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बलरामपुर प्राथमिक विद्यालयों की खेल सामग्रियों से 'खेल' कर गया बेसिक शिक्षा विभाग - sports equipment to primary schools

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में प्राथमिक विद्यालयों की खेल सामग्रियों को बेसिक शिक्षा विभाग ने ठीक तरीके से स्कूलों को उपलब्ध नहीं कराया, जिससे बच्चे खेलने के लिए तरस रहे हैं. जिले के एक प्राथमिक विद्यालय के बच्चे ने कहा कि स्कूल में सिर्फ एक गेंद और कैरम बोर्ड ही है.

बलुआ जंगली प्राथमिक विद्यालय में कैरम बोर्ड खेलते बच्चे.
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Published : Sep 13, 2019, 3:14 PM IST

बलरामपुरः प्रदेश भर के जूनियर हाईस्कूल और प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में खेल भावना विकसित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने खेल सामग्री के लिए पैसे दिए. मंत्रालय द्वारा बच्चों को चुस्त-दुरुस्त बनाने की कवायद के साथ उत्तर प्रदेश के जूनियर सेक्शन के स्कूलों को 10-10 हजार रुपये जबकि प्राइमरी सेक्शन के स्कूलों को 5-5 हजार रुपये दिए गए, लेकिन बलरामपुर जिले के प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को न तो खेल सामग्रियां मिल रही हैं न ही खेलने का मौका मिल रहा है.

प्राथमिक विद्यालयों में खेल सामग्री की स्थिति.

खेल सामग्रियों की यथास्थिति देखने के लिए जब हम बलरामपुर जिले के आखिरी छोर पर स्थित प्राथमिक विद्यालय बलुआ जंगली पहुंचे तो वहां पर चीजें बदरंग ही नजर आईं. बलुआ जंगली विद्यालय के बच्चों ने बताया कि यहां पर न तो खेल सामग्री है और न ही उन्हें खेलने को अतिरिक्त समय मिलता है. खेल सामग्रियों के नाम पर महज एक कैरम बोर्ड है, जिसे हम फर्श पर ही खेलते हैं. इसके अलावा नौनिहालों ने बताया कि वहां अध्यापक न होने के कारण वे अतिरिक्त घंटे में खेल खेल भी नहीं सकते, क्योंकि खेलने लायक स्कूल में माहौल नहीं है और न ही मैदान है.

इसे भी पढ़ें- बलरामपुर: बच्चा चोरी की अफवाह पर प्रशासन ने चलाया जागरूकता अभियान

वहीं जब इस बारे में हमने मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली से बात की तो उन्होंने कहा कि हम एक जांच समिति गठित करके खेल सामग्रियों की खरीदारी में तय की गई नियम एवं शर्तों के तहत जांच करवा लेंगे, जो नतीजा निकलेगा उसके अनुरूप कार्रवाई की जाएगी.

बलरामपुरः प्रदेश भर के जूनियर हाईस्कूल और प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में खेल भावना विकसित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने खेल सामग्री के लिए पैसे दिए. मंत्रालय द्वारा बच्चों को चुस्त-दुरुस्त बनाने की कवायद के साथ उत्तर प्रदेश के जूनियर सेक्शन के स्कूलों को 10-10 हजार रुपये जबकि प्राइमरी सेक्शन के स्कूलों को 5-5 हजार रुपये दिए गए, लेकिन बलरामपुर जिले के प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को न तो खेल सामग्रियां मिल रही हैं न ही खेलने का मौका मिल रहा है.

प्राथमिक विद्यालयों में खेल सामग्री की स्थिति.

खेल सामग्रियों की यथास्थिति देखने के लिए जब हम बलरामपुर जिले के आखिरी छोर पर स्थित प्राथमिक विद्यालय बलुआ जंगली पहुंचे तो वहां पर चीजें बदरंग ही नजर आईं. बलुआ जंगली विद्यालय के बच्चों ने बताया कि यहां पर न तो खेल सामग्री है और न ही उन्हें खेलने को अतिरिक्त समय मिलता है. खेल सामग्रियों के नाम पर महज एक कैरम बोर्ड है, जिसे हम फर्श पर ही खेलते हैं. इसके अलावा नौनिहालों ने बताया कि वहां अध्यापक न होने के कारण वे अतिरिक्त घंटे में खेल खेल भी नहीं सकते, क्योंकि खेलने लायक स्कूल में माहौल नहीं है और न ही मैदान है.

इसे भी पढ़ें- बलरामपुर: बच्चा चोरी की अफवाह पर प्रशासन ने चलाया जागरूकता अभियान

वहीं जब इस बारे में हमने मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली से बात की तो उन्होंने कहा कि हम एक जांच समिति गठित करके खेल सामग्रियों की खरीदारी में तय की गई नियम एवं शर्तों के तहत जांच करवा लेंगे, जो नतीजा निकलेगा उसके अनुरूप कार्रवाई की जाएगी.

Intro:जिले के 2235 परिषदीय विद्यालयों के जूनियर हाई स्कूलों व प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले तकरीबन सवा दो लाख बच्चों में खेल भावना विकसित करने के लिए उन्हें चुस्त-दुरुस्त बनाने की कवायद के साथ केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रदेश भर के परिषदीय विद्यालयों में खेल सामग्रियां खरीदने के पैसे दिए थे। इसमें जूनियर सेक्शन के स्कूलों को 10-10 हजार रुपए जबकि प्राइमरी सेक्शन के स्कूलों को 5-5 हजार रुपए भी दिए गए। लेकिन तमाम बलरामपुर जिले के तमाम स्कूलों इस खरीदारी के बावजूद भी ना तो अब खेल सामग्रियां बची है। ना ही नौनिहालों को खेलने का मौका मिल रहा है।


Body:बलरामपुर जिले के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा के साथ-साथ उन्हें प्राथमिक स्तर के खेलों में भी निपुण बनाने के लिए केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल पर एक योजना शुरू की गई। जिसके अंतर्गत सभी परिषदीय विद्यालयों के अंतर्गत आने वाले जूनियर सेक्शन के विद्यालयों को 10000 रुपए। तो प्राइमरी सेक्शन के विद्यालयों को 5000 रुपए प्रति विद्यालय उपलब्ध करवाए गए। उन्हें सूची सौंपी गई और नियम शर्तों के साथ खरीदारी करने को कहा गया। लेकिन स्पोर्ट्स आइटमों की खरीदारी में बेसिक शिक्षा विभाग 'खेल' कर गया।
खेल सामग्रियों की यथास्थिति देखने के लिए जब हम बलरामपुर जिले के आखिरी छोर पर स्थित प्राथमिक विद्यालय बलुआ जंगली पहुंचे तो वहां पर चीजें बदरंग ही नजर आईं। यहां पर हम से बच्चों ने बात करते हुए कहा कि यहां पर न तो खेल सामग्री है और ना ही हमें खेलने को मिलता है। खेल सामग्रियों के नाम पर महज एक कैरम बोर्ड है। जिसे हम फर्श पर ही खेलते हैं। इसके अलावा बात करते हुए कहा कि हमारे पास अध्यापक ना होने के कारण हम लोग अतिरिक्त घंटे में खेल खेल भी नहीं सकते। क्योंकि खेलने लायक इस स्कूल में माहौल ही नहीं है और न ही मैदान।


Conclusion:वही जब इस बारे में हमने मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली से बात की तो उन्होंने कहा कि हम एक जांच समिति गठित करके खेल सामग्रियों की खरीदारी में तय की गई नियम शर्तों के तहत जांच करवा लेंगे। जो नतीजा निकलेगा। उसके अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।
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