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बलरामपुर में महज उम्मीद के सहारे प्रवासी मजदूर, लाचारी ने किया बेरोजगार - बलरामपुर समाचार

यूपी के बलरामपुर जिले की देवीपाटन ग्रामसभा में वापस आए प्रवासी मजदूरों और मनरेगा जॉब कार्ड धारकों की हालत खराब है. बीते कई महीनों से उन्हें काम नहीं मिला है, जिससे उनके सामने खाने-पीने की भी समस्या खड़ी होने लगी है.

प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहा काम
प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहा काम
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Published : Jul 30, 2020, 10:54 PM IST

बलरामपुर: आजादी के समय देखी गई तस्वीरें कोरोनाकाल के चलते देश में एक बार फिर से ताजा हो गई हैं. लाखों की संख्या में देश-प्रदेश के प्रवासी अपने अपने घरों तक पहुंचे. अपनी रोजी-रोजगार को छोड़कर वापस आए लोग घर पहुंचने के बाद बेरोजगार हो गए. इन कामगारों की सुध लेने और उन्हें उनके घरों के पास ही रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलकर प्रदेशव्यापी योजना की शुरुआत की. इसके लिए प्रदेश में उत्तर प्रदेश प्रवासी रोजगार अभियान के नाम से एक योजना शुरू की गई. इस योजना का शुभारंभ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिसमें महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत प्रवासियों को काम देने की योजना को जमीन पर उतारने की बात कही गई, लेकिन तमाम वादों और इरादों के बावजूद भी जिले के तुलसीपुर तहसील में स्थित देवीपाटन ग्रामसभा के प्रवासियों को काम मिलता नहीं दिख रहा है.

प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहा काम.

लॉकडाउन के चलते जिले में वापस आए 87,000 प्रवासी
बलरामपुर जिले में लॉकडाउन के दौरान तकरीबन 87,000 प्रवासी मजदूर अपने-अपने घरों को वापस आए. इन लोगों में जिले के देवीपाटन ग्रामसभा के कुल 282 मजदूर भी शामिल हैं. देवीपाटन शक्तिपीठ इसी ग्रामसभा में स्थित होने के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान बना रहता है. फिर भी इस ग्रामसभा के प्रवासी और मजदूर मनरेगा और अन्य योजनाओं के तहत मिलने वाले कामों से आज तक महरूम हैं.

प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहा काम
अगर मनरेगा के तहत दिए जा रहे कामों की बात की जाए तो अब तक 49,000 से प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत काम पर लगाया जा चुका है, जबकि 40,000 से अधिक नए जॉब कार्ड का सृजन कर उन्हें रोजाना 202 रुपए की मजदूरी देने की गारंटी की बात कही जा रही है. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इंटरेस्ट वाले जिले या गांव में ही प्रवासी मजदूरों को रोजगार न मिल पाना न केवल जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि योजनाओं की जमीनी हकीकत की बानगी भी बयां करता है.

देवीपाटन ग्रामसभा का तुलसीपुर नगर पंचायत में विलय बनी समस्या
दरअसल कुछ दिनों पहले ही देवीपाटन ग्रामसभा को तुलसीपुर नगर पंचायत में शामिल किया गया था, जिस कारण यहां पर ग्रामसभा की ओर से काम करवाना बंद कर दिया गया था. वहीं जब कोविड-19 संकट की शुरुआत हुई तो उसके बाद एक आदेश के जरिए उन सभी कामों को ग्रामसभा से करवाने का निर्देश दिया गया, जिनका बजट या तो दिया जा चुका था या बजट के लिए प्लान बनाया जा चुका था. इसके बावजूद भी यहां पर मनरेगा के तहत रजिस्टर मजदूरों को कोविड-19 संकट के दौरान एक पैसे का काम नहीं मिला है.

प्रधान नहीं कर पा रहे काम का भुगतान
इस बारे में जब ग्रामप्रधान प्रतिनिधि स्वामीदयाल गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे ग्रामसभा को अप्रैल महीने में नगर पंचायत तुलसीपुर में शामिल कर लिया गया था. इसके बाद हमें एक सरकारी आदेश मिला था कि ग्राम सभा में चल रहे सभी तरह के कामों को सितंबर महीने तक जारी रखा जाए. आदेश के बाद भी न तो हमारा डोंगल दोबारा एक्टिवेट किया गया और न ही हम किसी तरह का भुगतान कर सकते हैं. ऐसे में हम किसी से कैसे काम करवाएंगे. मजदूरों को काम न मिलने को लेकर उनका कहना था कि हमारे यहां पर आए हुए प्रवासी मजदूर भी मजबूर हैं, उनके पास रोजी-रोटी की समस्या है बावजूद इसके कोई सुनने वाला नहीं है.

