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बलरामपुर के इस मंदिर में लोग चढ़ाते हैं खड़ाऊं और ईंटें, होती हैं मनोकामनाएं पूरी

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में तुलसीपुर के देवीपाटन शक्तिपीठ से तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर स्थित नव देवी दुर्गा मंदिर में एक ऐसा वटवृक्ष है, जिसमें ब्राह्मण देवता (बरम बाबा) निवास करते हैं. मान्यता है कि खड़ाऊं और ईंट चढ़ाने से ब्राह्मण देवता प्रसन्न होकर श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

बलरामपुर के इस मंदिर में लोग चढ़ाते हैं खड़ाऊ और ईंटें.
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Published : Oct 6, 2019, 7:22 AM IST

बलरामपुर: जिले में तुलसीपुर स्थित देवीपाटन शक्तिपीठ से तकरीबन 500 मीटर दूर नव देवी दुर्गा मंदिर आसपास के लोगों की आस्था का केंद्र है. देवीपाटन मंदिर के साथ-साथ लोग नव देवी दुर्गा मंदिर पर भी दर्शन और पूजन के लिए आते हैं और माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक किंवदंति है कि यहां ब्रह्मण देवता (बरम बाबा) की भी पूजा की जाती है. लोग बताते हैं कि खड़ाऊं और ईंट चढ़ाने से ब्राह्मण देवता प्रसन्न होकर सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

जानकारी देते मंदिर के महंत.


वटवृक्ष में निवास है ब्राह्मण देवता का
तुलसीपुर के देवीपाटन शक्तिपीठ से तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर स्थित नव देवी दुर्गा मंदिर में एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना वटवृक्ष है. इस वटवृक्ष की शाखाओं और पत्तियों से पूरा मंदिर परिसर ढका हुआ है. लोगों की मान्यता है कि इस वटवृक्ष में ब्राह्मण देवता (बरम बाबा) का निवास है.


खड़ाऊं में कलावा बांधकर चढ़ाते हैं लोग
सामान्य मंदिरों की तरह यहां पर भी धूप, दीप, यज्ञ इत्यादि से ब्राह्मण देवता और मां दुर्गा की पूजा की जाती है लेकिन इसके अतिरिक्त यहां पर एक अजीब मान्यता भी जुड़ी हुई है. लोगों की मान्यता है कि जो ईंट या खड़ाऊं में 7 या 5 बार कलावा लपेटकर ब्राह्मण देवता को चढ़ाते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इसी मान्यता के तहत लोग यहां पर ईंट या खड़ाऊं खरीद कर लाते हैं और उसमें 7 या 5 बार धागा या कलावा बांधकर ब्राह्मण देवता को लंगोट इत्यादि के साथ अर्पित करते हैं.


वटवृक्ष की परिक्रमा करते हैं लोग
इसके बाद धूप, दीप और यज्ञ हवन इत्यादि करके लोग वटवृक्ष की परिक्रमा करते हुए ब्राह्मण देवता से अपना मनोरथ पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं. जब मनोरथ पूर्ण हो जाता है तो लोग आकर ईंट या खड़ाऊं में बंधे धागे को खोल देते हैं और फिर परिक्रमा करके हवन इत्यादि करवाकर ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं.


मनोकामनाएं होती हैं पूरी
इस बारे में जानकारी देते हुए मंदिर के महंत गोपाल नाथ बताते हैं कि यहां इस पीपल वृक्ष के नीचे ईंट या खड़ाऊं पर कलावा बांधकर जो भी मनोकामना मांगी जाती है उसे देवी मां जरूर पूरा करती हैं. महंत कहते हैं कि नवरात्रि के दौरान जो भी माता की इस विधि विधान से पूजा करता है उसकी मांगी गई सभी मुरादें मां और ब्राह्मण देवता पूरी करते हैं.

बलरामपुर: जिले में तुलसीपुर स्थित देवीपाटन शक्तिपीठ से तकरीबन 500 मीटर दूर नव देवी दुर्गा मंदिर आसपास के लोगों की आस्था का केंद्र है. देवीपाटन मंदिर के साथ-साथ लोग नव देवी दुर्गा मंदिर पर भी दर्शन और पूजन के लिए आते हैं और माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक किंवदंति है कि यहां ब्रह्मण देवता (बरम बाबा) की भी पूजा की जाती है. लोग बताते हैं कि खड़ाऊं और ईंट चढ़ाने से ब्राह्मण देवता प्रसन्न होकर सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

जानकारी देते मंदिर के महंत.


वटवृक्ष में निवास है ब्राह्मण देवता का
तुलसीपुर के देवीपाटन शक्तिपीठ से तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर स्थित नव देवी दुर्गा मंदिर में एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना वटवृक्ष है. इस वटवृक्ष की शाखाओं और पत्तियों से पूरा मंदिर परिसर ढका हुआ है. लोगों की मान्यता है कि इस वटवृक्ष में ब्राह्मण देवता (बरम बाबा) का निवास है.


