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जब कोरोना ने छीनी मजदूरी, दबंगों ने छीन लिया मनरेगा का काम - कोरोना ने छीनी मजदूरी

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में अब तक बाहर से 40000 से अधिक मजदूर पहुंचे चुके हैं. जिसके बाद मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को काम दिया जा रहा है. लेकिन एक गांव ऐसा भी हैं, जहां दबंग मजदूरों को काम नहीं करने दे रहे हैं.

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दबंग प्रवासी मजदूरों को मनरेगा में नहीं करने दे रहे काम.
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Published : May 24, 2020, 8:49 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: जिले में लगातार प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है. इस कोरोना काल में जहां देश में लॉकडाउन लागू हैं, वहीं शहरों में रोजगार नहीं होने से लोग अपने गांव का रुख कर रहे हैं. सरकार की मंशा है कि अपने जिले पहुंचने वाले ज्यादा से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के माध्यम से काम मिले, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें. इसी उद्देश्य से हर जिले में मनरेगा श्रमिकों को काम दिया जा रहा है. वहीं फेफना विधानसभा क्षेत्र का एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां काम होने के बावजूद भी मनरेगा के श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा है. यहां के दबंग मजदूरों को मनरेगा का काम होने नहीं दे रहे हैं.

दबंग प्रवासी मजदूरों को मनरेगा में नहीं करने दे रहे काम.

40 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर पहुंचे
जिले में अब तक 40,000 से अधिक प्रवासी मजदूर आ चुके हैं. इन मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाना सरकार की मंशा है. लेकिन जिले में एक फेफना गांव ऐसा है, जहां सरकार की इस मंशा को दबंग पूरा नहीं होने दे रहे. मनरेगा के श्रमिक और प्रवासी मजदूर काम मांगने के लिए प्रधान के घर डेरा डाले हुए हैं. महिला प्रधान भी इन दबंगों के आगे बेबस हैं और इन मजदूरों को सिर्फ आश्वासन ही दे पाती हैं. कई बार काम शुरू किया गया, लेकिन दबंगों ने इसे रोक दिया.

मजदूरों को नहीं मिल रहा काम
प्रभुनाथ राजभर प्रवासी मजदूर हैं और महाराष्ट्र से आए हैं. वह बताते हैं कि क्वारंटाइन का समय भी पूरा हो गया है. लेकिन इन दो महीनों में महज दो दिन का काम मिला है. रोज प्रधान के घर पहुंचते हैं कि रोजगार के लिए मनरेगा में काम मिले. प्रधान के साथ काम करने के लिए कई बार हम मनरेगा मजदूर निकले भी, लेकिन दबंग लोग काम नहीं होने देते. ऐसी स्थिति में श्रमिकों का जीवनयापन कैसे हो पाएगा.

ग्राम प्रधान ने प्रशासन से लिखित शिकायत की
फेफना गांव की ग्राम प्रधान सीमा देवी ग्रामीणों के साथ कई बार काम कराने के लिए निकलीं, लेकिन दबंगों ने उन्हें काम कराने से रोक दिया. इसको लेकर उन्होंने जिला प्रशासन से लिखित तौर पर शिकायत भी की है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई. वह बताती हैं कि प्रतिदिन ऐसे ही दर्जनों मजदूर हमारे घर आते हैं और काम देने की मांग करते हैं.

मनरेगा के माध्यम से बाहर से आए मजदूरों को रोजगार मिले. इस संकट की घड़ी में उनकी मदद करना ही सरकार की मंशा है. लेकिन इस दौरान कुछ प्रैक्टिकल समस्याएं भी आती है. कुछ लोगों की लापरवाही होती है, तो वहीं कुछ लोगों की मंशा भी ठीक नहीं होती है. उन सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई और निस्तारण की प्रक्रिया चल रही है.
श्रीहरि प्रताप शाही, जिलाधिकारी

बलिया: जिले में लगातार प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है. इस कोरोना काल में जहां देश में लॉकडाउन लागू हैं, वहीं शहरों में रोजगार नहीं होने से लोग अपने गांव का रुख कर रहे हैं. सरकार की मंशा है कि अपने जिले पहुंचने वाले ज्यादा से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के माध्यम से काम मिले, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें. इसी उद्देश्य से हर जिले में मनरेगा श्रमिकों को काम दिया जा रहा है. वहीं फेफना विधानसभा क्षेत्र का एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां काम होने के बावजूद भी मनरेगा के श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा है. यहां के दबंग मजदूरों को मनरेगा का काम होने नहीं दे रहे हैं.

दबंग प्रवासी मजदूरों को मनरेगा में नहीं करने दे रहे काम.

40 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर पहुंचे
जिले में अब तक 40,000 से अधिक प्रवासी मजदूर आ चुके हैं. इन मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाना सरकार की मंशा है. लेकिन जिले में एक फेफना गांव ऐसा है, जहां सरकार की इस मंशा को दबंग पूरा नहीं होने दे रहे. मनरेगा के श्रमिक और प्रवासी मजदूर काम मांगने के लिए प्रधान के घर डेरा डाले हुए हैं. महिला प्रधान भी इन दबंगों के आगे बेबस हैं और इन मजदूरों को सिर्फ आश्वासन ही दे पाती हैं. कई बार काम शुरू किया गया, लेकिन दबंगों ने इसे रोक दिया.

मजदूरों को नहीं मिल रहा काम
प्रभुनाथ राजभर प्रवासी मजदूर हैं और महाराष्ट्र से आए हैं. वह बताते हैं कि क्वारंटाइन का समय भी पूरा हो गया है. लेकिन इन दो महीनों में महज दो दिन का काम मिला है. रोज प्रधान के घर पहुंचते हैं कि रोजगार के लिए मनरेगा में काम मिले. प्रधान के साथ काम करने के लिए कई बार हम मनरेगा मजदूर निकले भी, लेकिन दबंग लोग काम नहीं होने देते. ऐसी स्थिति में श्रमिकों का जीवनयापन कैसे हो पाएगा.

ग्राम प्रधान ने प्रशासन से लिखित शिकायत की
फेफना गांव की ग्राम प्रधान सीमा देवी ग्रामीणों के साथ कई बार काम कराने के लिए निकलीं, लेकिन दबंगों ने उन्हें काम कराने से रोक दिया. इसको लेकर उन्होंने जिला प्रशासन से लिखित तौर पर शिकायत भी की है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई. वह बताती हैं कि प्रतिदिन ऐसे ही दर्जनों मजदूर हमारे घर आते हैं और काम देने की मांग करते हैं.

मनरेगा के माध्यम से बाहर से आए मजदूरों को रोजगार मिले. इस संकट की घड़ी में उनकी मदद करना ही सरकार की मंशा है. लेकिन इस दौरान कुछ प्रैक्टिकल समस्याएं भी आती है. कुछ लोगों की लापरवाही होती है, तो वहीं कुछ लोगों की मंशा भी ठीक नहीं होती है. उन सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई और निस्तारण की प्रक्रिया चल रही है.
श्रीहरि प्रताप शाही, जिलाधिकारी

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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