेड लर्निंग प्रोग्राम, एनसीईआरटी के नियमों के मुताबिक बच्चों को शिक्षित प्रशिक्षित करने का काम, बच्चों के लिए बेहतर खेलकूद की सुविधाएं, विज्ञान लैब, कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय व स्कूलों में सीट व बेंच की व्यवस्थाएं करवाई जा रही हैं. इसके साथ ही बच्चों को स्कूल की ओर लाने और उनके पढ़ने में रुचि पैदा करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं.

बच्चों को स्कूल लाना था कठिन टास्क
पीरामल फाउंडेशन के प्रोजेक्ट मैनेजर विवेक राना ने बताया कि नीति आयोग की तरफ से किए जा रहे कामों में सबसे मेजर वर्क यही था कि बच्चों को कैसे स्कूल्स में रोका जा सके? ज्यादा से ज्यादा बच्चों को कैसे स्कूल की तरफ लाया जा सके. पढ़ाई में उनकी रुचि पैदा हो इसलिए क्या-क्या एक्टिविटीज की जा सकें? इन सारे कार्यों में हम अब धीरे-धीरे बेहतर होते जा रहे हैं. हमने इस वर्ष ही केवल 54000 अतिरिक्त बच्चों का रजिस्ट्रेशन करने में सफलता पाई है.

बलरामपुर : नीति आयोग की तरफ से बलरामपुर जिले के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, उनका प्रभाव अब धीरे-धीरे प्राथमिक स्कूलों में नजर आने लगा है. सरकार के लागू 'ऑपरेशन कायाकल्प' में तकरीबन 800 विद्यालयों का कायाकल्प करके उनकी सूरत को बदलने का काम कर लिया गया है.

दूसरी तरफ नीति आयोग के लागू किए गए ग्रेडेड लर्निंग प्रोग्राम, बिल्डिंग ऐज लर्निंग ऐड्स (BALA), मिड डे मील और एनसीईआरटी द्वारा लागू एक नए तरीके की शिक्षा पद्धति द्वारा बच्चों को बेहतर विकास का अवसर मिल रहा है. प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले तमाम बच्चे इनके जरिए नई-नई चीजें सीख रहे हैं, जो उनके बौद्धिक और सामाजिक विकास में सहायक बन रहा है.

सरकारी स्कूलों में बेहतर हो रही शिक्षा व्यवस्था

नीति आयोग ने बलरामपुर को साल 2015-16 में अति महत्वाकांक्षी जिले के रूप में घोषित किया था. यह जिला सालों से शिक्षा, स्वास्थ्य व ढांचागत विकास के लिए आस लगाए बैठा था लेकिन विकास की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी थी. जिले की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का आलम यह था कि सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, सब पढ़े-सब बढ़े, जैसे अभियानों के बाद भी जिले का शिक्षा प्रतिशत 60% क्रॉस नहीं कर पा सका था लेकिन नीति आयोग द्वारा बलरामपुर में किए जा रहे कार्यों का प्रयास अब दिखना शुरू हो गया है.

800 स्कूल हो चुके रिनोवेट
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से जिले के 2235 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कायाकल्प योजना को लागू किया गया. इस योजना का मकसद यह दिया गया था कि जिले के सभी स्कूलों का रिनोवेशन करवा कर उन्हें स्वच्छ और सुंदर बनाया जाए. इसके साथ ही सभी स्कूलों में मिड डे मील शेड, बालक-बालिकाओं के लिए अलग शौचालय, प्रत्येक स्कूल में बिल्डिंग ऐज लर्निंग ऐड्स (BALA), पुस्तकालय स्वच्छ जल व अन्य सुविधाओं से आच्छादित किया जा रहा है. कायाकल्प योजना के तहत तकरीर 800 स्कूलों का रिईनोवेट अब तक किया जा चुका है.

समाजसेवी संस्थान कर रहे अपना काम
जिले में नीति आयोग के मॉनिटर किए जाने वाले समाजसेवी संस्थान भी अपना काम कर रहे हैं. इन समाजसेवी संस्थाओं द्वारा ग्रेडेड लर्निंग प्रोग्राम, एनसीईआरटी के नियमों के मुताबिक बच्चों को शिक्षित प्रशिक्षित करने का काम, बच्चों के लिए बेहतर खेलकूद की सुविधाएं, विज्ञान लैब, कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय व स्कूलों में सीट व बेंच की व्यवस्थाएं करवाई जा रही हैं. इसके साथ ही बच्चों को स्कूल की ओर लाने और उनके पढ़ने में रुचि पैदा करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं.

बच्चों को स्कूल लाना था कठिन टास्क
पीरामल फाउंडेशन के प्रोजेक्ट मैनेजर विवेक राना ने बताया कि नीति आयोग की तरफ से किए जा रहे कामों में सबसे मेजर वर्क यही था कि बच्चों को कैसे स्कूल्स में रोका जा सके? ज्यादा से ज्यादा बच्चों को कैसे स्कूल की तरफ लाया जा सके. पढ़ाई में उनकी रुचि पैदा हो इसलिए क्या-क्या एक्टिविटीज की जा सकें? इन सारे कार्यों में हम अब धीरे-धीरे बेहतर होते जा रहे हैं. हमने इस वर्ष ही केवल 54000 अतिरिक्त बच्चों का रजिस्ट्रेशन करने में सफलता पाई है.

