बलिया: कोरोना महामारी के बीच सावन के दूसरे सोमवार पर भी शिवालयों पर ताले लटके रहे. बलिया के प्राचीन बालेश्वर नाथ महादेव मंदिर के कपाट 22 मार्च से बंद हैं. बावजूद इसके श्रद्धालु बाबा को जल चढ़ाने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं ने मंदिर के बाहर से ही बाबा का जलाभिषेक किया और बाबा के दरबार में अर्जी लगाई की कोरोना से मुक्ति दिलाएं.
बालेश्वर नाथ महादेव मंदिर बलिया के प्राचीन बालेश्वर नाथ महादेव मंदिर के सामने मंदिर कमेटी की ओर से बैरिकेडिंग कर दी गई है. श्रद्धालु बैरिकेडिंग के बाहर से ही बाबा की पूजा अर्चना और जलाभिषेक कर रहे हैं. बाबा को चढ़ाने वाला जल एक ड्रम में एकत्र हो रहा है, जिसे मंदिर के पुरोहित बाद में बाबा को चढ़ाते हैं.महिलाएं, पुरुष और बच्चे सभी यहां पर पहुंचकर बाबा की पूजा अर्चना कर रहे हैं. मंदिर के बाहर बने बैरिकेड पर श्रद्धालु बाबा के लिए लाए माला को चढ़ा रहे हैं. हाथों में अगरबत्ती और दिए लिए श्रद्धालु बाबा के सच्चे मन से पूजा करते हुए मन्नत भी मांग रहे हैं. शिवालयों से घंटा, घड़ियाल और डमरू की आवाज सुनने को लोगों की कान तरस रहे हैं.
कोरोना की वैक्सीन जल्द मिलने की अर्जीश्रद्धालु प्रशांत यादव ने बताया कि प्रत्येक वर्ष सावन मास में यहां पर आकर बाबा का जलाभिषेक करते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण मंदिर के बाहर से ही पूजा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे बाबा से प्रार्थना कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इस कोरोना की महामारी से लोगों को बचा लें क्योंकि इससे काफी लोगों की जान चली गई है और लाखों लोग इसकी चपेट में हैं. श्रद्धालु ने कहा कि बाबा के दरबार में अर्जी लगाई है कि जल्द ही वैक्सीन आ जाये और जनमानस को उसका लाभ मिले.
स्थिति सामान्य होने पर ही खुले मंदिर के कपाटशिवभक्त गणेशानंद मिश्रा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष सावन मास में बैजनाथ धाम जाकर बाबा को जल चढ़ाते रहे हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस साल बलिया में ही बालेश्वर बाबा को गंगा जल चढ़ा रहे हैं. पूरे सावन मास नंगे पांव रहकर बाबा के दर पर आएंगे और अर्जी लगाएंगे. शिव भक्त ने बताया कि जिस तरह कोरोना महामारी फैली हुई है. इसको देखते हुए मंदिर के कपाट न ही खुले तो बेहतर है. जब सब कुछ स्थिति सामान्य हो जाएगा तभी मंदिर खुलना चाहिए.
22 मार्च से बंद है मंदिरमंदिर के पुरोहित संजय गिरी ने बताया कि 22 मार्च से बालेश्वर नाथ मंदिर बंद है. कोरोनावायरस के कारण फैली महामारी से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए मंदिर परिसर के बाहर बैरिकेडिंग की गई है. लोग वहीं से बाबा की पूजा कर उनका जलाभिषेक भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 20 पुरोहितों का एक समूह है, जो तिथिवार प्रातः काल में बाबा की पूजा करते हैं और फिर भोग लगाते हैं. इसके बाद गर्भगृह के कपाट बंद कर दी जाते हैं.