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बलरामपुर: गोशालाओं की जानिए पूरी हकीकत

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर की सड़कों पर हजारों की संख्या में गोवंश राहगीरों को मुश्किल में डाल रहे हैं. इसके अलावा किसानों की फसलें बर्बाद कर भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. लिहाजा इसके समाधान के लिए जो गोशालाएं बनी हैं, उन पर एक नजर डालें.

गोशालाओं की जानिए पूरी हकीकत.
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Published : Oct 30, 2019, 1:51 AM IST

बलरामपुरः किसानों और राहगीरों को गोवंशों के आतंक से निजात दिलाने के लिए योगी सरकार ने लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कई बड़ी घोषणाएं की थी. इन घोषणाओं के मुताबिक सभी न्याय पंचायत स्तर पर पशु आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाना था और तहसील स्तर पर वृहद गोसंवर्धन केंद्रों का निर्माण किया जाना था.

गोशालाओं की जानिए पूरी हकीकत.
पंचायत स्तर और तहसील स्तर के अलावा नगरीय क्षेत्रों में कान्हा गोशालाओं का भी निर्माण किया जाना सुनिश्चित किया गया था. इनके आतंक से निजात दिलाने के लिए शुरू की गई, इन योजनाओं में भी योगी सरकार फेल होती नजर आ रही है.

पढे़ंः-बलरामपुर: भगवान के दर पर नौनिहालों का भविष्य, मंदिर में चल रही कक्षाएं

जिले के 101 न्याय पंचायतों में पशु आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाना था. जिसके लिए तकरीबन 820 लाख रुपये का इंतजाम भी किया गया था. इनमें से 40 पशु आश्रय स्थलों का निर्माण भी किया जा चुका है. जिनमें से 30 तो संचालित हैं, जबकि 10 बाढ़ और अन्य कारणों से पूरी तरह टूट चुके हैं.

तुलसीपुर तहसील के परसपुर करौंदा में 300 गायों की क्षमता वाला एक केंद्र स्थापित किया जा रहा है. जिसकी लागत 1.20 करोड़ बताई जा रही है. गो संवर्धन केंद्र में न केवल गोवंशों को पालने के लिए मूलभूत सुविधाओं की कमी है, बल्कि इसके डिजाइन में भी खामियों के चलते यहां पर गायों को रखा ही नहीं जा सकता है.

300 की क्षमता वाले इस गो संवर्धन केंद्र में महज 30 से 35 गायें रहती हैं. सबसे बड़ी समस्या यहां पर गायों को भोजन देने में आती है. यहां पानी की सुविधा न होने के कारण गाय न केवल प्यासी रह जाती हैं.

यहां काम करने वाले बलवंत बताते हैं कि गायों को रखने में काफी समस्या होती है. नादों को बहुत नीचे बनाया गया है. यहां पर तमाम तरह की परेशानियां हैं, मसलन नादों के पास हुक नहीं है. बाउंड्री वाल नहीं है. भोजन पानी देने के कर्मचारियों की भी कमी है. इस कारण से गाय न तो चारा खा पाती हैं और न ही उन्हें बांधा जा सकता है. ऐसी सूरत में वह अक्सर भाग जाया करती हैं.

यहीं काम करने वाले जगप्रसाद बताते हैं कि तकरीबन छह महीने से इस गो संवर्धन केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हो सका है. इन गायों को दाना-चारा मिलने में भी काफी परेशानी होती है न तो इनके मासिक हेल्थ चेकअप की कोई व्यवस्था है और न ही इन्हें भोजन खिलाने पिलाने की. इसके डिजाइन में तमाम तरह की खामियां होने के कारण आज भी यहां पर गायों को नहीं रखा जा सकता. इसलिए वह खेतों और सड़कों पर लोगों को परेशान करती नजर आती हैं.

बलरामपुर के जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश बताते हैं कि सभी नगरीय क्षेत्रों में कान्हा गोशालाओं का निर्माण किया जाना है. जिसमें से बलरामपुर के लिए तीन लाख की धनराशि भी मिल गई है. वहीं तुलसीपुर के परसपुर करौंदा में एक वृहद गोवर्धन केंद्र संचालित होने वाला है. जो अभी निर्माणाधीन है. फिर भी यहां पर गायों को रखा जा रहा है. जिलाधिकारी के अनुसार यहां पर डेढ़ सौ की संख्या में गाय रह रही हैं.

डीएम कहते हैं कि जिले के तमाम पशु आश्रय स्थलों पर सोलह सौ गायों के रखने की व्यवस्था की गई है. इन सभी गायों को पर्याप्त भोजन और अन्य चीजें मुहैया करवाई जा रही हैं. परसपुर करौंदा में निर्माणाधीन गो संवर्धन केंद्र में भी अगले चार-पांच दिनों में गायों की संख्या पूरी हो जाएगी. जो खामियां हैं, उसे भी दूर करने का काम किया जाएगा.

