बलरामपुरः जिले में ताइक्वांडो खेल को साल 1999-2000 के बीच में पहचान मिलना तब शुरू हुआ, जब मुंबई से एक कोच यहां आए और उन्होंने डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट स्टेडियम में इसका प्रशिक्षण शुरू किया. तब से लेकर अब तक जिले को 3000 से ज्यादा ताइक्वांडो खेल के खिलाड़ी मिल चुके हैं. इनमें से कुछ तो ऐसे हैं, जिन्होंने देश का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया है.
जिले के खिलाड़ियों ने कोच जियाउल हशमत के नेतृत्व में ओलंपिक खेलों के लिए क्वालिफाईंग मैचों में भी हिस्सा लिया है. यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी और कर रही 600 लड़कियां जिले और देश का नाम रोशन कर रही हैं. अपनी मेधा और हौसले के दम पर जिले की खिलाड़ियों ने 72 स्वर्ण पदक, 63 रजत पदक, 86 कांस्य पदक जिला स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक के मैचों में हासिल किए हैं. वहीं इन लड़कियों ने अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 26 पदक हासिल किए हैं.
लड़कियों ने बढ़ाया जिले के मान
जिले की बेटी श्रद्धा दीक्षित ने 34 वें राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित खेलों में पहली बार क़्वालिफाई किया. 2011 में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में श्रद्धा दीक्षित ने मैडल जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया. श्रद्धा दीक्षित ने पदक जीतकर उत्तर प्रदेश की पहली महिला ताइक्वांडो खिलाड़ी बनी थी. साल 2006 से शुरू हुए इस सिलसिले को अब तक महिला वर्ग की खिलाड़ियों ने तमाम भार वर्ग में कायम कर रखा है.
बालिकाओं ने जीते हैं बड़े पैमाने पर पदक
साल 1999 से अब तक बलरामपुर ताइक्वांडो संघ से 600 बालिकाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं या कर रही हैं. जिनमें से 33 खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. जिले की बालिकाओं द्वारा अब तक 72 स्वर्ण पदक, 63 राष्ट्रीय स्तर, 86 कांस्य पदक जीत चुकी हैं. जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन लड़कियों ने 26 पदक हासिल कर चुके हैं.
संदीपिका रावत का सफर
जिले की बेटी संदीपिका रावत ने राज्य स्तर पर 10 स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीत चुकी हैं. राष्ट्रीय स्तर इन्होंने 4 स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक हासिल किया. इसके साथ ही इन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2 स्वर्ण पदक और एक रजत पदक भी अपने नाम किया है. संदीपिका रावत ने बताया कि वह 2002 में ट्रेनिंग के लिए बलरामपुर ताइक्वांडो एसोसिएशन जॉइन किया था. इसके बाद मैंने सब जूनियर, जूनियर, डिस्ट्रिक्ट, स्टेट और नेशनल खेला. इसके साथ ही मैंने अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिभाग किया.
विदेश में भी फहराया परचम
सोनम आनंद ने राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में 17 गोल्ड व तीन कांस्य पदक हासिल किए हैं. राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में सोनम आनंद 10 गोल्ड और एक कांस्य पदक हासिल किया है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोनम के नाम चार स्वर्ण पदक हैं, इन्होंने भूटान और बांग्लादेश जैसे देशों में जाकर भारत का नाम ऊंचा किया है. सोनम आनंद बताती हैं कि जब उन्होंने ताइक्वांडो खेलों में रुचि लेना शुरू किया तो वह बहुत छोटी थी उन्हें यह तक नहीं पता था कि वह क्यों इस खेल में आई है. सोनम ने बताया कि कोच जियाउल हसन व अन्य लोगों की मेहनत के बदौलत से अपना नाम के साथ पूरे जिले का नाम रोशन किया.
ट्रेनिंग के दौरान ही अतंरराष्ट्रीय स्तर तक मिली पहचान
भाव्या मिश्रा के नाम राज्य स्तर पर सात स्वर्ण पदक दो रजत पदक व एक कांस्य पदक हैं. राष्ट्रीय स्तर पर भी भाव्या मिश्रा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाव्या मिश्रा के पास एक स्वर्ण पदक और एक रजत पदक है. भाव्या का कहना है कि वह 2011 से ताइक्वांडो खेलों में हूं. उन्होंने बताया कि जब वह ताइक्वंडो एसोसिएशन ज्वाइन किया था तब बहुत छोटी थी. यहां पर ट्रेनिंग के दौरान ही कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है, कई बार असफलता मिली, फिर भी हार नहीं मानी. आज मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं में पदक हासिल कर चुकी हूं.
ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाना लक्ष्य
बलरामपुर ताइक्वांडो एसोसिएशन के मुख्य ट्रेनर जियाउल हक ने बताया कि जिले में जब इस खेल की शुरुआत की गई तब स्थिति दूसरी थी, लेकिन आज हम लोग बेहतर स्थिति में हैं. सरकारी सुविधाओं के बिना भी आज यहां से निकलने वाले बच्चे प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिला स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक खिलाड़ियों ने पदक हासिल किया है. इनमें लड़कियों का प्रदर्शन तो और भी बेहतर है. हमारा अंतिम लक्ष्य यह है कि हम लोग किसी भी तरह से ओलंपिक में पदक जीतकर अपने जिले और अपने देश का नाम रोशन कर सकें. हमारी टीम ने पहले भी ओलंपिक क्वालीफाइंग तक के मैचों को खेला है, लेकिन वह डिसक्वालीफाई हो गए. हम लोग अभी भी प्रयास कर रहे हैं कि इन लड़कियों में से कोई ऐसा निकले जो ताइक्वांडो खेलों में भारत को ओलंपिक का गोल्ड दिलवा सके.