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बलियाः बचपन के लेखनी शौक ने बना दिया गीतकार, मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित - bhikhaari thakur bhojapuri samman

उत्तर प्रदेश के बलिया में बेरुआरबारी के पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुखपुरा में सहायक अध्यापक हैं बृजमोहन प्रसाद ‘अनाड़ी’. 4 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इनको ‘भीखरी ठाकुर भोजपुरी सम्मान’ से सम्मानित किया. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने अपने शुरूआती दिनों की बातें बताई.

शिक्षक, साहित्यकार बृजमोहन प्रसाद ‘अनाड़ी’.
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Published : Aug 8, 2019, 5:52 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलियाः एक शिक्षक जो समाज को एक नई दिशा और दशा देता है. एक शिक्षक जिसके कंधों पर देश की नई पौध तैयार करने की जिम्मेदारी होती है. ऐसे शिक्षकों में से एक है बृज मोहन प्रसाद ‘अनाड़ी’ जो न केवल पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर रहे हैं बल्कि भोजपुरी गीतों और रचनाओं के माध्यम से इस मीठी सरस भाषा को एक अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं.

साहित्याकार, गीतकार, शिक्षक बृजमोहन प्रसाद ‘अनाड़ी’ का इंटरव्यू.

बचपन से ही लिखने का था शौक
बचपन से ही लिखने के शौकीन बृज मोहन प्रसाद अपनी रचनाओं को लोगों से छुपाकर लिखते थे. ताकि कोई इन रचनाओं को लेकर उनका उपहास ना करें. लेकिन उस दौरान में कुछ ऐसे भी लोग इनकी संगत में थे, जिन्होंने इनकी इस शैली को पहचान लिया. धीरे-धीरे इन लोगों ने इनकी रचनाओं को कविता और गीत के माध्यम से लोगों के बीच पहुंचाना शुरू किया.

कई सम्मानों से नवाजे गये हैं ‘अनाड़ी’

4 अगस्त को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान’ से सम्मानित किया. साथ ही ‘हिंदुस्तान अकादमी प्रयागराज’ ने प्रदेश के 10 साहित्यकारों को उनके उत्कृष्ट रचनाओं के लिए चयन किया गया था. जिनमें बृजमोहन प्रसाद को उनकी रचना ‘गुलरी के फूल’ के लिए यह सम्मान प्राप्त हुआ है.


भोजपुरी में रची हैं कई रचनाएं
बृज मोहन प्रसाद अनाड़ी की रचनाओं में गीत ग़ज़ल उपन्यास महाकाव्य आदि सभी विधाओं का समावेश है. उनकी अधिकांश रचनाएं भोजपुरी में है. जिनमें से ‘जिगनी के थाती’, ‘आसरा का दियाना’, ‘राजा की राजकली’, ‘अखिया के लोर’, ‘सीतही में मोती’ मुख्य हैं. इन्होंने हिंदी में भी कई सारी रचनाएं की हैं.

बलियाः एक शिक्षक जो समाज को एक नई दिशा और दशा देता है. एक शिक्षक जिसके कंधों पर देश की नई पौध तैयार करने की जिम्मेदारी होती है. ऐसे शिक्षकों में से एक है बृज मोहन प्रसाद ‘अनाड़ी’ जो न केवल पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर रहे हैं बल्कि भोजपुरी गीतों और रचनाओं के माध्यम से इस मीठी सरस भाषा को एक अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं.

साहित्याकार, गीतकार, शिक्षक बृजमोहन प्रसाद ‘अनाड़ी’ का इंटरव्यू.

बचपन से ही लिखने का था शौक
बचपन से ही लिखने के शौकीन बृज मोहन प्रसाद अपनी रचनाओं को लोगों से छुपाकर लिखते थे. ताकि कोई इन रचनाओं को लेकर उनका उपहास ना करें. लेकिन उस दौरान में कुछ ऐसे भी लोग इनकी संगत में थे, जिन्होंने इनकी इस शैली को पहचान लिया. धीरे-धीरे इन लोगों ने इनकी रचनाओं को कविता और गीत के माध्यम से लोगों के बीच पहुंचाना शुरू किया.