खड़ाऊं में कलावा बांधकर चढ़ाते हैं लोग
सामान्य मंदिरों की तरह यहां पर भी धूप, दीप, यज्ञ इत्यादि से ब्राह्मण देवता और मां दुर्गा की पूजा की जाती है लेकिन इसके अतिरिक्त यहां पर एक अजीब मान्यता भी जुड़ी हुई है. लोगों की मान्यता है कि जो ईंट या खड़ाऊं में 7 या 5 बार कलावा लपेटकर ब्राह्मण देवता को चढ़ाते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इसी मान्यता के तहत लोग यहां पर ईंट या खड़ाऊं खरीद कर लाते हैं और उसमें 7 या 5 बार धागा या कलावा बांधकर ब्राह्मण देवता को लंगोट इत्यादि के साथ अर्पित करते हैं.


वटवृक्ष की परिक्रमा करते हैं लोग
इसके बाद धूप, दीप और यज्ञ हवन इत्यादि करके लोग वटवृक्ष की परिक्रमा करते हुए ब्राह्मण देवता से अपना मनोरथ पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं. जब मनोरथ पूर्ण हो जाता है तो लोग आकर ईंट या खड़ाऊं में बंधे धागे को खोल देते हैं और फिर परिक्रमा करके हवन इत्यादि करवाकर ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं.


मनोकामनाएं होती हैं पूरी
इस बारे में जानकारी देते हुए मंदिर के महंत गोपाल नाथ बताते हैं कि यहां इस पीपल वृक्ष के नीचे ईंट या खड़ाऊं पर कलावा बांधकर जो भी मनोकामना मांगी जाती है उसे देवी मां जरूर पूरा करती हैं. महंत कहते हैं कि नवरात्रि के दौरान जो भी माता की इस विधि विधान से पूजा करता है उसकी मांगी गई सभी मुरादें मां और ब्राह्मण देवता पूरी करते हैं.

Intro:(नोट :- आदरणीय अश्विन कुमार जी के ध्यानार्थ)

तुलसीपुर में स्थित देवीपाटन शक्तिपीठ से तकरीबन 500 मीटर दूर नवदुर्गा मंदिर पर आसपास के लोगों की विशेष आस्था है यहां पर देवीपाटन मंदिर के साथ-साथ लोग यहां पर भी दर्शन और पूजन करने के लिए आते हैं माता उनकी सभी मनोकामना को पूर्ण करती हैं इस मंदिर से जुड़ी एक किवदंती है ब्रह्म दादा की भी पूजा की जाती है लोग बताते हैं कि खड़ा हूं और ईट चढ़ाने से ब्राह्मण देवता प्रसन्न होकर सभी का मनोरथ पूर्ण करते हैं।


Body:तुलसीपुर के देवीपाटन शक्तिपीठ से तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर स्थित नव देवी दुर्गा मंदिर में एक हजार साल से भी ज़्यादा पुराना वटवृक्ष है। इस पीपल के पेड़ शाखाओं व पत्तियों से पूरा मंदिर परिसर ढंका हुआ है। लोगों की मान्यता है कि इस वट वृक्ष ब्राह्मण देवता (बरम बाबा) निवास है। इसलिए लोग ब्राह्मण देवता को उनसे जुड़ी चीजें ही चढ़ाते हैं। सामान्य मंदिरों की तरह यहां पर भी हो धूप, दीप, यज्ञ इत्यादि से ब्राह्मण देवता और मां दुर्गा की पूजा की जाती है। लेकिन इसके अतिरिक्त यहां पर एक अजीब मान्यता भी जुड़ी हुई है। लोगों की मान्यता है कि जो ईट या खड़ाउँ में 7 या 5 बार कलावा लपेटकर ब्राह्मण देवता को चढ़ाएगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इसी मान्यता के तहत लोग यहां पर ईंट या खड़ाऊं खरीद कर लाते हैं और उसमें 7 या 5 बार धागा या कलावा बांधकर ब्राह्मण देवता को लंगोट इत्यादि के साथ अर्पित करते हैं। इसके बाद धूप, दीप और यज्ञ हवन इत्यादि करके लोग वटवृक्ष की परिक्रमा करते हुए ब्राह्मण देवता से अपनी मनोरथ की बात कहते हैं। जब मनोरथ पूर्ण हो जाता है तो लोग आकर ईंट या खड़ाऊं में बंधे धागे को खोल देते हैं और फिर परिक्रमा करके हवन इत्यादि करवाकर ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं।


Conclusion:इस बारे में जानकारी देते हुए मंदिर के महंत गोपाल नाथ बताते हैं कि यहां इस पीपल पेड़ के नीचे ईट या खड़ाऊं पर कलावा बांध कर जो भी मनोकामना मांगी जाती है। उसे देवी मां जरूर पूरा करती हैं। पीपल के पेड़ के नीचे सैकड़ों ईटें व कलावा अलावा आप खुद बधा या पड़ा देख सकते हैं।
वह कहते हैं कि नवरात्रि के दौरान जो भी माता से इस तरह पूजन कर कई मनोकामनाएं मांगता है। उसकी सभी मनोकामनाएं माता दुर्गा और ब्राह्मण देवता पूरा करते हैं।
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