बलरामपुर: अयोध्या के राम मंदिर में पूजा का हक मांगने वाले और राम मंदिर जन्मभूमि के पक्षकार गोपाल सिंह विशारद के परिवार को भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के वक्त गोपाल सिंह विशारद के बेटे राजेंद्र सिंह अहमदाबाद में थे. अहमदाबाद से वापस लौटने के बाद ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि फैसला आने के बाद पूरा परिवार बेहद भावुक था और पूरे परिवार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया.
राजेंद्र सिंह ने अपने पिता गोपाल सिंह विशारद के संघर्षों को याद करते हुए कहा कि वह साइकिल से ही मुकदमा लड़ने जाया करते थे. कई बार जब रात को उन्हें आने में देर हो जाती थी तो हम लोग काफी चिंतित हो जाया करते थे, लेकिन पिताजी हम लोगों से कभी कुछ नहीं बताते थे. उन्होंने अपने अंतिम दिनों में इस मुकदमे के बारे में हम लोगों को बताया था. वह खुद वकील थे, इसलिए उन्हें इस मामले की बेहद जानकारी भी थी.
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यह मुकदमा दायर करने की जरूरत को लेकर पूछे गए सवाल पर राजेंद्र सिंह बताते हैं कि उस समय कांग्रेस की सरकार ने कलेक्टर और कई अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था. हम लोगों को पूजन और दर्शन का हक देने से मना कर दिया गया था. तब पिताजी के दिमाग में आया कि कोई भक्त अपने भगवान की पूजा क्यों नहीं कर सकता? इसलिए हम लोगों ने 1950 में पहला मुकदमा दायर किया और पूजा करने के हक के लिए सालों लंबी लड़ाई लड़ी. अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है तो हम उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते.
राजेंद्र सिंह कहते हैं कि पिताजी का लंबा संघर्ष इसलिए भी याद किया जाता है, क्योंकि उस दौरान हम लोगों ने तमाम ऐसी चीजें देखीं जो नहीं होनी चाहिए थी. हम लोगों ने बड़े-बड़े वकीलों को हायर किया, जो इस मामले में वॉलिंटियर के तौर पर लड़े. उन्होंने कभी कोई फीस तक नहीं ली. यह अपने आप में बड़ी बात है.