कई सम्मानों से नवाजे गये हैं ‘अनाड़ी’

4 अगस्त को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान’ से सम्मानित किया. साथ ही ‘हिंदुस्तान अकादमी प्रयागराज’ ने प्रदेश के 10 साहित्यकारों को उनके उत्कृष्ट रचनाओं के लिए चयन किया गया था. जिनमें बृजमोहन प्रसाद को उनकी रचना ‘गुलरी के फूल’ के लिए यह सम्मान प्राप्त हुआ है.


भोजपुरी में रची हैं कई रचनाएं
बृज मोहन प्रसाद अनाड़ी की रचनाओं में गीत ग़ज़ल उपन्यास महाकाव्य आदि सभी विधाओं का समावेश है. उनकी अधिकांश रचनाएं भोजपुरी में है. जिनमें से ‘जिगनी के थाती’, ‘आसरा का दियाना’, ‘राजा की राजकली’, ‘अखिया के लोर’, ‘सीतही में मोती’ मुख्य हैं. इन्होंने हिंदी में भी कई सारी रचनाएं की हैं.

Intro:
बलिया
पूर्वांचल की राजनैतिक राजधानी बलिया के बेरुआरबारी शिक्षा क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुखपुरा के सहायक अध्यापक को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान से सम्मानित किया हिंदुस्तान अकैडमी प्रयागराज द्वारा प्रदेश के 10 साहित्यकारों को उनके उत्कृष्ट रचनाओं के लिए चयन किया गया था जिनमें बृजमोहन प्रसाद अनाड़ी को उनकी रचना गुलरी के फूल के लिए यह सम्मान प्राप्त हुआ बलिया में ईटीवी भारत से बातचीत करने के दौरान उन्होंने लेखन की शुरुआत से लेकर रचनाओं को गीतों में पिरोने की बातों को साझा किया


Body:एक शिक्षक जो समाज को एक नई दिशा और दशा देता है एक शिक्षक जिस के कंधों पर देश की नई पौध तैयार करने की जिम्मेदारी होती है ऐसे शिक्षकों में से एक है बृज मोहन प्रसाद अनाड़ी जो न केवल पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर रहे हैं बल्कि भोजपुरी गीतों और रचनाओं के माध्यम से इस मीठी सरस भाषा को एक अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है

बचपन से ही लिखने के शौकीन बृज मोहन प्रसाद अपनी रचनाओं को लोगों से छुपाकर लिखते थे ताकि कोई इन रचनाओं को लेकर उनका उपहास ना करें लेकिन उस दौरान कुछ ऐसे भी लोग इनकी संगत में थे जिन्होंने इनकी इस शैली को पहचान कर रचनाओं को कविता और गीत के माध्यम से लोगों के बीच पहुंचाना शुरू किया और इस प्रकार एक मध्यमवर्गीय परिवार के व्यक्ति ने भोजपुरी लेखन और समाज की कुरीतियों पर कुठाराघात करते हुए रचनाएं करना आरंभ कर दिया

बृज मोहन प्रसाद अनाड़ी की रचनाओं में गीत ग़ज़ल उपन्यास महाकाव्य आदि सभी विधाओं का समावेश है उनकी अधिकांश रचनाएं भोजपुरी में है जिनमें से जिगनी के थाती आसरा का दियाना राजा की राजकली अखिया के लोर सीतही में मोती और गुलरी के फूल मुख्य है

अनाड़ी जी की गुलरी के फूल गीत रचना के लिए ही उन्हें हिंदुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज द्वारा प्रदेश के 10 गीतकारों में स्थान मिला है और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 4 अगस्त को लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास में भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान से इन्हें नवाजा है


Conclusion:बृजमोहन प्रसाद अनाड़ी ने कहा कि उनकी रचनाएं भोजपुरी भाषा को अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है लेकिन पिछले 2 सालों के दौरान उन्होंने हिंदी में भी अपनी गीतों को रचनाओं के माला में पिरोया है उनका कहना है कि कठिन से कठिन कार्य भी भोजपुरी जैसी सरल भाषा के द्वारा आसानी से पूरा कर लिया जा सकता है


बाइट--one 2 one--बृजमोहन प्रसाद अनाड़ी

प्रशान्त बनर्जी
बलिया
9455785050
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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