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बलिया: कोरोना काल में इस गांव ने छेड़ी स्वच्छता की अनोखी मुहिम

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वच्छता को लेकर जो मंत्र दुनिया को दिया था, उसकी मिसाल बन रहा है उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का छितौनी गांव. इस गांव के चार युवकों ने सफाई को लेकर जो मुहिम छेड़ी थी, अब वह आगे बढ़ रही है. गांव के बच्चे और बुजुर्ग भी अब इस सफाई अभियान का हिस्सा बन चुके हैं. पढ़ें पूरी खबर...

chitouni village of ballia
स्वच्छता की अनोखी मुहिम
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Published : Sep 3, 2020, 10:43 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: देश में कोरोना काल के दौरान जहां लोगों के रोजगार छीन गए, तो वहीं व्यापार और आर्थिक मोर्चे पर भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. जिले में कुछ युवकों ने इस आपदा में भी बेहतरीन कार्य किया. जनपद के बांसडीह तहसील क्षेत्र के छितौनी गांव के युवाओं ने प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान से प्रेरणा लेकर कोरोना काल में न केवल ऐतिहासिक गांव के तालाब को स्वच्छ और साफ किया, बल्कि गांव से भी गंदगी को दूर कर रहे हैं.

जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर छितौनी गांव में प्राचीन तालाब है. इस तालाब को स्वच्छ करने में गांव के युवाओं के साथ-साथ आसपास के गांव के लोगों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. देश में कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान युवाओं ने प्रत्येक रविवार को 2 घंटे का श्रमदान कर इस तालाब को साफ करने का निश्चय किया. लॉकडाउन के दौरान जो भी व्यक्ति बाहर से आए थे, वह भी अपना क्वारंटाइन समय पूरा करने के बाद इस अभियान से जुड़े.

स्पेशल वीडियो.

इस अभियान में बच्चे से लेकर बुजुर्ग भी शामिल
स्वच्छता के इस अभियान में युवा से लेकर 80 साल के बुजुर्ग भी शामिल हैं, जो कड़ी मेहनत कर गांव को साफ करने में जुटे हैं. नौकरी-पेशा व्यक्ति हो या फिर देश की सेवा करने वाला सैनिक सभी लोग गांव के नौजवानों के साथ प्रत्येक रविवार को सुबह 5:30 बजे गांव में एकत्रित होते हैं. सभी लोग किसी निश्चित स्था पर करीब 2 घंटे साफ-सफाई का कार्य करते हैं.

'शरीर रहता है एक्टिव'
रामवीर की उम्र करीब 65 साल है. जो इलाके की फरसाटार गांव के रहने वाले हैं. ये प्रत्येक रविवार को निर्धारित समय पर छितौनी गांव पहुंचकर अपने सफाई कार्य में जुड़ जाते हैं. रामवीर बताते हैं कि सफाई के इस अभियान में जुड़ कर उन्हें बहुत खुशी मिलती है. साथ ही उम्र के इस पड़ाव में शरीर भी एक्टिव रहता है.

chitouni village of ballia
तालाब की सफाई करते लोग.

'आराम करने से बेहतर है गांव की सफाई'
धर्मेंद्र द्विवेदी एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है, जो बलिया मुख्यालय से छितौनी गांव जाकर झाड़ू हाथ में लेकर सफाई करते हैं. धर्मेंद्र छितेश्वर नाथ स्वच्छता समिति से शुरुआत से ही जुड़े हुए हैं. धर्मेंद्र ने बताया कि लॉकडाउन में घर में बैठकर आराम करने से बेहतर था कि हम लोग हफ्ते में कुछ घंटे निकाल कर अपने इस गांव को और यहां के तालाब को साफ करें. इसलिए हम लोग यहां एकत्रित होकर इस कार्य को कर रहे हैं.

'सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखकर की जा रही सफाई'
भारतीय एयरफोर्स में सेवा देने वाले राहुल ने बताया कि 2016 में जब उनकी नौकरी लगी, उसी समय गांव में स्वच्छता अभियान की शुरुआत हुई. लॉकडाउन की वजह से मैं घर पर हूं. मैं भी इस समिति के साथ इस अभियान में अपना समय दे रहा हूं. सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करते हुए हम लोगों ने अपने गांव के तालाब की सफाई की है.

'पीएम के स्वच्छता अभियान से मिली थी प्रेरणा'
छितेश्वर नाथ स्वच्छता समिति के सचिव मनोज दुबे ने बताया कि तालाब को साफ करने के लिए हम लोगों ने एक विधिवत अभियान चलाया. इस अभियान में लोगों को जोड़कर एक अलग पहचान दिलाने की कोशिश की गई. अब यह तालाब साफ हो चुका है. तालाब में गोल्डन फिश और चाइनीज ग्रीन कटर मछली हैं, जो अब दूर से ही दिखाई दे रही हैं. तालाब के चारों ओर फुटपाथ भी बना दिया गया है, जिससे लोग यहां रोज सुबह आकर स्वच्छ वातावरण में टहल कर अपने सेहत को भी अच्छा कर सकते हैं.

मनोज दुबे ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरणा लेकर 2016 में 4 लोगों ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. धीरे-धीरे लगातार लोग जुड़ते गए. इस समय इस समिति में 150 से अधिक लोग जुड़े हुए हैं. मनोज ने बताया कि इस समिति की सबसे खास बात है कि जिला प्रशासन की ओर से भी किसी प्रकार की मदद नहीं ली जाती है. हमें जिन भी चीजों की आवश्यक्ता होती है, समिति के सभी सदस्य अपने पास से धनराशि एकत्रित कर इसे पूर्ण करते हैं. मनोज दुबे बताते हैं कि हम सब मिलकर स्वच्छता के संदर्भ में एक अलग संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.

