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बलरामपुर: पंचायत भवनों की जर्जर स्थिति, प्रशासन नहीं ले रहा सुध

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Published : Dec 5, 2019, 7:26 PM IST

बलरामपुर जिले के गैंसड़ी विकासखंड का लठावर ग्रामसभा स्थित पंचायत भवन साल 2010 से ही जर्जर घोषित है, लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते इसकी स्थिति जस की तस ही बनी हुई है.

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पंचायत भवनों की जर्जर स्थिति

बलरामपुर: योगी सरकार ने सरकारी भवनों की बदहाली को सुधारने के लिए ऑपरेशन कायाकल्प योजना साल 2016-17 में लागू की थी. गैंसड़ी विकासखंंड के लठावर ग्रामसभा में स्थित पंचायत भवन जर्जर स्थिति में है, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों ने इस योजना के शुरुआती दौर में काफी रुचि ली, लेकिन बाद में यह उदासीनता की भेंट चढ़ गया.

पंचायत भवनों की जर्जर स्थिति.

बद से बदतर है गांव की स्थिति

  • यह गांव तकरीबन 4,000 की आबादी वाला है.
  • गैंसड़ी विकासखंड का लठावर ग्रामसभा स्थित पंचायत भवन साल 2010 से ही जर्जर घोषित है.
  • तीन प्रधानों के कार्यकाल बीतने के बाद भी गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
  • ग्राम प्रधान द्वारा ग्राम सचिवालय प्रांगण में न कोई मीटिंग होती है, न ही ग्राम विकास कार्यों पर चर्चा की जाती है.
  • पंचायत भवन मवेशियों और कब्जेदारों का अड्डा बना हुआ है.
  • यहां 600 से अधिक ग्रामसभाओं में ग्राम सचिवालय की कोई व्यवस्था नहीं है.

लठावर ग्रामसभा के रहने वाले बद्री प्रसाद यादव बताते हैं कि यह भवन साल 2010 में ही जर्जर घोषित कर दिया गया था, लेकिन आज तक यहां पर भवन का कायाकल्प नहीं हो सका है. गांव के विकास कार्यों की मीटिंग कहां होती है, यह किसी भी ग्रामवासी को नहीं पता है. यहां तक कि बीडीसी सदस्यों को भी इसकी कोई जानकारी नहीं है.

इस मामले पर बात करते हुए सीडीओ अमनदीप डुली ने बताया कि ऑपरेशन कायाकल्प के जरिए पहले फेज में सरकारी स्कूलों को सही कराया गया है. अब इस वित्त वर्ष में अन्य सरकारी भवनों को सही कराया जा रहा है. उनका कहना है कि इस वर्ष के अंत तक जिले के सभी सरकारी भवनों का कायाकल्प कर दिया जाएगा.

बलरामपुर: योगी सरकार ने सरकारी भवनों की बदहाली को सुधारने के लिए ऑपरेशन कायाकल्प योजना साल 2016-17 में लागू की थी. गैंसड़ी विकासखंंड के लठावर ग्रामसभा में स्थित पंचायत भवन जर्जर स्थिति में है, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों ने इस योजना के शुरुआती दौर में काफी रुचि ली, लेकिन बाद में यह उदासीनता की भेंट चढ़ गया.

पंचायत भवनों की जर्जर स्थिति.

बद से बदतर है गांव की स्थिति

  • यह गांव तकरीबन 4,000 की आबादी वाला है.
  • गैंसड़ी विकासखंड का लठावर ग्रामसभा स्थित पंचायत भवन साल 2010 से ही जर्जर घोषित है.
  • तीन प्रधानों के कार्यकाल बीतने के बाद भी गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
  • ग्राम प्रधान द्वारा ग्राम सचिवालय प्रांगण में न कोई मीटिंग होती है, न ही ग्राम विकास कार्यों पर चर्चा की जाती है.
  • पंचायत भवन मवेशियों और कब्जेदारों का अड्डा बना हुआ है.
  • यहां 600 से अधिक ग्रामसभाओं में ग्राम सचिवालय की कोई व्यवस्था नहीं है.

