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बलरामपुर: महज 35 को मुआवजा देकर 127 लोगों से प्रशासन ने खाली करवा ली जमीन

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में पिछले कई सालों से लटके ओवरब्रिज के लिए भूमि अधिग्रहण के कारण निर्माण में तमाम तरह की दिक्कतें आ रही थीं. मुआवजे को लेकर बनी असहमति पर कुछ किसान हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की शरण में भी हैं, लेकिन बीते 16 मार्च को प्रशासन ने पूरे दलबल के साथ लोगों से जमीन खाली करवा ली.

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127 लोगों से प्रशासन ने खाली करवा ली जमीन.
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Published : Mar 20, 2020, 10:10 PM IST

बलरामपुर: अति पिछड़े जिलों में लोगों के लिए उनकी कृषि योग्य जमीन काफी अहमियत रखती है, लेकिन जब जिला प्रशासन अपने पर आमादा हो जाए तो सालों से लटके भूमि अधिग्रहण को मिनटों में नियमों को ताक पर रखकर खाली करवा लेता है. जिले के पचपेड़वा ब्लॉक में ओवरब्रिज निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है.

ओवरब्रिज की जद में आए स्कूल और सैकड़ों पेड़
इस ओवरब्रिज के निर्णाण में कई लोगों के घर, दुकान और फसलें चली गईं. करीब 500 पेड़-पौधों को जिला प्रशासन ने उखाड़ फेंका, जिसके लिए वन विभाग से किसी तरह की एनओसी भी नहीं ली गई. वही इस ओवरब्रिज की जद में प्राथमिक स्तर का 400 बच्चों के पंजीकरण वाला एक स्कूल भी आ रहा था, जिसे पूरी तरह से तोड़ दिया गया. अब यहां के लोग अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि जिला प्रशासन अपनी बात पर आमादा है.

देखें खास रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें- UP के उस जिले में 'सखी' का हाल, जहां एक साल में सबसे ज्यादा दर्ज हुए थे रेप केस

ग्रामीणों से मिलने की जहमत किसी अधिकारी ने नहीं उठाई
इस भूमि अधिग्रहण में कई लोगों के घर, जमीन और खेत चले गए. ईटीवी भारत से लोगों ने बात करते हुए कहा कि अधिग्रहण के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए भारत सरकार के श्वेत पत्र में कई तरह की खामियां थीं. मसलन कुछ लोगों का नाम नहीं था और ग्राम सभा का नाम भी गलत लिखा हुआ था. इसी के आधार पर जिला प्रशासन ने हम सभी से जमीन को खाली करवाया है. जमीन खाली करवाने से पहले हमें न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही प्रशासनिक अधिकारियों ने हमसे मिलने की जहमत उठाई.

प्रशासन पर ग्रामीणों का आरोप
लोगों ने बताया कि 16 तारीख को हुए इस भूमि अधिग्रहण में प्रशासनिक लोग भारी पुलिस बल के साथ यहां पहुंचे और हमारी बात को सुनने तक से इनकार कर दिया. बुलडोजर और पोकलैंड से हमारी जमीनों पर न केवल निर्माण कार्यों को ढहा दिया गया, बल्कि कई पेड़ों को भी उखाड़ फेंका गया. इस दौरान एसडीएम तुलसीपुर विनोद कुमार सिंह ने हम लोगों से काफी बदसलूकी भी की. लोगों ने बताया कि इस दौरान तहसील प्रशासन ने हमारी कोई बात नहीं सुनी और पुलिस को भी अंधेरे में रखा गया.

व्यावसायिक भूमि के हिसाब से मिले मुआवजा
अधिग्रहण की जद में आए लोगों ने बताया कि इस जमीन अधिग्रहण के लिए महज 35 लोगों को मुआवजे की रकम कृषि योग्य जमीन के हिसाब से दी गई है, जबकि इस अधिग्रहण की जद में गांव भरके 127 लोग आ रहे हैं. हमारी मांग है कि जिला प्रशासन हमें व्यावसायिक भूमि के हिसाब से मुआवजा दे.

ये भी पढ़ें- मैनपुरी: तंबाकू खाकर कैंसर के शिकार हो रहे लोग, ललूपुर गांव में सबसे अधिक पीड़ित

क्या बोले जिलाधिकारी
इस मामले में जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने कहा कि पचपेड़वा के बिशुनपुर टनटनवा के पास एक रेलवे समपार फाटक पर बन रहे रेलवे ओवरब्रिज के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य 2015-16 के सत्र में शुरू हुआ था. उन्होंने बताया कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने एसएलए ऑफिस में भूमि अधिग्रहण के लिए पूरा पैसा जमा करवा दिया है. इसके साथ ही सभी को नोटिस देते हुए यह कह दिया गया है कि वह अपने-अपने कागज तहसील कार्यालय में जमा करवा दें, जिससे नियमों के हिसाब से मुआवजे की राशि उनके खाते में ट्रांसफर की जा सके.

