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चंदन से महकेंगे खेत, चमकेगी किसानों की किस्मत - बलरामपुर खबर

यूपी के बलरामपुर में किसान अब चंदन की खेती कर अपनी जिंदगी महकाने में लगे हैं. यहां के राजेंद्र प्रसाद पांडेय ने बेंगलुरु स्थित भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद में 6 महीने का प्रशिक्षण लेकर कृषि के क्षेत्र में कुछ नया कर रहे हैं. उन्होंने चंदन की नर्सरी तैयार की है.

चंदन की खेती से महका रही जिंदगी.
चंदन की खेती से महका रही जिंदगी.
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Published : Jul 14, 2020, 6:39 AM IST

बलरामपुर: जिले के सदर ब्लॉक के गंगापुर लखना ग्रामसभा निवासी राजेंद्र प्रसाद पांडेय कृषि के क्षेत्र में कुछ नया कर रहे हैं. उन्होंने चंदन के तकरीबन 5,000 पौधों की नर्सरी तैयार की है. उनका यह काम पिछले 3 सालों से चल रहा है. इतना ही नहीं वह दूसरे किसानों को भी चंदन की खेती के लिए न केवल प्रेरित कर रहे हैं, बल्कि उन्हें ट्रेनिंग देने का काम भी कर रहे हैं. 25 से अधिक किसान अब तक इन से जुड़ चुके हैं, जिन्होंने तकरीबन 10 एकड़ से अधिक में चंदन की खेती शुरू कर दी है. खेती-किसानी के क्षेत्र में कुछ नया करने की ठान चुके राजेंद्र प्रसाद पांडे ने बेंगलुरु स्थित भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद में 6 महीने का प्रशिक्षण लिया है.

चंदन की खेती चमकेगी किसानों की किस्मत

चंदन की खेती से महका रहे जिंदगी
आईडब्लूआरई बेंगलुरु में राजेंद्र प्रसाद पांडे की मुलाकात गोंडा के मूल निवासी वैज्ञानिक डॉक्टर बीपी त्रिपाठी से हुई. उनसे प्रेरित होकर राजेंद्र प्रसाद पांडे ने किसानों की जिंदगी को महकाने के लिए चंदन की खेती और उसकी पौध उगाने का सिलसिला शुरू कर किया. वह यह काम 3 साल पहले से कर रहे हैं.

सहफसली खेती के जरिए किसान को नहीं होती आर्थिक दिक्कत

चंदन के पौधे 10 वर्ग फीट की दूरी पर लगाए जाते हैं. चंदन के पौधे खुद से भोजन ना ले कर दूसरे पौधों से भोजन ग्रहण करते हैं. इसके लिए चंदन के बीच-बीच में अरहर, टमाटर और मटर आदि की फसल भी उगा सकते हैं. इसके साथ ही अगर कोई इस तरह की खेती करने में सक्षम नहीं है तो वह इन चंदन के पौधों के साथ ही शीशम, खैर, बरगद, पीपल या अन्य लकड़ियों के पौधों को लगा सकता है. इस तरह की सहफसली खेती के जरिए किसान आर्थिक दिक्कत से भी निजात पा सकेंगे.

6 से 8 साल के बीच तैयार हो जाते हैं चंदन के पेड़

राजेंद्र प्रसाद पांडे ने बताया कि 6 से 8 साल के बीच चंदन के पेड़ तैयार हो जाते हैं. उनसे निकलने वाली लकड़ी की कीमत तकरीबन 12,000 रुपये प्रति किलो है. अगर पेड़ को कोई 15 साल तक रोक कर रख ले तो उस पेड़ से 20 किलोग्राम से अधिक चंदन की लकड़ी तैयार होगी, जिसे किसान आज की कीमत के अनुसार तकरीबन दो लाख रुपये से ज्यादा में बेच सकेंगे. राजेंद्र प्रसाद पांडे बताते हैं कि हम 20 प्रतिशत से 25 प्रतिशत पौधों के जीवन को कम आंककर चलते हैं 1 एकड़ में तकरीबन साढे 500 पौधे लगाए जाते हैं, जिसमें से 350 से 400 पौधे तैयार हो जाते हैं. चंदन की वर्तमान कीमत के मुताबिक इन पौधों के जरिए किसान एक एकड़ से तकरीबन 7 करोड़ रुपए कमा सकते हैं. जो वर्तमान में खेती के आय से तकरीबन 20 गुना अधिक है.

होना चाहिए 20 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान
चंदन की खेती करने की प्रोसेस के बारे में जानकारी देते हुए किसान राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि चंदन के पौधे के लिए सबसे पहले 20 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान चाहिए. इसके लिए पहले बीज को ग्रीन हाउस रूम में बोया जाता है, उस ग्रीन हाउस का तापमान 20 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट होना चाहिए. जब बीज से से पौधे निकलने लगते हैं तो उन्हें एक ऐसे ग्रीन हाउस रूम में लगाया जाता है जिसमें छांव और धूप एक साथ पड़े. वह बताते हैं कि जब यह पौधा तकरीबन 12 से 15 इंच का हो जाता है, तब उसे खेतों में लगाने के लिए भेजा जाता है. इसके साथ ही सहवासी पौधों की नस्लों को विकसित किया जाता है, ताकि चंदन का पेड़ अपना भोजन आसानी से प्राप्त कर सके.

