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बलिया: देवदूतों ने ढाई साल में 20 नवजातों को दी नई जिंदगी - बलिया समाचार

उत्तर प्रदेश के बलिया में पिछले ढाई साल में 20 नवजातों को नई जिंदगी देने का काम चाइल्ड लाइन और बाल कल्याण संस्था के सदस्यों ने किया है.

बातचीत करते हुएबाल कल्याण प्रशान्त पांडे समिति अध्यक्ष
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Published : Jul 28, 2019, 10:20 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: जिले में पिछले ढाई साल में 20 नवजातों को नई जिंदगी देने का काम देवदूतों ने किया है. ये देवदूत कोई और नही बल्कि चाइल्ड लाइन और बाल कल्याण संस्था के सदस्य है. शून्य से 18 वर्ष के शिशु और किशोर की सूचना पुलिस देती है, जिसकी जानकारी मिलते ही चाइल्डलाइन संस्था के सदस्य उन बच्चों की देखभाल करते हैं.

जानकारी देते हुए जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रशान्त पांडे

चाइल्डलाइन संस्था के सदस्यों का काम:

  • अभी तक इन देवदूतों ने 20 नवजातों को नई जिंदगी दी है.
  • चाइल्ड लाइन संस्था के सदस्य नवजात बच्चों और किशोरों को साथ लेकर जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत होते हैं.
  • जहां नवजात बच्चों से लेकर किशोर तक सभी को चिकित्सीय परीक्षण के लिए जिला अस्पताल ले जाया जाता है.
  • अस्पताल पहुंचने के बाद एक सप्ताह तक इन बच्चों का इलाज किया जाता है.
  • उसके बाद ऐसे नवजात बच्चों को इलाहाबाद और मऊ के शिशु गृह में भेजकर उनके भविष्य के संरक्षण की व्यवस्था की जाती है.
  • बलिया में करीब 20 नवजात शिशुओं को अलग-अलग स्थानों लावारिस अवस्था मे पाया जाता है.
  • सही इलाज के बाद उन्हें शिशु गृह में भेज दिया जाता है.

सबसे अधिक नवजात शिशु प्राप्त हुए हैं जो अक्सर अस्पताल के किसी कोने में पड़े पाए जाते हैं. जिन्हें न तो अस्पताल प्रशासन को जानकारी होती है न ही किसी अन्य को. सरकार हर स्तर पर लोगों को जागरुक कर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कि अभियान में जोड़ने का प्रयास कर रही है, लेकिन आज भी लोगों की अज्ञानता और अशिक्षा के कारण शहरों की अपेक्षा गांव में ऐसी समस्याएं अधिक सामने आ रही है जो हृदय विदारक और कष्ट दायक है.
-प्रशान्त पांडे, जिला बाल कल्याण समिति, अध्यक्ष

बलिया: जिले में पिछले ढाई साल में 20 नवजातों को नई जिंदगी देने का काम देवदूतों ने किया है. ये देवदूत कोई और नही बल्कि चाइल्ड लाइन और बाल कल्याण संस्था के सदस्य है. शून्य से 18 वर्ष के शिशु और किशोर की सूचना पुलिस देती है, जिसकी जानकारी मिलते ही चाइल्डलाइन संस्था के सदस्य उन बच्चों की देखभाल करते हैं.

जानकारी देते हुए जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रशान्त पांडे

चाइल्डलाइन संस्था के सदस्यों का काम:

  • अभी तक इन देवदूतों ने 20 नवजातों को नई जिंदगी दी है.
  • चाइल्ड लाइन संस्था के सदस्य नवजात बच्चों और किशोरों को साथ लेकर जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत होते हैं.
  • जहां नवजात बच्चों से लेकर किशोर तक सभी को चिकित्सीय परीक्षण के लिए जिला अस्पताल ले जाया जाता है.
  • अस्पताल पहुंचने के बाद एक सप्ताह तक इन बच्चों का इलाज किया जाता है.
  • उसके बाद ऐसे नवजात बच्चों को इलाहाबाद और मऊ के शिशु गृह में भेजकर उनके भविष्य के संरक्षण की व्यवस्था की जाती है.
  • बलिया में करीब 20 नवजात शिशुओं को अलग-अलग स्थानों लावारिस अवस्था मे पाया जाता है.
  • सही इलाज के बाद उन्हें शिशु गृह में भेज दिया जाता है.

