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बलिया: नाग पंचमी के दिन मंदिरों में पसरा सन्नाटा, जानें पर्व का महत्व - नाथ बाबा मंदिर में पसरा सन्नाटा

यूपी के बलिया में लॉकडाउन के चलते नागपंचमी के दिन नाथ बाबा मंदिर में सन्नाटा पसरा हुआ है. पौराणिक समय से ही शास्त्रों में नाग पंचमी के दिन बासुकी नाग की पूजा करने की मान्यता है. ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन सांप को दूध पिलाने से पूरे वर्ष तक सांपों से किसी प्रकार की हानि नहीं होती है.

nagpanchami 2020
नागपंचमी के दिन मंदिरों में नहीं आए भक्त
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Published : Jul 26, 2020, 9:01 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: जनपद के रसड़ा तहसील अंतर्गत नाथ बाबा मंदिर स्थित है. नाग पंचमी के दिन हर साल मंदिर में पूजा होती है. इस साल कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन की स्थिति है. इस वजह से आज नाग पंचमी के दिन मंदिर में लोगों की भीड़ नहीं दिखाई दी.

इस पर्व पर सांप को पिलाते हैं दूध
पौराणिक समय से ही शास्त्रों में नाग पंचमी के दिन बासुकी नाग की पूजा करने की मान्यता है. शास्त्रों के अनुसार नाग की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न रहते हैं. साथ ही लोगों को किसी प्रकार से सर्प दोष नहीं लगता है. लोगों का मानना है कि जो लोग नाग पंचमी के दिन सांप को दूध पिलाते हैं, उन्हें पूरे वर्ष तक सांपों से किसी प्रकार की हानि नहीं होती.

नाग पंचमी प्रत्येक वर्ष श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष में पंचमी के दिन मनाया जाता है. नाग पंचमी के दिन लोग स्नान करने के बाद एक कटोरी में दूध और धान का लावा लेकर भगवान शिव को समर्पित करने के बाद अपने खेतों में नाग देवता को समर्पित करते हैं. इसके अलावा कहीं-कहीं सांपों को भी दूध पिलाया जाता है.

गाय के गोबर से घर पर बनाया जाता है चित्र
लोग गाय के गोबर से अपने घरों पर नाग का चित्र बनाकर घेरते हैं, ताकि पूरे घर के अंदर सर्प दोष का कोई छाया न पड़े. लोगों का कहना है कि गाय का गोबर पूजा के लिए सर्वोपरि माना गया है. सनातन धर्म के अनुसार गाय में 56 कोटी देवता वास करते हैं. गाय के गोबर से ही गौरी, गणेश गजानन की अग्र पूजा करने का विधान है. सनातन धर्म में किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले गौरी गणेश की पूजा की जाती है. इसीलिए नाग पंचमी के दिन लोग अपने घरों को गाय के गोबर से चारों तरफ सर्प का आकार बनाकर घेर देते हैं, ताकि घर के अंदर एक साल तक सर्प दोष न हो.

नागपंचमी के दिन लोग अखाड़े में जाते हैं
लोग आंखड़ा पर जा कर अपना बल पौरूष दिखाते हैं. इसमें एक दूसरे के प्रतिद्वंदी भी अपने बल का प्रदर्शन करते हैं. किसी प्रकार का क्लेश न होने पर एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी होते हुए भी लोग नाग पंचमी के दिन अपने क्रोध पर काबू कर लेते हैं और आपसी भाईचारा बनाए रखते हैं. आंखड़ा से आने के बाद लोग हनुमान जी को लड्डू या बताशा चढ़ाकर प्रसाद के रूप में आपस में बांट लेते हैं.

नाथ बाबा के संतों ने बताया कि जिस प्रकार से नाग पंचमी के दिन हिंदू धर्म में सांपों को दूध पिलाया जाता है. इससे लोगों को यह सीख लेना चाहिए कि पुरानी रंजिश को भूलकर आपसी भाईचारा बनाए रखें, ताकि मोक्ष प्राप्त हो सके.

बलिया: जनपद के रसड़ा तहसील अंतर्गत नाथ बाबा मंदिर स्थित है. नाग पंचमी के दिन हर साल मंदिर में पूजा होती है. इस साल कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन की स्थिति है. इस वजह से आज नाग पंचमी के दिन मंदिर में लोगों की भीड़ नहीं दिखाई दी.

इस पर्व पर सांप को पिलाते हैं दूध
पौराणिक समय से ही शास्त्रों में नाग पंचमी के दिन बासुकी नाग की पूजा करने की मान्यता है. शास्त्रों के अनुसार नाग की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न रहते हैं. साथ ही लोगों को किसी प्रकार से सर्प दोष नहीं लगता है. लोगों का मानना है कि जो लोग नाग पंचमी के दिन सांप को दूध पिलाते हैं, उन्हें पूरे वर्ष तक सांपों से किसी प्रकार की हानि नहीं होती.

नाग पंचमी प्रत्येक वर्ष श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष में पंचमी के दिन मनाया जाता है. नाग पंचमी के दिन लोग स्नान करने के बाद एक कटोरी में दूध और धान का लावा लेकर भगवान शिव को समर्पित करने के बाद अपने खेतों में नाग देवता को समर्पित करते हैं. इसके अलावा कहीं-कहीं सांपों को भी दूध पिलाया जाता है.

गाय के गोबर से घर पर बनाया जाता है चित्र
लोग गाय के गोबर से अपने घरों पर नाग का चित्र बनाकर घेरते हैं, ताकि पूरे घर के अंदर सर्प दोष का कोई छाया न पड़े. लोगों का कहना है कि गाय का गोबर पूजा के लिए सर्वोपरि माना गया है. सनातन धर्म के अनुसार गाय में 56 कोटी देवता वास करते हैं. गाय के गोबर से ही गौरी, गणेश गजानन की अग्र पूजा करने का विधान है. सनातन धर्म में किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले गौरी गणेश की पूजा की जाती है. इसीलिए नाग पंचमी के दिन लोग अपने घरों को गाय के गोबर से चारों तरफ सर्प का आकार बनाकर घेर देते हैं, ताकि घर के अंदर एक साल तक सर्प दोष न हो.

नागपंचमी के दिन लोग अखाड़े में जाते हैं
लोग आंखड़ा पर जा कर अपना बल पौरूष दिखाते हैं. इसमें एक दूसरे के प्रतिद्वंदी भी अपने बल का प्रदर्शन करते हैं. किसी प्रकार का क्लेश न होने पर एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी होते हुए भी लोग नाग पंचमी के दिन अपने क्रोध पर काबू कर लेते हैं और आपसी भाईचारा बनाए रखते हैं. आंखड़ा से आने के बाद लोग हनुमान जी को लड्डू या बताशा चढ़ाकर प्रसाद के रूप में आपस में बांट लेते हैं.

नाथ बाबा के संतों ने बताया कि जिस प्रकार से नाग पंचमी के दिन हिंदू धर्म में सांपों को दूध पिलाया जाता है. इससे लोगों को यह सीख लेना चाहिए कि पुरानी रंजिश को भूलकर आपसी भाईचारा बनाए रखें, ताकि मोक्ष प्राप्त हो सके.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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