अन्य किसानों को भी कर रहे प्रेरित
राजेंद्र प्रसाद चंदन की खेती के लिए अन्य किसानों को प्रेरित भी कर रहे हैं. साथ ही वह किसानों को चंदन की खेती के लिए ट्रेनिंग देते हैं. उनसे प्रेरित होकर जो लोग सहायता मांगते हैं उन्हें वह 200 रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से पौधे तो देते ही हैं, साथ ही 6 माह तक उनके खेत की देखरेख का जिम्मा भी लेते हैं. जब वह काम पूरी तरह सीख जाते हैं तो उनका खेत उनके सुपुर्द कर दिया जाता है. उनकी प्रेरणा से घुघुलपुर गांव में माता प्रसाद तिवारी, सत्य प्रकाश और अन्य किसानों ने 4 एकड़ खेत में चंदन के पौधे लगाए हैं. 20 अन्य किसान भी 6 एकड़ में चंदन की खेती कर रहे हैं.

'चोरों से बचाने की जरूरत'

चंदन के पेड़ों को चोरों से बचाने के लिए लोग तरह तरह के उपाय अपना रहे हैं. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि इसके लिए कर्नाटक सरकार ने एक तकनीक विकसित की है. मोबाइल डिवाइस और ड्रोन कैमरे से चंदन की रखवाली की जाती है. इससे किसान घर बैठे ही अपने पौधे की जानकारी ले सकते हैं.

'चंदन की खेती से किसान बनेंगे सबल'
चंदन की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी के बारे में बताते हुए प्रभागीय वनाधिकारी रजनीकांत मित्तल बताते हैं कि तराई का एग्रो क्लाइमेट रीजन चंदन की खेती के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है. बलरामपुर की जमीन की मिट्टी की क्वालिटी चंदन की खेती के लिए अच्छी है. उसमें अगर चंदन उगाया जाए तो हमारे किसान भाइयों को निश्चित तौर पर बड़े पैमाने पर फायदा होगा. इसके साथ ही चंदन की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस पेड़ को कोई जानवर चरता नहीं है, चंदन को अगर चोरों से बचा लिया जाए तो यह पेड़ लंबे समय तक टिका रह सकता है. वह कहते हैं कि अगर चंदन की खेती व्यापक पैमाने पर की जाए तो वह किसानों के लिए फायदेमंद होगी और इसके जरिए वह बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से सबल बन सकेंगे.

बलरामपुर: जिले के सदर ब्लॉक के गंगापुर लखना ग्रामसभा निवासी राजेंद्र प्रसाद पांडेय कृषि के क्षेत्र में कुछ नया कर रहे हैं. उन्होंने चंदन के तकरीबन 5,000 पौधों की नर्सरी तैयार की है. उनका यह काम पिछले 3 सालों से चल रहा है. इतना ही नहीं वह दूसरे किसानों को भी चंदन की खेती के लिए न केवल प्रेरित कर रहे हैं, बल्कि उन्हें ट्रेनिंग देने का काम भी कर रहे हैं. 25 से अधिक किसान अब तक इन से जुड़ चुके हैं, जिन्होंने तकरीबन 10 एकड़ से अधिक में चंदन की खेती शुरू कर दी है. खेती-किसानी के क्षेत्र में कुछ नया करने की ठान चुके राजेंद्र प्रसाद पांडे ने बेंगलुरु स्थित भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद में 6 महीने का प्रशिक्षण लिया है.

चंदन की खेती चमकेगी किसानों की किस्मत

चंदन की खेती से महका रहे जिंदगी
आईडब्लूआरई बेंगलुरु में राजेंद्र प्रसाद पांडे की मुलाकात गोंडा के मूल निवासी वैज्ञानिक डॉक्टर बीपी त्रिपाठी से हुई. उनसे प्रेरित होकर राजेंद्र प्रसाद पांडे ने किसानों की जिंदगी को महकाने के लिए चंदन की खेती और उसकी पौध उगाने का सिलसिला शुरू कर किया. वह यह काम 3 साल पहले से कर रहे हैं.

सहफसली खेती के जरिए किसान को नहीं होती आर्थिक दिक्कत

चंदन के पौधे 10 वर्ग फीट की दूरी पर लगाए जाते हैं. चंदन के पौधे खुद से भोजन ना ले कर दूसरे पौधों से भोजन ग्रहण करते हैं. इसके लिए चंदन के बीच-बीच में अरहर, टमाटर और मटर आदि की फसल भी उगा सकते हैं. इसके साथ ही अगर कोई इस तरह की खेती करने में सक्षम नहीं है तो वह इन चंदन के पौधों के साथ ही शीशम, खैर, बरगद, पीपल या अन्य लकड़ियों के पौधों को लगा सकता है. इस तरह की सहफसली खेती के जरिए किसान आर्थिक दिक्कत से भी निजात पा सकेंगे.