लठावर ग्रामसभा के रहने वाले बद्री प्रसाद यादव बताते हैं कि यह भवन साल 2010 में ही जर्जर घोषित कर दिया गया था, लेकिन आज तक यहां पर भवन का कायाकल्प नहीं हो सका है. गांव के विकास कार्यों की मीटिंग कहां होती है, यह किसी भी ग्रामवासी को नहीं पता है. यहां तक कि बीडीसी सदस्यों को भी इसकी कोई जानकारी नहीं है.

इस मामले पर बात करते हुए सीडीओ अमनदीप डुली ने बताया कि ऑपरेशन कायाकल्प के जरिए पहले फेज में सरकारी स्कूलों को सही कराया गया है. अब इस वित्त वर्ष में अन्य सरकारी भवनों को सही कराया जा रहा है. उनका कहना है कि इस वर्ष के अंत तक जिले के सभी सरकारी भवनों का कायाकल्प कर दिया जाएगा.

Intro:प्रदेश की योगी सरकार सरकारी भवनों की बदहाली सुधारने के ऑपरेशन कायाकल्प नाम की योजना साल 2016-17 में लागू की गई। ग्राम पंचायतों को इस योजना के जरिए छूट दी गयी कि वह तमाम योजनाओं का उपयोग करते हुए अपने-अपने गांवों या मजरों में स्थित सरकारी भवनों जैसे सरकारी स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों, उप स्वास्थ्य केंद्रों व पंचायत भवनों की स्थिति को बेहतर बना लें। लेकिन ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों ने इस योजना के शुरुआती दौर में खूब रुचि ली लेकिन बाद में यह उदासीनता के भेंट चढ़ने लगी। अब आलम यह है कि जिले के 801 ग्रामसभाओं में स्थित सरकारी भवनों को खुद के अस्तित्व को बचाये रखने के लाले पड़े हुए हैं।


Body:तकरीबन 4000 की आबादी वाले गैंसड़ी विकासखंड के लठावर ग्रामसभा में स्थित पंचायत भवन साल 2010 से ही कॉन्डम घोषित है लेकिन तीन प्रधानी बीतने के बाद भी कोई इसकी सुध लेने वाला नहीं है। मौजूदा ग्राम प्रधान द्वारा न तो ग्राम सचिवालय के प्रांगड़ में कोई मीटिंग ली जाती है। और न ही गांव विकास कार्यों पर सदस्यों से कोई चर्चा की जाती है।
पंचायत भवन का आलम यह है कि वह मवेशियों और कब्जेदारों का अड्डा बना हुआ है। इसी तरह की स्थिति कमोवेश जिले के हर ग्राम सभा में नज़र आती है। यहाँ के 600 से अधिक ग्रामसभाओं में न तो ग्राम सचिवालय की कोई व्यवस्था है और न ही यहां के बाशिंदों को समुचित विकास का दर्शन हो पाता है।


Conclusion:लठावर ग्रामसभा के रहने वाले बद्री प्रसाद यादव बताते हैं कि यह भवन साल 2010 में ही निष्प्रयोज घोषित कर दिया गया था लेकिन आज तक यहां पर भवन का सुदृनिकरण नहीं हो सका है। गांव के विकास कार्यों के मीटिंग कहाँ होती है किसी भी ग्रामवासी को नहीं पता। यहां तक कि बीडीसी सदस्यों को भी इसकी जानकारी नहीं है।
वहीं इस मामले पर बात करते हुए सीडीओ अमनदीप डुली कहते हैं कि ऑपरेशन कायाकल्प के जरिए पहले फेज में सरकारी स्कूलों को सही करवाया गया है। अब इस वित्त वर्ष में अन्य सरकारी भवनों को सही करवाया जा रहा है। इस वर्ष के अंत तक हम जिले के सभी सरकारी भवनों की स्थिति को सही कर सकेंगे।
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