बलरामपुर: जिले में बड़ी संख्या में पहुंच रहे प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाना जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. जिला प्रशासन अन्य प्रदेशों में जिलों से आए प्रवासियों का डेटाबेस तैयार करने में जुटा है, जिसके जरिए उनके स्किल की पहचान कर उन्हें रोजगार उपलब्ध करवाया जा सके. बाहर से पहले से ही परेशान होकर आए मजदूरों के सामने अब जीने और खाने की समस्या उत्पन्न हो रही है.
इस समस्या से उन्हें बाहर निकालने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है. इससे न केवल मजदूरों को उनके घरों के आसपास ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है. बल्कि यह योजना कोरोना महामारी के इस दौर में चेहरों पर खुशी लाने का काम कर रही है.
बलरामपुर में 60 हजार से ज़्यादा प्रवासी श्रमिक आए
जिले के 801 ग्रामसभाओं में तकरीबन 60 हजार से ज़्यादा प्रवासी श्रमिक वापस आ चुके हैं. फ़िलहाल ट्रेनों, बसों व अन्य साधनों से इनका जिले में पहुंचना लगातार जारी है. पहले से बेरोज़गार होने के साथ सबसे बड़ी समस्या प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाकर, उनके जीवन को पटरी पर लाना है. इसके लिए योगी आदित्यनाथ सरकार का एक निर्णय महत्वपूर्ण साबित हो रहा है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत ग्रामीण अंचल में रहने वाले लोगों को रोजगार दिया जा रहा है.
40 हजार श्रमिकों को दिया गया काम
राज्य सरकार, केन्द्र सरकार के सहयोग से एक कार्ययोजना पर काम करते हुए प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवा रही है. बलरामपुर जिला अपने यहां रोज़गार उपलब्ध करवाने के मामले में प्रदेश के टॉप 20 जिलों में एक है. इस मनरेगा के तहत जिले में लॉकडाउन 2.0 से अब तक तकरीबन एक महीने के दौरान तकरीबन 2 लाख 45 हजार कार्यदिवस सृजित किया जा चुका है. तकरीबन 40 हज़ार श्रमिकों को काम दिया जा चुका है. इनमें से तकरीबन 2 लाख 47 हजार कार्यदिवसों के लिए श्रमिकों को 202 रुपये के हिसाब से पेमेंट भी किया जा चुका है.
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मनरेगा से दूर हुई दिक्कत
ग्राम सभा शंकरपुर में एक तलाब की खुदाई का काम करने वाले श्रमिक बताते हैं कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो अपने साधन के ज़रिए हम यहां पहुंचे. इसके बाद सबसे बड़ी समस्या हमारे पास खाने पीने और पैसे की थी. हमें राशन तो मिल रहा था, लेकिन रोज़गार के लिए परेशान थे. ऐसे में मनरेगा के तहत मिले काम के कारण हमारे पास पैसे की दिक्कत दूर हुई है.
मनरेगा में विकास कार्यों पर बल
वहीं मनरेगा के कामकाज के बारे में जानकारी देते हुए मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली बताते हैं कि लगभग एक महीने पहले हमारे यहां मनरेगा का काम शुरू किया गया था. अब तक 2,47,000 मानव दिवस सृजित किए जा चुके हैं. जो प्रतिदिन के हिसाब से तकरीबन 10,000 बैठता है. उन्होंने कहा कि हमने अब तक मनरेगा के तहत हो रहे कार्यों में तकरीबन 40,000 मजदूरों को लिया है. मनरेगा के तहत ग्रामीण स्तर पर विकास कार्यों को बल दिया जा रहा है, जिसमें वृक्षारोपण, तालाब की खुदाई, सड़कों की पटाई इत्यादि महत्वपूर्ण कार्य सम्मिलित है.
97 फीसदी पेमेंट क्लियर कर दिया गया
सीडीओ ने बताया कि मनरेगा के तहत उन मजदूरों को भी काम देने का काम किया जा रहा है. जो अभी हाल ही में बाहर से यहां पहुंचे हैं. इस दौरान इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि उन्होंने अपने क्वारंटाइन पीरियड को पूरा कर लिया है अथवा नहीं. उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत हमने अब तक 40,000 श्रमिकों के तकरीबन 97 फीसद पेमेंट को क्लियर कर दिया है.