6 से 8 साल के बीच तैयार हो जाते हैं चंदन के पेड़

राजेंद्र प्रसाद पांडे ने बताया कि 6 से 8 साल के बीच चंदन के पेड़ तैयार हो जाते हैं. उनसे निकलने वाली लकड़ी की कीमत तकरीबन 12,000 रुपये प्रति किलो है. अगर पेड़ को कोई 15 साल तक रोक कर रख ले तो उस पेड़ से 20 किलोग्राम से अधिक चंदन की लकड़ी तैयार होगी, जिसे किसान आज की कीमत के अनुसार तकरीबन दो लाख रुपये से ज्यादा में बेच सकेंगे. राजेंद्र प्रसाद पांडे बताते हैं कि हम 20 प्रतिशत से 25 प्रतिशत पौधों के जीवन को कम आंककर चलते हैं 1 एकड़ में तकरीबन साढे 500 पौधे लगाए जाते हैं, जिसमें से 350 से 400 पौधे तैयार हो जाते हैं. चंदन की वर्तमान कीमत के मुताबिक इन पौधों के जरिए किसान एक एकड़ से तकरीबन 7 करोड़ रुपए कमा सकते हैं. जो वर्तमान में खेती के आय से तकरीबन 20 गुना अधिक है.

होना चाहिए 20 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान
चंदन की खेती करने की प्रोसेस के बारे में जानकारी देते हुए किसान राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि चंदन के पौधे के लिए सबसे पहले 20 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान चाहिए. इसके लिए पहले बीज को ग्रीन हाउस रूम में बोया जाता है, उस ग्रीन हाउस का तापमान 20 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट होना चाहिए. जब बीज से से पौधे निकलने लगते हैं तो उन्हें एक ऐसे ग्रीन हाउस रूम में लगाया जाता है जिसमें छांव और धूप एक साथ पड़े. वह बताते हैं कि जब यह पौधा तकरीबन 12 से 15 इंच का हो जाता है, तब उसे खेतों में लगाने के लिए भेजा जाता है. इसके साथ ही सहवासी पौधों की नस्लों को विकसित किया जाता है, ताकि चंदन का पेड़ अपना भोजन आसानी से प्राप्त कर सके.

अन्य किसानों को भी कर रहे प्रेरित
राजेंद्र प्रसाद चंदन की खेती के लिए अन्य किसानों को प्रेरित भी कर रहे हैं. साथ ही वह किसानों को चंदन की खेती के लिए ट्रेनिंग देते हैं. उनसे प्रेरित होकर जो लोग सहायता मांगते हैं उन्हें वह 200 रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से पौधे तो देते ही हैं, साथ ही 6 माह तक उनके खेत की देखरेख का जिम्मा भी लेते हैं. जब वह काम पूरी तरह सीख जाते हैं तो उनका खेत उनके सुपुर्द कर दिया जाता है. उनकी प्रेरणा से घुघुलपुर गांव में माता प्रसाद तिवारी, सत्य प्रकाश और अन्य किसानों ने 4 एकड़ खेत में चंदन के पौधे लगाए हैं. 20 अन्य किसान भी 6 एकड़ में चंदन की खेती कर रहे हैं.

'चोरों से बचाने की जरूरत'

चंदन के पेड़ों को चोरों से बचाने के लिए लोग तरह तरह के उपाय अपना रहे हैं. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि इसके लिए कर्नाटक सरकार ने एक तकनीक विकसित की है. मोबाइल डिवाइस और ड्रोन कैमरे से चंदन की रखवाली की जाती है. इससे किसान घर बैठे ही अपने पौधे की जानकारी ले सकते हैं.

'चंदन की खेती से किसान बनेंगे सबल'
चंदन की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी के बारे में बताते हुए प्रभागीय वनाधिकारी रजनीकांत मित्तल बताते हैं कि तराई का एग्रो क्लाइमेट रीजन चंदन की खेती के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है. बलरामपुर की जमीन की मिट्टी की क्वालिटी चंदन की खेती के लिए अच्छी है. उसमें अगर चंदन उगाया जाए तो हमारे किसान भाइयों को निश्चित तौर पर बड़े पैमाने पर फायदा होगा. इसके साथ ही चंदन की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस पेड़ को कोई जानवर चरता नहीं है, चंदन को अगर चोरों से बचा लिया जाए तो यह पेड़ लंबे समय तक टिका रह सकता है. वह कहते हैं कि अगर चंदन की खेती व्यापक पैमाने पर की जाए तो वह किसानों के लिए फायदेमंद होगी और इसके जरिए वह बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से सबल बन सकेंगे.

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