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बलरामपुर: इस परिवार को मिला राममंदिर की आधारशिला कार्यक्रम के लिए न्योता - ayodhya program

PM मोदी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे. कई वीआईपी और गणमान्य लोगों को कार्यक्रम में शिरकत करने का न्योता भेजा गया है. वहीं अयोध्या मामले का पहला मुकदमा दायर करने वाले स्व. गोपाल सिंह विशारद के बेटे राजेन्द्र सिंह को आधारशिला कार्यक्रम में आने का न्योता मिला है.

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स्व: गोपाल सिंह विशारद के परिवार को मिला अयोध्या कार्यक्रम का न्योता.
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Published : Aug 4, 2020, 12:40 PM IST

बलरामपुर: उत्तर प्रदेश का बलरामपुर जिला इन दिनों एक बार फिर राममंदिर निर्माण आंदोलन को लेकर चर्चा में है. पांच अगस्त को अयोध्या में होने वाले भूमि पूजन का निमंत्रण अयोध्या मामले का पहला मुकदमा दायर करने वाले स्व. गोपाल सिंह विशारद के बेटे राजेन्द्र सिंह को मिला है. उनका परिवार आज भी बलरामपुर के तुलसी पार्क मोहल्ले में रहता है.

गोपाल सिंह विशारद हिंदू महासभा से जुड़े हुए थे और उस दौर में अयोध्या में ही किराए के मकान में रहते थे. पेशे से वकील रहे गोपाल सिंह विशारद विवादित ढांचे में भगवान श्रीराम की मूर्तियां रखे जाने के बाद साल 1950 में पहला मुकदमा फैजाबाद जिला अदालत में दायर किया था और अपने मुकदमे में उन्होंने श्री राम लला के पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की थी.

स्व: गोपाल सिंह विशारद के परिवार को मिला अयोध्या कार्यक्रम का न्योता.
भारतीय न्याय व्यवस्था के तहत मुकदमा चलता रहा, तारीख पर तारीख बदलती रही, अदालतें बदलती रहीं और पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. हालांकि 33 साल की लड़ाई के बाद साल 1986 में गोपाल सिंह विशारद का निधन हो गया. गोपाल सिंह विशारद के द्वारा छेड़ी गई इस जंग को उनके परिवार ने आगे बढ़ाने का फैसला लिया और उनके पुत्र राजेंद्र सिंह ने मुकदमे की पैरवी जारी रखी.



गोपाल सिंह विशारद के पुत्र राजेंद्र सिंह विशारद इस बारे में बात करते हुए कहते हैं कि साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो फैसला दिया गया, उस फैसले में हमें श्री रामलला की पूजा की अनुमति दी गई, जिससे हम और हमारा परिवार बेहद खुश है. वह आगे बताते हैं कि हमें कोई निमंत्रण पत्र तो नहीं आया है, लेकिन अयोध्या में मुकदमों की जिम्मेदारी संभाल रहे त्रिलोकीनाथ पाण्डेय ने फोन पर चार अगस्त को अयोध्या आने का निमंत्रण दिया है.

राजेन्द्र सिंह के परिवार में राजेंद्र सिंह उनकी पत्नी शैल सिंह, बेटा नीलेंद्र सिंह व शीलेंद्र सिंह और उनकी पत्नियां साथ ही पोती आड्रिका सिंह शामिल हैं, जिसमे शीलेन्द्र सिंह नेवी में नौकरी करते हैं, जबकि नीलेन्द्र सिंह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं.

बलरामपुर: उत्तर प्रदेश का बलरामपुर जिला इन दिनों एक बार फिर राममंदिर निर्माण आंदोलन को लेकर चर्चा में है. पांच अगस्त को अयोध्या में होने वाले भूमि पूजन का निमंत्रण अयोध्या मामले का पहला मुकदमा दायर करने वाले स्व. गोपाल सिंह विशारद के बेटे राजेन्द्र सिंह को मिला है. उनका परिवार आज भी बलरामपुर के तुलसी पार्क मोहल्ले में रहता है.

गोपाल सिंह विशारद हिंदू महासभा से जुड़े हुए थे और उस दौर में अयोध्या में ही किराए के मकान में रहते थे. पेशे से वकील रहे गोपाल सिंह विशारद विवादित ढांचे में भगवान श्रीराम की मूर्तियां रखे जाने के बाद साल 1950 में पहला मुकदमा फैजाबाद जिला अदालत में दायर किया था और अपने मुकदमे में उन्होंने श्री राम लला के पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की थी.

स्व: गोपाल सिंह विशारद के परिवार को मिला अयोध्या कार्यक्रम का न्योता.
भारतीय न्याय व्यवस्था के तहत मुकदमा चलता रहा, तारीख पर तारीख बदलती रही, अदालतें बदलती रहीं और पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. हालांकि 33 साल की लड़ाई के बाद साल 1986 में गोपाल सिंह विशारद का निधन हो गया. गोपाल सिंह विशारद के द्वारा छेड़ी गई इस जंग को उनके परिवार ने आगे बढ़ाने का फैसला लिया और उनके पुत्र राजेंद्र सिंह ने मुकदमे की पैरवी जारी रखी.



गोपाल सिंह विशारद के पुत्र राजेंद्र सिंह विशारद इस बारे में बात करते हुए कहते हैं कि साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो फैसला दिया गया, उस फैसले में हमें श्री रामलला की पूजा की अनुमति दी गई, जिससे हम और हमारा परिवार बेहद खुश है. वह आगे बताते हैं कि हमें कोई निमंत्रण पत्र तो नहीं आया है, लेकिन अयोध्या में मुकदमों की जिम्मेदारी संभाल रहे त्रिलोकीनाथ पाण्डेय ने फोन पर चार अगस्त को अयोध्या आने का निमंत्रण दिया है.

राजेन्द्र सिंह के परिवार में राजेंद्र सिंह उनकी पत्नी शैल सिंह, बेटा नीलेंद्र सिंह व शीलेंद्र सिंह और उनकी पत्नियां साथ ही पोती आड्रिका सिंह शामिल हैं, जिसमे शीलेन्द्र सिंह नेवी में नौकरी करते हैं, जबकि नीलेन्द्र सिंह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं.

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