Intro:नीति आयोग द्वारा बलरामपुर जिले के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं। उसका प्रभाव अब धीरे-धीरे प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर दिखने लगा है। एक तरफ जहां सरकार द्वारा लागू 'ऑपरेशन कायाकल्प' द्वारा तकरीबन 800 विद्यालयों का कायाकल्प करके उनकी सूरत को बदलने का काम कर लिया गया है। वहीं, दूसरी तरफ नीति आयोग के द्वारा लागू किए गए ग्रेडेड लर्निंग प्रोग्राम, बिल्डिंग ऐज लर्निंग ऐड्स (बाला), मिड डे मील और एनसीईआरटी द्वारा लागू एक नए तरीके की शिक्षा पद्धति द्वारा बच्चों को बेहतर विकास का अवसर मिल रहा है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले तमाम जरिए से सीख रहे हैं। जो उनके बौद्धिक और सामाजिक विकास में सहायक बन रहा है।


Body:नीति आयोग द्वारा बलरामपुर जिले को साल 2015-16 में अतिमहत्वाकांक्षी जिले के रूप में घोषित किया गया। यह जिला सालों से शिक्षा, स्वास्थ्य व ढांचागत विकास के लिए आस लगाए बैठा था। लेकिन विकास की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी थी। जिले की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का आलम यह था कि सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, सब पढ़े-सब बढ़े, जैसे अभियानों के बाद भी जिले का शिक्षा प्रतिशत 60% क्रॉस नहीं कर पा सका था. लेकिन नीति आयोग द्वारा बलरामपुर में किए जा रहे कार्यों का प्रयास अब दिखना शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिले के 2235 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कायाकल्प योजना को लागू किया गया। इस योजना के जरिए मकसद दिया था कि जिले के सभी स्कूलों का रिईनोवेशन करवा कर उन्हें स्वच्छ और सुंदर बनाया जाए। इसके साथ ही सभी स्कूलों में मिड डे मील शेड, बालक बालिकाओं के लिए अलग शौचालय, प्रत्येक स्कूल में बिल्डिंग ऐज लर्निंग ऐड्स (बाला), पुस्तकालय स्वच्छ जल व अन्य सुविधाओं से आच्छादित किया जा रहा है। कायाकल्प योजना के तहत तकरीर 800 स्कूलों का रिईनोवेट अब तक किया जा चुका है। वहीं, दूसरी तरफ जिले में नीति आयोग द्वारा मॉनिटर किए जाने वाले समाज सेवी संस्थान भी अपना काम कर रहे हैं। इन समाजसेवी संस्थाओं द्वारा ग्रेडेड लर्निंग प्रोग्राम, एनसीईआरटी के नियमों के मुताबिक बच्चों को शिक्षित प्रशिक्षित करने का काम, बच्चों के लिए बेहतर खेलकूद की सुविधाएं, विज्ञान लैब, कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय व स्कूलों में सीट व बेंच की व्यवस्थाएं करवाई जा रही हैं। इसके साथ ही बच्चों को स्कूल की ओर लाने और उनके पढ़ने में रुचि पैदा करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं।


Conclusion:बच्चे दीवारों पर लिखे बाला को देख कर कहते हैं। इसके जरिए हम तेजी से सीखने का काम कर रहे हैं। हम तमाम चीजें सीख पा रहे हैं जो बड़े क्लासेस में जाकर हम सीखते थे। वहीं, कुछ बच्चे कायाकल्प योजना के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि इस योजना के जरिए अब हमारे स्कूल अच्छे दिखते हैं। स्कूलों में जो बदलाव हो रहा है। उससे पढ़ाई लिखाई का बेहतर माहौल भी तैयार हो रहा है। वहीं, नीति आयोग द्वारा मॉनिटर किए जा रहे हैं पीरामल फाउंडेशन के प्रोजेक्ट मैनेजर विवेक राना हमसे बात करते हुए कहते हैं कि नीति आयोग द्वारा किए जा रहे कामों में सबसे मेजर वर्क यही था कि बच्चों को कैसे स्कूल्स में रोका जा सके। ज्यादा से ज्यादा बच्चों को कैसे स्कूल की तरफ लाया जा सके। पढ़ाई में उनकी रुचि पैदा हो इसलिए क्या-क्या एक्टिविटीज की जा सकें। इन सारे कार्यों में हम अब धीरे-धीरे बेहतर होते जा रहे हैं। हमने इस वर्ष ही केवल 54000 अतिरिक्त बच्चों का रजिस्ट्रेशन करने में सफलता पाई है। इसी तरह पढ़ाई को छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में भी कमी आ रही है। कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो नीति आयोग द्वारा किए जा रहे प्रयासों का फल अब जमीन पर दिखना शुरू हो गया है।
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