बलिया: जिले में पिछले ढाई साल में 20 नवजातों को नई जिंदगी देने का काम देवदूतों ने किया है. ये देवदूत कोई और नही बल्कि चाइल्ड लाइन और बाल कल्याण संस्था के सदस्य है. शून्य से 18 वर्ष के शिशु और किशोर की सूचना पुलिस देती है, जिसकी जानकारी मिलते ही चाइल्डलाइन संस्था के सदस्य उन बच्चों की देखभाल करते हैं.
चाइल्डलाइन संस्था के सदस्यों का काम:
- अभी तक इन देवदूतों ने 20 नवजातों को नई जिंदगी दी है.
- चाइल्ड लाइन संस्था के सदस्य नवजात बच्चों और किशोरों को साथ लेकर जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत होते हैं.
- जहां नवजात बच्चों से लेकर किशोर तक सभी को चिकित्सीय परीक्षण के लिए जिला अस्पताल ले जाया जाता है.
- अस्पताल पहुंचने के बाद एक सप्ताह तक इन बच्चों का इलाज किया जाता है.
- उसके बाद ऐसे नवजात बच्चों को इलाहाबाद और मऊ के शिशु गृह में भेजकर उनके भविष्य के संरक्षण की व्यवस्था की जाती है.
- बलिया में करीब 20 नवजात शिशुओं को अलग-अलग स्थानों लावारिस अवस्था मे पाया जाता है.
- सही इलाज के बाद उन्हें शिशु गृह में भेज दिया जाता है.
सबसे अधिक नवजात शिशु प्राप्त हुए हैं जो अक्सर अस्पताल के किसी कोने में पड़े पाए जाते हैं. जिन्हें न तो अस्पताल प्रशासन को जानकारी होती है न ही किसी अन्य को. सरकार हर स्तर पर लोगों को जागरुक कर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कि अभियान में जोड़ने का प्रयास कर रही है, लेकिन आज भी लोगों की अज्ञानता और अशिक्षा के कारण शहरों की अपेक्षा गांव में ऐसी समस्याएं अधिक सामने आ रही है जो हृदय विदारक और कष्ट दायक है.
-प्रशान्त पांडे, जिला बाल कल्याण समिति, अध्यक्ष