80 फीसदी लोगों को मिला चुका है मुआवजा
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने कहा कि इस अधिग्रहण के दौरान तकरीबन 80 फीसदी लोगों ने मुआवजे की राशि को उठा भी लिया है. कुछ लोग हैं, जिन्हें अधिग्रहण के ऊपर कुछ डिस्प्यूट है. उनसे पहले भी आग्रह किया गया था कि वह नियमों के तहत कोर्ट जाएं और उन्हें नियम के अनुसार मुआवजा जरूर प्रदान किया जाएगा. भूमि अधिग्रहण पर जिलाधिकारी के अपने तर्क हैं और किसानों के अपने. किसे सही माना जाए और किसे गलत, यह आने वाले समय में कोर्ट को तय करना होगा.

बलरामपुर: अति पिछड़े जिलों में लोगों के लिए उनकी कृषि योग्य जमीन काफी अहमियत रखती है, लेकिन जब जिला प्रशासन अपने पर आमादा हो जाए तो सालों से लटके भूमि अधिग्रहण को मिनटों में नियमों को ताक पर रखकर खाली करवा लेता है. जिले के पचपेड़वा ब्लॉक में ओवरब्रिज निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है.

ओवरब्रिज की जद में आए स्कूल और सैकड़ों पेड़
इस ओवरब्रिज के निर्णाण में कई लोगों के घर, दुकान और फसलें चली गईं. करीब 500 पेड़-पौधों को जिला प्रशासन ने उखाड़ फेंका, जिसके लिए वन विभाग से किसी तरह की एनओसी भी नहीं ली गई. वही इस ओवरब्रिज की जद में प्राथमिक स्तर का 400 बच्चों के पंजीकरण वाला एक स्कूल भी आ रहा था, जिसे पूरी तरह से तोड़ दिया गया. अब यहां के लोग अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि जिला प्रशासन अपनी बात पर आमादा है.

देखें खास रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें- UP के उस जिले में 'सखी' का हाल, जहां एक साल में सबसे ज्यादा दर्ज हुए थे रेप केस

ग्रामीणों से मिलने की जहमत किसी अधिकारी ने नहीं उठाई
इस भूमि अधिग्रहण में कई लोगों के घर, जमीन और खेत चले गए. ईटीवी भारत से लोगों ने बात करते हुए कहा कि अधिग्रहण के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए भारत सरकार के श्वेत पत्र में कई तरह की खामियां थीं. मसलन कुछ लोगों का नाम नहीं था और ग्राम सभा का नाम भी गलत लिखा हुआ था. इसी के आधार पर जिला प्रशासन ने हम सभी से जमीन को खाली करवाया है. जमीन खाली करवाने से पहले हमें न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही प्रशासनिक अधिकारियों ने हमसे मिलने की जहमत उठाई.

प्रशासन पर ग्रामीणों का आरोप
लोगों ने बताया कि 16 तारीख को हुए इस भूमि अधिग्रहण में प्रशासनिक लोग भारी पुलिस बल के साथ यहां पहुंचे और हमारी बात को सुनने तक से इनकार कर दिया. बुलडोजर और पोकलैंड से हमारी जमीनों पर न केवल निर्माण कार्यों को ढहा दिया गया, बल्कि कई पेड़ों को भी उखाड़ फेंका गया. इस दौरान एसडीएम तुलसीपुर विनोद कुमार सिंह ने हम लोगों से काफी बदसलूकी भी की. लोगों ने बताया कि इस दौरान तहसील प्रशासन ने हमारी कोई बात नहीं सुनी और पुलिस को भी अंधेरे में रखा गया.

व्यावसायिक भूमि के हिसाब से मिले मुआवजा
अधिग्रहण की जद में आए लोगों ने बताया कि इस जमीन अधिग्रहण के लिए महज 35 लोगों को मुआवजे की रकम कृषि योग्य जमीन के हिसाब से दी गई है, जबकि इस अधिग्रहण की जद में गांव भरके 127 लोग आ रहे हैं. हमारी मांग है कि जिला प्रशासन हमें व्यावसायिक भूमि के हिसाब से मुआवजा दे.

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क्या बोले जिलाधिकारी
इस मामले में जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने कहा कि पचपेड़वा के बिशुनपुर टनटनवा के पास एक रेलवे समपार फाटक पर बन रहे रेलवे ओवरब्रिज के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य 2015-16 के सत्र में शुरू हुआ था. उन्होंने बताया कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने एसएलए ऑफिस में भूमि अधिग्रहण के लिए पूरा पैसा जमा करवा दिया है. इसके साथ ही सभी को नोटिस देते हुए यह कह दिया गया है कि वह अपने-अपने कागज तहसील कार्यालय में जमा करवा दें, जिससे नियमों के हिसाब से मुआवजे की राशि उनके खाते में ट्रांसफर की जा सके.

80 फीसदी लोगों को मिला चुका है मुआवजा
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने कहा कि इस अधिग्रहण के दौरान तकरीबन 80 फीसदी लोगों ने मुआवजे की राशि को उठा भी लिया है. कुछ लोग हैं, जिन्हें अधिग्रहण के ऊपर कुछ डिस्प्यूट है. उनसे पहले भी आग्रह किया गया था कि वह नियमों के तहत कोर्ट जाएं और उन्हें नियम के अनुसार मुआवजा जरूर प्रदान किया जाएगा. भूमि अधिग्रहण पर जिलाधिकारी के अपने तर्क हैं और किसानों के अपने. किसे सही माना जाए और किसे गलत, यह आने वाले समय में कोर्ट को तय करना होगा.

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