घर लौटे प्रवासी अब तक हैं बेरोजगार
वापस आए प्रवासी मजदूरों और उनके परिजनों से ईटीवी भारत ने बात की. उन्होंने बताया कि हमारे परिवार में कई लोग दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में रहकर छोटा-मोटा काम किया करते थे. वहां से न केवल उनकी रोजी-रोटी चलती थी, बल्कि परिवार के भरण-पोषण भी होता था. कोरोना संकटकाल की जब से शुरुआत हुई, उसके बाद हमारे बच्चे अपने घरों में वापस आ गए. अब न तो इनके पास कोई रोजगार है और न ही हमारे पास भरण-पोषण की कोई व्यवस्था है.

काम की मिलती है केवल उम्मीद, नहीं मिलता काम
वहीं मनरेगा जॉब कार्ड धारक बताते हैं कि हम लोग लगातार ग्रामसभा के प्रधान और पंचायत सचिव व अन्य लोगों के माध्यम से रोजगार देने के लिए बातचीत करते हैं, लेकिन बार-बार हमें केवल उम्मीद दी जाती है काम नहीं मिलता. पूरे कोविड-19 के दौरान हम में से किसी को एक दिन का भी रोजगार नहीं मिल सका है, अब तो जिंदगी को चलाने की समस्या खड़ी हो गई है.

क्या बोले जिम्मेदार ?

इस मामले में जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश का कहना है कि देवीपाटन मंदिर और इससे जुड़े क्षेत्र के विकास के कारण इस ग्रामसभा का तुलसीपुर नगर पंचायत में विलय कर दिया गया है, लेकिन जो भी काम चल रहे हैं, उनको पूर्ण कराने के लिए संबंधित अधिकारियों और प्रधान को आदेश पहले ही किया जा चुका है. जहां तक देवीपाटन ग्राम सभा में मनरेगा के तहत मजदूरों को काम न मिलने का प्रश्न है तो उसके लिए आसपास के गांवों को में उन्हें रोजगार दिलाने की बात सोची जा रही है. आसपास के कई गांवों में लगातार काम चलता है और वहां पर मजदूरों की कमी भी बनी रहती है. ऐसे में यहां के मजदूरों और प्रवासियों का समायोजन कर उन्हें काम मुहैया कराया जाएगा.

बलरामपुर: आजादी के समय देखी गई तस्वीरें कोरोनाकाल के चलते देश में एक बार फिर से ताजा हो गई हैं. लाखों की संख्या में देश-प्रदेश के प्रवासी अपने अपने घरों तक पहुंचे. अपनी रोजी-रोजगार को छोड़कर वापस आए लोग घर पहुंचने के बाद बेरोजगार हो गए. इन कामगारों की सुध लेने और उन्हें उनके घरों के पास ही रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलकर प्रदेशव्यापी योजना की शुरुआत की. इसके लिए प्रदेश में उत्तर प्रदेश प्रवासी रोजगार अभियान के नाम से एक योजना शुरू की गई. इस योजना का शुभारंभ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिसमें महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत प्रवासियों को काम देने की योजना को जमीन पर उतारने की बात कही गई, लेकिन तमाम वादों और इरादों के बावजूद भी जिले के तुलसीपुर तहसील में स्थित देवीपाटन ग्रामसभा के प्रवासियों को काम मिलता नहीं दिख रहा है.

प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहा काम.

लॉकडाउन के चलते जिले में वापस आए 87,000 प्रवासी
बलरामपुर जिले में लॉकडाउन के दौरान तकरीबन 87,000 प्रवासी मजदूर अपने-अपने घरों को वापस आए. इन लोगों में जिले के देवीपाटन ग्रामसभा के कुल 282 मजदूर भी शामिल हैं. देवीपाटन शक्तिपीठ इसी ग्रामसभा में स्थित होने के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान बना रहता है. फिर भी इस ग्रामसभा के प्रवासी और मजदूर मनरेगा और अन्य योजनाओं के तहत मिलने वाले कामों से आज तक महरूम हैं.

