बलरामपुर: कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों के पलायन का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार जिले में ऐसे लोगों का आना जारी है. मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित झांसी जिले में मजदूरी करने वाले कुछ लोगों के सामने जब रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने लगा तो ये सभी मजदूर 470 किमी मीटर का सफर पैदल तय कर बलरामपुर पहुंच गए. इसके पीछे एक और कारण था.एक मजदूर की मां की तबीयत खराब थी,
झांसी से 14 अप्रैल को बलरामपुर के लिए निकले मजदूर जिले के पचपेड़वा थाने के खादर गांव के रहने वाले हैं. यह सभी झांसी जिले में पत्थर तोड़ने का काम करते थे. लॉकडाउन होने के बाद इन सभी का काम पूरी तरह बंद हो गया. इन लोगों के पास जो जमा पूंजी थी, पिछले 25 दिन में पूरी तरह खत्म हो गई. लॉकडाउन की तारीख बढ़ने के बाद मजदूरों का हौसला जवाब दे गया. फिर सभी मजदूर तकरीबन एक सप्ताह पहले 800 किमी का सफर तय करने के लिए पैदल ही निकल पड़े.
शिव प्रसाद और उनके साथी पिछले एक सप्ताह से लगातार पैदल सफर कर रहे हैं. थककर जब सब चूर हो जाते तो अधिकतम दो घण्टे आराम करने के बाद मंजिल की तरफ चल देते थे. इन मजदूरों के कंघे पर रखे बोझ से ज्यादा इनके परिवार का बोझ है, जिसे इन्होंने हंसते-हंसते उठा लिया. परिवार के बोझ को कम करने के लिये यह सब अपना घर बार छोड़कर पैसे कमाने के लिये गए थे. लेकिन लॉकडाउन ने इनकी ख्वाहिशों पर पानी फेर दिया. यह मजदूरों जब बलरामपुर की सीमा पर पहुंचे तो अपने वतन की घरती पर राहत की सास ली, लेकिन सीमा पर पहुंचते ही उन्हें रोक लिया गया.
काम बंद होने की वजह से लौटे घर
शिवप्रसाद और प्रभु दयाल ने बताया कि मेरी मां की तबीयत खराब थी और झांसी में काम बंद होने के बाद हम लोगों के पास पैसे की तंगी हो गई थी, इसलिए हम लोगों ने अपने घर पचपेड़वा तक का सफर पैदल ही तय किया. तमाम मुश्किलों को झेलते हुए बलरामपुर पहुंच गए. अब हम अपने घर जाकर अपनी मां से मिलेंगे और खुद को घर में क्वॉरेंटाइन कर लेंगे.
पुलिस अधीक्षक देव रंजन वर्मा ने कहा कि कुछ लोग ट्रांजिस्ट के रूप में लॉकडाउन खत्म होने के बाद लगातार जिले में आ रहे हैं. इनमें से अधिकांश लोग मध्य प्रदेश, गुजरात या महाराष्ट्र में पहले से काम करते थे. यहां आने वाले सभी लोगों की स्वास्थ्य टीमों द्वारा स्क्रीनिंग और जरूरी जांच करवाने के बाद इन्हें या तो क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया जा रहा है या फिर इनको इनके घरों में ही पृथकवास में रहने की सलाह दी जा रही है.
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