बलरामपुर: जिले के उतरौला तहसील में राजकीय प्रशिक्षण संस्थान गैंडासबुजुर्ग और बलरामपुर तहसील में राजकीय प्रशिक्षण संस्थान, कटरा शंकरनगर पिछले 5 वर्षों से निर्माणाधीन हैं. साल 2016 से यहां पर कक्षाएं संचालित हो रही हैं. इतना ही नहीं यहां पर 400-400 छात्र-छात्राएं पंजीकृत होकर डिग्री भी हासिल रहे हैं. हालांकि यह सारे कामकाज महज कागजों में ही चल रहे हैं.
दरअसल, उतरौला के राजकीय प्रशिक्षण संस्थान गैंडासबुजुर्ग और बलरामपुर के राजकीय प्रशिक्षण संस्थान कटरा शंकरनगर बलरामपुर का निर्माण पिछले 5 सालों से किया जा रहा है. इन दोनों आईटीआई की घोषणा सपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की थी. उस समय बजट रिलीज भी हुआ, लेकिन काम की रफ्तार धीमी होने के कारण विद्यालय को अभी भी हैंडओवर नहीं किया जा सका है.
यहां प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले तमाम छात्र-छात्राओं को इस कारण से तकरीबन 90 से 60 किलोमीटर की दूरी तय कर पचपेड़वा के रिमोट एरिया में अनुसूचित जनजाति के लिए स्थापित किए गए राजकीय प्रशिक्षण संस्थान विशुनपुर विश्राम जाना पड़ता है. आंकड़े के अनुसार यहां अभी 1100 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, जिनमें से चार-चार सौ छात्र-छात्राएं कटरा शंकरनगर और गैंडासबुजुर्ग आईटीआई के हैं. यहां पर छात्र-छात्राओं को अधिक संख्या होने के कारण न तो बेहतर माहौल मिल पाता है और न ही बेहतर प्रशिक्षण. इसके साथ ही विशनपुर आईटीआई तमाम तरह की दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है. प्रशिक्षकों और अध्यापकों की कमी के कारण भी बच्चों को प्रशिक्षण पाने में दिक्कत होती है.
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छात्र बताते हैं कि संसाधनों का न मिल पाना, यात्रा के समुचित विकल्पों का न होना और प्रशिक्षण के दौरान अध्यापकों की कमी जैसी तमाम तरह की परेशानियां उन्हें होती हैं. वहीं आईटीआई विशुनपुर विश्राम के प्राचार्य इंजीनियर के एन पांडे बताते हैं कि उतरौला के गैंडासबुजुर्ग और बलरामपुर के कटराशंकर नगर में आईटीआई निर्माणाधीन है, जो अभी तक पूरा नहीं हो सका है. यहां पर लैब और वर्कशॉप बनाने का काम अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है. इस कारण वहां पर 2016 से प्रवेश और प्रशिक्षण पाने वाले छात्र-छात्राओं को यहीं पर प्रशिक्षित किया जाता है. उनका कहना है कि इन सारी समस्याओं के लिए शासन स्तर पर कई बार पत्राचार किया जा चुका है.