प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहा काम
अगर मनरेगा के तहत दिए जा रहे कामों की बात की जाए तो अब तक 49,000 से प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत काम पर लगाया जा चुका है, जबकि 40,000 से अधिक नए जॉब कार्ड का सृजन कर उन्हें रोजाना 202 रुपए की मजदूरी देने की गारंटी की बात कही जा रही है. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इंटरेस्ट वाले जिले या गांव में ही प्रवासी मजदूरों को रोजगार न मिल पाना न केवल जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि योजनाओं की जमीनी हकीकत की बानगी भी बयां करता है.

देवीपाटन ग्रामसभा का तुलसीपुर नगर पंचायत में विलय बनी समस्या
दरअसल कुछ दिनों पहले ही देवीपाटन ग्रामसभा को तुलसीपुर नगर पंचायत में शामिल किया गया था, जिस कारण यहां पर ग्रामसभा की ओर से काम करवाना बंद कर दिया गया था. वहीं जब कोविड-19 संकट की शुरुआत हुई तो उसके बाद एक आदेश के जरिए उन सभी कामों को ग्रामसभा से करवाने का निर्देश दिया गया, जिनका बजट या तो दिया जा चुका था या बजट के लिए प्लान बनाया जा चुका था. इसके बावजूद भी यहां पर मनरेगा के तहत रजिस्टर मजदूरों को कोविड-19 संकट के दौरान एक पैसे का काम नहीं मिला है.

प्रधान नहीं कर पा रहे काम का भुगतान
इस बारे में जब ग्रामप्रधान प्रतिनिधि स्वामीदयाल गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे ग्रामसभा को अप्रैल महीने में नगर पंचायत तुलसीपुर में शामिल कर लिया गया था. इसके बाद हमें एक सरकारी आदेश मिला था कि ग्राम सभा में चल रहे सभी तरह के कामों को सितंबर महीने तक जारी रखा जाए. आदेश के बाद भी न तो हमारा डोंगल दोबारा एक्टिवेट किया गया और न ही हम किसी तरह का भुगतान कर सकते हैं. ऐसे में हम किसी से कैसे काम करवाएंगे. मजदूरों को काम न मिलने को लेकर उनका कहना था कि हमारे यहां पर आए हुए प्रवासी मजदूर भी मजबूर हैं, उनके पास रोजी-रोटी की समस्या है बावजूद इसके कोई सुनने वाला नहीं है.

घर लौटे प्रवासी अब तक हैं बेरोजगार
वापस आए प्रवासी मजदूरों और उनके परिजनों से ईटीवी भारत ने बात की. उन्होंने बताया कि हमारे परिवार में कई लोग दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में रहकर छोटा-मोटा काम किया करते थे. वहां से न केवल उनकी रोजी-रोटी चलती थी, बल्कि परिवार के भरण-पोषण भी होता था. कोरोना संकटकाल की जब से शुरुआत हुई, उसके बाद हमारे बच्चे अपने घरों में वापस आ गए. अब न तो इनके पास कोई रोजगार है और न ही हमारे पास भरण-पोषण की कोई व्यवस्था है.

काम की मिलती है केवल उम्मीद, नहीं मिलता काम
वहीं मनरेगा जॉब कार्ड धारक बताते हैं कि हम लोग लगातार ग्रामसभा के प्रधान और पंचायत सचिव व अन्य लोगों के माध्यम से रोजगार देने के लिए बातचीत करते हैं, लेकिन बार-बार हमें केवल उम्मीद दी जाती है काम नहीं मिलता. पूरे कोविड-19 के दौरान हम में से किसी को एक दिन का भी रोजगार नहीं मिल सका है, अब तो जिंदगी को चलाने की समस्या खड़ी हो गई है.

क्या बोले जिम्मेदार ?

इस मामले में जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश का कहना है कि देवीपाटन मंदिर और इससे जुड़े क्षेत्र के विकास के कारण इस ग्रामसभा का तुलसीपुर नगर पंचायत में विलय कर दिया गया है, लेकिन जो भी काम चल रहे हैं, उनको पूर्ण कराने के लिए संबंधित अधिकारियों और प्रधान को आदेश पहले ही किया जा चुका है. जहां तक देवीपाटन ग्राम सभा में मनरेगा के तहत मजदूरों को काम न मिलने का प्रश्न है तो उसके लिए आसपास के गांवों को में उन्हें रोजगार दिलाने की बात सोची जा रही है. आसपास के कई गांवों में लगातार काम चलता है और वहां पर मजदूरों की कमी भी बनी रहती है. ऐसे में यहां के मजदूरों और प्रवासियों का समायोजन कर उन्हें काम मुहैया कराया जाएगा.

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