बलरामपुर: एक तरफ जहां जिले में गंभीर बीमारियों के लिए लगातार मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं दूसरी तरफ जिले में कुछ ऐसे डॉक्टर भी हैं, जो अपनी काबिलियत और मेहनत की वजह से कम संसाधनों में मरीजों का गंभीर ऑपरेशन कर रहे हैं. जिले में असाध्य रोगों के लिए इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है, इसके चलते मरीजों को इलाज के लिए लखनऊ या अन्य बड़े शहरों का सफर करना पड़ता है.
पहली बार हुआ जिले में ऑपरेशन:
- बलरामपुर जिले के संयुक्त जिला चिकित्सालय में तैनात डॉ. अरुण कुमार असाध्य रोगों के ऐसे मरीजों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं.
- डॉ. अरुण कुमार ने उतरौला क्षेत्र के जोगिया ग्राम सभा की निवासी प्रेमा की खराब हो चुकी एक किडनी निकालकर उसकी जान बचा ली है.
- 35 वर्षीय प्रेमा संयुक्त जिला चिकित्सालय में इलाज करवाने के लिए आई थीं, यहां एक्स-रे करवाने पर उनकी बाईं किडनी में पत्थर यानी स्टोन होने की पुष्टि हुई.
- सर्जन डॉ. अरुण कुमार ने उसका पथरी का स्थान जानने के लिए इंट्रा वीनस पाइलोग्राफी (ईवीपी) जांच करवाया, जिससे पता चला कि पत्थर के कई टुकड़े किडनी की नली में फंस चुके हैं.
- इसके बाद डॉ. अरुण कुमार ने परिवार की सहमति से प्रेमा का ऑपरेशन कर खराब किडनी को निकाल दिया.
इस तरह का ऑपरेशन पूरे देवीपाटन मंडल में कहीं नहीं होता है. न तो हमारे चिकित्सालय में इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध है. मैंने अपने पैसे से यहां पर एक मशीन लगाई है, जिसके कारण इस तरह के ऑपरेशन को मैं कर पा रहा हूं.
-डॉ. अरुण कुमार, सर्जन, जिला अस्पताल
प्रेमा के पति, गौतम कुमार ने बताया कि प्रेमा 5 साल से बीमार चल रही थीं. इनका इलाज लखनऊ से लेकर मुंबई तक कराया गया, लेकिन किसी तरह का कोई फायदा नहीं हुआ. यहां पर हमें किसी ने डॉ. अरुण कुमार से मिलने को कहा. जब हमने इनसे मिलकर बीमारी के बारे में बताया तो उन्होंने लखनऊ से तमाम जांचें करवाईं, जिसके बाद इस बात की पुष्टि हुई कि मेरी पत्नी की एक किडनी खराब हो चुकी है. हमने यहीं पर ऑपरेशन करवा लिया है. अब मेरी पत्नी पूरी तरह से स्वस्थ हैं.