बलरामपुर: जिले में तुलसीपुर स्थित देवीपाटन शक्तिपीठ से तकरीबन 500 मीटर दूर नव देवी दुर्गा मंदिर आसपास के लोगों की आस्था का केंद्र है. देवीपाटन मंदिर के साथ-साथ लोग नव देवी दुर्गा मंदिर पर भी दर्शन और पूजन के लिए आते हैं और माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक किंवदंति है कि यहां ब्रह्मण देवता (बरम बाबा) की भी पूजा की जाती है. लोग बताते हैं कि खड़ाऊं और ईंट चढ़ाने से ब्राह्मण देवता प्रसन्न होकर सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
वटवृक्ष में निवास है ब्राह्मण देवता का
तुलसीपुर के देवीपाटन शक्तिपीठ से तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर स्थित नव देवी दुर्गा मंदिर में एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना वटवृक्ष है. इस वटवृक्ष की शाखाओं और पत्तियों से पूरा मंदिर परिसर ढका हुआ है. लोगों की मान्यता है कि इस वटवृक्ष में ब्राह्मण देवता (बरम बाबा) का निवास है.
खड़ाऊं में कलावा बांधकर चढ़ाते हैं लोग
सामान्य मंदिरों की तरह यहां पर भी धूप, दीप, यज्ञ इत्यादि से ब्राह्मण देवता और मां दुर्गा की पूजा की जाती है लेकिन इसके अतिरिक्त यहां पर एक अजीब मान्यता भी जुड़ी हुई है. लोगों की मान्यता है कि जो ईंट या खड़ाऊं में 7 या 5 बार कलावा लपेटकर ब्राह्मण देवता को चढ़ाते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इसी मान्यता के तहत लोग यहां पर ईंट या खड़ाऊं खरीद कर लाते हैं और उसमें 7 या 5 बार धागा या कलावा बांधकर ब्राह्मण देवता को लंगोट इत्यादि के साथ अर्पित करते हैं.
वटवृक्ष की परिक्रमा करते हैं लोग
इसके बाद धूप, दीप और यज्ञ हवन इत्यादि करके लोग वटवृक्ष की परिक्रमा करते हुए ब्राह्मण देवता से अपना मनोरथ पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं. जब मनोरथ पूर्ण हो जाता है तो लोग आकर ईंट या खड़ाऊं में बंधे धागे को खोल देते हैं और फिर परिक्रमा करके हवन इत्यादि करवाकर ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं.
मनोकामनाएं होती हैं पूरी
इस बारे में जानकारी देते हुए मंदिर के महंत गोपाल नाथ बताते हैं कि यहां इस पीपल वृक्ष के नीचे ईंट या खड़ाऊं पर कलावा बांधकर जो भी मनोकामना मांगी जाती है उसे देवी मां जरूर पूरा करती हैं. महंत कहते हैं कि नवरात्रि के दौरान जो भी माता की इस विधि विधान से पूजा करता है उसकी मांगी गई सभी मुरादें मां और ब्राह्मण देवता पूरी करते हैं.