सबसे अधिक नवजात शिशु प्राप्त हुए हैं जो अक्सर अस्पताल के किसी कोने में पड़े पाए जाते हैं. जिन्हें न तो अस्पताल प्रशासन को जानकारी होती है न ही किसी अन्य को. सरकार हर स्तर पर लोगों को जागरुक कर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कि अभियान में जोड़ने का प्रयास कर रही है, लेकिन आज भी लोगों की अज्ञानता और अशिक्षा के कारण शहरों की अपेक्षा गांव में ऐसी समस्याएं अधिक सामने आ रही है जो हृदय विदारक और कष्ट दायक है.
-प्रशान्त पांडे, जिला बाल कल्याण समिति, अध्यक्ष

Intro:बलिया
ईश्वर ने शिशुओं को अपना वो अवतार बनाकर संसार मे भेजा है जिससे प्रत्येक मनुष्य एक अलग सुख का अहसात करे लेकिन कलयुग में कुछ ऐसे भी मानव है जिन्हें समाज के सामने माता पिता कहलाने का कोई अधिकार नही है ये लोग लोक लाज के भय से अपने नवजात संतान को किसी भी हाल में छोड़ कर चले जाते है बलिया में पिछले ढाई साल में ऐसे ही 20 नवजातों को नई जिंदगी देने का काम देवदूतों ने किया है ये देवदूत कोई और नही बल्कि चाइल्ड लाइन और बाल कल्याण संस्था के सदस्य है।


Body:बलिया जिले में कुछ कलयुगी माता पिता भी है जो अपने नवजात बच्चे को समाज के लोकलाज के भय से कही भी छोड़ देते है जिनमे से कुछ गलत हाथों में पहुँच जाते तो कुछ पहुचे है अल्लाह के नेक बंदों के पास। ये बंदे कोई और नही बल्कि चाइल्ड लाइन संस्था और जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य हैं जनपद में किसी भी क्षेत्र में शून्य से 18 वर्ष के शिशु से लेकर किशोर तक मिलने की सूचना सबसे पहले पुलिस को होती है शिशु के मिलने की जानकारी पर मौके पर पहुंचकर पुलिस चाइल्डलाइन संस्था के सदस्यों को पूरे मामले से अवगत कराते हैं

चाइल्ड लाइन संस्था के सदस्य ऐसे नवजात बच्चों और किशोरों को अपने साथ लेकर जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत होते हैं जहां नवजात बच्चों से लेकर किशोर तक सभी को चिकित्सीय परीक्षण के लिए जिला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल ले जाया जाता है

अस्पताल पहुंचने के उपरांत एक सप्ताह तक इनका इलाज किया जाता है उसके बाद ऐसे नवजात बच्चों को इलाहाबाद और मऊ के शिशु गृह में भेजकर उनके भविष्य के संरक्षण की व्यवस्था की जाती है

बलिया जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रशांत पांडे ने बताया कि ढाई साल के उनके कार्यकाल में बलिया में करीब 20 नवजात शिशु को उन्होंने अलग-अलग स्थानों लावारिस अवस्था मे प्राप्त किया है जिनका समुचित चिकित्सा कराने के उपरांत उन्हें शिशु गृह में संरक्षित करने के लिए भेज दिया गया है


Conclusion:उन्होंने बताया कि सबसे अधिक नवजात शिशु प्राप्त हुए हैं जो अक्सर अस्पताल के किसी कोने में पड़े पाए जाते हैं जिन्हें ना तो अस्पताल प्रशासन को जानकारी होती है ना ही किसी अन्य को
उन्होंने बताया कि सरकार हर स्तर पर लोगों को जागरुक कर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कि अभियान में जोड़ने का प्रयास कर रही है लेकिन आज भी लोगों की अज्ञानता और अशिक्षा के कारण शहरों की अपेक्षा गांव में ऐसी समस्याएं अधिक सामने आ रही है जो हृदय विदारक और कष्ट दायक है।

बाइट--प्रशान्त पांडे--अध्यक्ष, जिला बाल कल्याण समिति, बलिया

प्रशान्त बनर्जी
बलिया
9455785050
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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