बलरामपुर: जिले के चार नगर निकायों से रोजाना 100 टन से ज्यादा कूड़ा निकलता है. निस्तारण के लिए कहने को तो तमाम तरह की कागजी व्यवस्थाएं हैं, लेकिन कूड़े से जुड़ी जमीनी हकीकत में लोग बीमारियों और दुर्गंध से घिरे रहते हैं.
बलरामपुर जिले के नगर निकाय नगर पालिका परिषद उतरौला की आबादी करीब 60 हजार है. यहां पर करीब 32 हजार वोटर हैं, जिनके लिए सड़कों, नालियों और अन्य स्थानों के साफ-सफाई और कूड़ा निस्तारण का जिम्मा नगर पालिका परिषद संभालता है. साफ-सफाई के काम में अव्वल आकर नगर पालिका परिषद उतरौला के सिर अब आदर्श नगर पालिका का ताज तो सज गया, लेकिन जमीन पर कूड़ा बटोरने से लेकर निस्तारण तक की स्थिति बदरंग नजर आती है.
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बीमारियों को दे रहे बढ़ावा
नगर के जिन जगहों पर कूड़ा डंप किया जाता है. वह न केवल आबादी से सटे हुए हैं बल्कि उन्हें कर्मियों द्वारा जला भी दिया जाता है, जो एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन है. कूड़ा जलने के कारण तमाम तरह की बीमारियां लोगों को हो रही है. दूषित वातावरण के कारण होने वाली तमाम बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. इस तरह नगर पालिका परिषद ने केवल अपने ही नागरिकों के स्वास्थ्य से खेलने का काम कर रहा है बल्कि स्वच्छ आबोहवा मुहैया करवाने के अपने ही दावे पर फेल होता भी नजर आ रहा है.
नहीं होती सुनवाई
इस मामले पर कई बार शिकायत कर चुके जीवन लाल यादव कहते हैं कि नगर पालिका परिषद के पास न तो कूड़ा निस्तारण की कोई ठोस व्यवस्था है और न ही इनके पास पर्याप्त कुशल कर्मी हैं.
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क्या बोले अधिषाशी अधिकारी
इस मामले पर उतरौला के अधिशासी अधिकारी कहते हैं कि एनजीटी के आदेशों और नियमों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है. हमारे यहां कहीं भी कूड़ा जलाने की घटना नहीं हो रही है. यदि ऐसे कुछ होता है तो हम उसे तत्काल सही भी करवाते हैं. वह नगरीय निकाय क्षेत्र में कूड़ा डंप करने की बात पर कहते हैं कि नगर पालिका परिषद के पास अपनी जमीन तक नहीं है. ऐसे में हम जमीन चिन्हित कर रहे हैं. जैसे ही कहीं खाली जमीन मिलती है. नगर क्षेत्र से दूर फिर कूड़ा डंप करके निस्तारित करने का काम होगा.