बलिया: देश में कोरोना काल के दौरान जहां लोगों के रोजगार छीन गए, तो वहीं व्यापार और आर्थिक मोर्चे पर भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. जिले में कुछ युवकों ने इस आपदा में भी बेहतरीन कार्य किया. जनपद के बांसडीह तहसील क्षेत्र के छितौनी गांव के युवाओं ने प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान से प्रेरणा लेकर कोरोना काल में न केवल ऐतिहासिक गांव के तालाब को स्वच्छ और साफ किया, बल्कि गांव से भी गंदगी को दूर कर रहे हैं.

जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर छितौनी गांव में प्राचीन तालाब है. इस तालाब को स्वच्छ करने में गांव के युवाओं के साथ-साथ आसपास के गांव के लोगों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. देश में कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान युवाओं ने प्रत्येक रविवार को 2 घंटे का श्रमदान कर इस तालाब को साफ करने का निश्चय किया. लॉकडाउन के दौरान जो भी व्यक्ति बाहर से आए थे, वह भी अपना क्वारंटाइन समय पूरा करने के बाद इस अभियान से जुड़े.

स्पेशल वीडियो.

इस अभियान में बच्चे से लेकर बुजुर्ग भी शामिल
स्वच्छता के इस अभियान में युवा से लेकर 80 साल के बुजुर्ग भी शामिल हैं, जो कड़ी मेहनत कर गांव को साफ करने में जुटे हैं. नौकरी-पेशा व्यक्ति हो या फिर देश की सेवा करने वाला सैनिक सभी लोग गांव के नौजवानों के साथ प्रत्येक रविवार को सुबह 5:30 बजे गांव में एकत्रित होते हैं. सभी लोग किसी निश्चित स्था पर करीब 2 घंटे साफ-सफाई का कार्य करते हैं.

'शरीर रहता है एक्टिव'
रामवीर की उम्र करीब 65 साल है. जो इलाके की फरसाटार गांव के रहने वाले हैं. ये प्रत्येक रविवार को निर्धारित समय पर छितौनी गांव पहुंचकर अपने सफाई कार्य में जुड़ जाते हैं. रामवीर बताते हैं कि सफाई के इस अभियान में जुड़ कर उन्हें बहुत खुशी मिलती है. साथ ही उम्र के इस पड़ाव में शरीर भी एक्टिव रहता है.

chitouni village of ballia
तालाब की सफाई करते लोग.

'आराम करने से बेहतर है गांव की सफाई'
धर्मेंद्र द्विवेदी एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है, जो बलिया मुख्यालय से छितौनी गांव जाकर झाड़ू हाथ में लेकर सफाई करते हैं. धर्मेंद्र छितेश्वर नाथ स्वच्छता समिति से शुरुआत से ही जुड़े हुए हैं. धर्मेंद्र ने बताया कि लॉकडाउन में घर में बैठकर आराम करने से बेहतर था कि हम लोग हफ्ते में कुछ घंटे निकाल कर अपने इस गांव को और यहां के तालाब को साफ करें. इसलिए हम लोग यहां एकत्रित होकर इस कार्य को कर रहे हैं.

'सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखकर की जा रही सफाई'
भारतीय एयरफोर्स में सेवा देने वाले राहुल ने बताया कि 2016 में जब उनकी नौकरी लगी, उसी समय गांव में स्वच्छता अभियान की शुरुआत हुई. लॉकडाउन की वजह से मैं घर पर हूं. मैं भी इस समिति के साथ इस अभियान में अपना समय दे रहा हूं. सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करते हुए हम लोगों ने अपने गांव के तालाब की सफाई की है.

'पीएम के स्वच्छता अभियान से मिली थी प्रेरणा'
छितेश्वर नाथ स्वच्छता समिति के सचिव मनोज दुबे ने बताया कि तालाब को साफ करने के लिए हम लोगों ने एक विधिवत अभियान चलाया. इस अभियान में लोगों को जोड़कर एक अलग पहचान दिलाने की कोशिश की गई. अब यह तालाब साफ हो चुका है. तालाब में गोल्डन फिश और चाइनीज ग्रीन कटर मछली हैं, जो अब दूर से ही दिखाई दे रही हैं. तालाब के चारों ओर फुटपाथ भी बना दिया गया है, जिससे लोग यहां रोज सुबह आकर स्वच्छ वातावरण में टहल कर अपने सेहत को भी अच्छा कर सकते हैं.

मनोज दुबे ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरणा लेकर 2016 में 4 लोगों ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. धीरे-धीरे लगातार लोग जुड़ते गए. इस समय इस समिति में 150 से अधिक लोग जुड़े हुए हैं. मनोज ने बताया कि इस समिति की सबसे खास बात है कि जिला प्रशासन की ओर से भी किसी प्रकार की मदद नहीं ली जाती है. हमें जिन भी चीजों की आवश्यक्ता होती है, समिति के सभी सदस्य अपने पास से धनराशि एकत्रित कर इसे पूर्ण करते हैं. मनोज दुबे बताते हैं कि हम सब मिलकर स्वच्छता के संदर्भ में एक अलग संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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