बलरामपुरः किसानों और राहगीरों को गोवंशों के आतंक से निजात दिलाने के लिए योगी सरकार ने लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कई बड़ी घोषणाएं की थी. इन घोषणाओं के मुताबिक सभी न्याय पंचायत स्तर पर पशु आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाना था और तहसील स्तर पर वृहद गोसंवर्धन केंद्रों का निर्माण किया जाना था.

गोशालाओं की जानिए पूरी हकीकत.
पंचायत स्तर और तहसील स्तर के अलावा नगरीय क्षेत्रों में कान्हा गोशालाओं का भी निर्माण किया जाना सुनिश्चित किया गया था. इनके आतंक से निजात दिलाने के लिए शुरू की गई, इन योजनाओं में भी योगी सरकार फेल होती नजर आ रही है.

पढे़ंः-बलरामपुर: भगवान के दर पर नौनिहालों का भविष्य, मंदिर में चल रही कक्षाएं

जिले के 101 न्याय पंचायतों में पशु आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाना था. जिसके लिए तकरीबन 820 लाख रुपये का इंतजाम भी किया गया था. इनमें से 40 पशु आश्रय स्थलों का निर्माण भी किया जा चुका है. जिनमें से 30 तो संचालित हैं, जबकि 10 बाढ़ और अन्य कारणों से पूरी तरह टूट चुके हैं.

तुलसीपुर तहसील के परसपुर करौंदा में 300 गायों की क्षमता वाला एक केंद्र स्थापित किया जा रहा है. जिसकी लागत 1.20 करोड़ बताई जा रही है. गो संवर्धन केंद्र में न केवल गोवंशों को पालने के लिए मूलभूत सुविधाओं की कमी है, बल्कि इसके डिजाइन में भी खामियों के चलते यहां पर गायों को रखा ही नहीं जा सकता है.

300 की क्षमता वाले इस गो संवर्धन केंद्र में महज 30 से 35 गायें रहती हैं. सबसे बड़ी समस्या यहां पर गायों को भोजन देने में आती है. यहां पानी की सुविधा न होने के कारण गाय न केवल प्यासी रह जाती हैं.

यहां काम करने वाले बलवंत बताते हैं कि गायों को रखने में काफी समस्या होती है. नादों को बहुत नीचे बनाया गया है. यहां पर तमाम तरह की परेशानियां हैं, मसलन नादों के पास हुक नहीं है. बाउंड्री वाल नहीं है. भोजन पानी देने के कर्मचारियों की भी कमी है. इस कारण से गाय न तो चारा खा पाती हैं और न ही उन्हें बांधा जा सकता है. ऐसी सूरत में वह अक्सर भाग जाया करती हैं.

यहीं काम करने वाले जगप्रसाद बताते हैं कि तकरीबन छह महीने से इस गो संवर्धन केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हो सका है. इन गायों को दाना-चारा मिलने में भी काफी परेशानी होती है न तो इनके मासिक हेल्थ चेकअप की कोई व्यवस्था है और न ही इन्हें भोजन खिलाने पिलाने की. इसके डिजाइन में तमाम तरह की खामियां होने के कारण आज भी यहां पर गायों को नहीं रखा जा सकता. इसलिए वह खेतों और सड़कों पर लोगों को परेशान करती नजर आती हैं.

बलरामपुर के जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश बताते हैं कि सभी नगरीय क्षेत्रों में कान्हा गोशालाओं का निर्माण किया जाना है. जिसमें से बलरामपुर के लिए तीन लाख की धनराशि भी मिल गई है. वहीं तुलसीपुर के परसपुर करौंदा में एक वृहद गोवर्धन केंद्र संचालित होने वाला है. जो अभी निर्माणाधीन है. फिर भी यहां पर गायों को रखा जा रहा है. जिलाधिकारी के अनुसार यहां पर डेढ़ सौ की संख्या में गाय रह रही हैं.

डीएम कहते हैं कि जिले के तमाम पशु आश्रय स्थलों पर सोलह सौ गायों के रखने की व्यवस्था की गई है. इन सभी गायों को पर्याप्त भोजन और अन्य चीजें मुहैया करवाई जा रही हैं. परसपुर करौंदा में निर्माणाधीन गो संवर्धन केंद्र में भी अगले चार-पांच दिनों में गायों की संख्या पूरी हो जाएगी. जो खामियां हैं, उसे भी दूर करने का काम किया जाएगा.

