बलिया: वाराणसी सहित पूर्वांचल के कई जिलों में गंगा नदी में आई बाढ़ ने विकराल रूप धारण कर लिया है. बलिया में करोड़ों की लागत से बना रिंग बांध टूट गया, जिसके बाद कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए. गंगा नदी का पानी इस कदर गांव में प्रवेश कर गया कि लोग अपने आशियाने को छोड़ पलायन को मजबूर हो रहे हैं.
करोड़ों रुपये लगने के बाद भी नहीं टिक सका रिंग बांध
जिले के बैरिया इलाके में प्रतिवर्ष बाढ़ से हजारों लोग प्रभावित होते हैं. गंगा नदी इसी इलाके से होकर बहती है, लेकिन जब वह अपना विकराल रूप धारण करती है तो लोगों को काफी परेशानी होती है. इसी क्षेत्र में करीब 3 किलोमीटर लंबा रिंग बांध बना हुआ था, जिस पर पिछले साल भी मरम्मत के नाम पर करोड़ों का बजट सरकार से मिला, लेकिन 1 साल भी यह बांध गंगा के तेज वेग को नहीं रोक पाया और टूट गया.
कई गांव बाढ़ में डूबे
रिंग बांध टूटने से एकाएक गोपालपुरा, दुबे छपरा, उदई छपरा, दया छपरा सहित एक दर्जन गांव में बाढ़ का पानी पहुंच गया. ग्रामीणों को कुछ भी समझने का मौका ही नहीं मिला. आनन-फानन में लोग अपने आशियाने को छोड़ जरूरी सामान अपने सिर पर रखकर पलायन को मजबूर होने लगे.
हाईवे बना आशियाना
गांव से बाहर निकलकर ग्रामीण गाजीपुर से हाजीपुर जाने वाली नेशनल हाईवे 31 को ही अपना आशियाना बना लिया हाईवे किनारे प्लास्टिक के त्रिपाल से लोग खुद को बचाने में जुटे हुए
1952 में बना था रिंग बांध
1952 में गीता प्रेस गोरखपुर वालों ने 3 किलोमीटर लंबे रिंग बांध का निर्माण कराया था. उसके बाद से समय-समय पर इसमें मरम्मत का काम सरकार कराती रही है. साल 2016 में आई भीषण बाढ़ ने रिंग बांध को तोड़ दिया और बाढ़ का पानी गांव में प्रवेश कर गया था. इसके बाद सरकार ने इसके मरम्मत के लिए करोड़ों रुपये का बजट स्वीकृत किया.
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सिंचाई विभाग और बाढ़ खंड विभाग के अधिकारियों ने 29 करोड़ रुपये इसके मरम्मत में खर्च किए लेकिन 2019 के बाढ़ ने इस मरम्मत को खोखला साबित करते हुए एक बार फिर रिंग बांध को तो दिया और मरम्मत के नाम पर हुए भ्रष्टाचार ने लोगों को मौत के मुहाने तक पहुंचा दिया.
एकाएक रिंग बांध टूटने से पूरे गांव में बाढ़ का पानी पहुंच गया है. लगातार हो रही कटान से लोगों की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अभी तक कोई सुविधा हम लोगों तक नहीं पहुंची हैं.
-अजीत कुमार, ग्रामीण500 मीटर के करीब रिंग बांध टूट गया, जिसके बाद लगातार गांव में पानी आता ही जा रहा है. पानी बढ़ने से हम लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं .
-रघुनंदन यादव, ग्रामीण
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उदई छपरा गांव से दुबे छपरा तक आने के लिए कोई नाव भी उपलब्ध नहीं है. लोग अपने सामान को लेकर खुद ही बाढ़ के पानी से सड़क की ओर आ रहे हैं. ग्राम सभा गोपालपुर में करीब 8000 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. ग्रामीणों ने कहा कि जिलाधिकारी अक्सर आते थे और निरीक्षण कर चले जाते थे. लोगों का कहना था कि क्षेत्रीय विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा था कि किसी भी कीमत पर रिंग बाद को टूटने नहीं दिया जाएगा, लेकिन सरकारी अमले की लापरवाही से रिंग बांध टूट गया.