Intro:किसानों और राहगीरों को गोवंशों के आतंक से निजात दिलाने के लिए योगी सरकार ने लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कई बड़ी घोषणाएं की थी। योगी सरकार के घोषणाओं के मुताबिक सभी न्याय पंचायत स्तर पर पशु आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाना था। जबकि तहसील स्तर पर वृहद गौसंवर्धन केंद्रों का निर्माण किया जाना था। इसके साथ ही नगरीय क्षेत्रों में कान्हा गौशालाओं का भी निर्माण किया जाना सुनिश्चित किया गया था। इनके आतंक से निजात दिलाने के लिए शुरू की गई इन योजनाओं में भी योगी सरकार फेल होती नजर आ रही है।
बलरामपुर की सड़कों पर हजारों की संख्या में गोवंश न केवल राहगीरों को मुश्किल में डाल रहे हैं। बल्कि किसानों के खेतों में जाकर भारी नुकसान भी कर रहे हैं।


Body:जिले के 101 न्याय पंचायतों में पशु आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाना था। जिसके लिए तकरीबन 820 लाक रुपयों का इंतजाम भी किया गया था। इनमें से 40 पशु आश्रय स्थलों का निर्माण भी किया जा चुका है। जिनमें से 30 तो संचालित है जबकि 10 बाढ़ व अन्य कारणों से पूरी तरह टूट फूट चुके हैं। वहीं, अगर गौ संवर्धन केंद्र की बात करें तो तुलसीपुर तहसील के परसपुर करौंदा में 300 गायों की क्षमता वाला एक केंद्र स्थापित किया जा रहा है। जिसकी लागत 1.20 करोड़ बताई जा रही है। गो संवर्धन केंद्र में न केवल गोवंशों को पालने के लिए मूलभूत सुविधाओं की कमी है। बल्कि इसके डिजाइन में खामियों के चलते यहां पर गायों को रखा ही नहीं जा सकता है।
300 की क्षमता वाले इस गौ संवर्धन केंद्र में महेश 30 से 35 गाय रहती है। सबसे बड़ी समस्या यहां पर गायों को भोजन देने में आती है। पानी की सुविधा ना होने के कारण गाय न केवल प्यासी रह जाती है बल्कि नादों के बेहद नीचा बना होने के कारण गाय भोजन तक नहीं कर पातीं।
यहां काम करने वाले बलवंत बताते हैं कि गायों को रखने में काफी समस्या होती है। नादों को बहुत नीचे बनाया गया है। यहां पर तमाम तरह की परेशानियां हैं, मसलन नादों के पास हुक नहीं है। बाउंड्री वाल नहीं है। भोजन पानी देने के कर्मचारियों की भी कमी है। इस कारण से गाय ना तो खाना खा पाती है और ना ही उन्हें बांधा जा सकता है। ऐसी सूरत में वह अक्सर भाग जाया करती हैं।
यही काम करने वाले जगप्रसाद बताते हैं कि तकरीबन 6 महीने से इस गौ संवर्धन केंद्र का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन यह अभी तक नहीं पूरा हो सका है। गायों को दाना-चारा मिलने में भी काफी परेशानी होती है। ना तो इनके मासिक हेल्थ चेकअप की कोई व्यवस्था है और ना ही इन्हें भोजन खिलाने पिलाने की। इसके डिजाइन में तमाम तरह की खामियां होने के कारण आज भी यहां पर गायों को नहीं रखा जा सकता। इसलिए वह खेतों और सड़कों पर लोगों को परेशान करती नजर आती है।


Conclusion:वह इस मामले में बलरामपुर के जिलाधिकारी कृष्णा कर्णेश बताते हैं कि सभी नगरीय क्षेत्रों में कान्हा गौशालाओं का निर्माण किया जाना है। जिसमें से बलरामपुर के लिए 3 लाख की धनराशि भी मिल गई है। वही तुलसीपुर के परसपुर करौंदा में एक वृहद गोवर्धन केंद्र संचालित होने वाला है। जो अभी निर्माणाधीन है। फिर भी यहां पर गायों को रखा जा रहा है। जिलाधिकारी घोषणा करने इसके अनुसार यहां पर डेढ़ सौ की संख्या में गाय रह रही हैं।
वह कहते हैं कि जिले के तमाम पशु आश्रय स्थलों पर सोलह सौ गायों के रखने की व्यवस्था की गई है। इन सभी गायों को पर्याप्त भोजन और अन्य चीजें मुहैया करवाई जा रही हैं। वह कहते हैं कि परसपुर करौंदा में निर्माणाधीन गौ संवर्धन केंद्र में भी अगले 4-5 दिनों में गायों की संख्या पूरी हो जाएगी। जो खामियां हैं, उसे भी दूर करने का काम किया जाएगा।
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