बलियाः एक शिक्षक जो समाज को एक नई दिशा और दशा देता है. एक शिक्षक जिसके कंधों पर देश की नई पौध तैयार करने की जिम्मेदारी होती है. ऐसे शिक्षकों में से एक है बृज मोहन प्रसाद ‘अनाड़ी’ जो न केवल पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर रहे हैं बल्कि भोजपुरी गीतों और रचनाओं के माध्यम से इस मीठी सरस भाषा को एक अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं.
बचपन से ही लिखने का था शौक
बचपन से ही लिखने के शौकीन बृज मोहन प्रसाद अपनी रचनाओं को लोगों से छुपाकर लिखते थे. ताकि कोई इन रचनाओं को लेकर उनका उपहास ना करें. लेकिन उस दौरान में कुछ ऐसे भी लोग इनकी संगत में थे, जिन्होंने इनकी इस शैली को पहचान लिया. धीरे-धीरे इन लोगों ने इनकी रचनाओं को कविता और गीत के माध्यम से लोगों के बीच पहुंचाना शुरू किया.
कई सम्मानों से नवाजे गये हैं ‘अनाड़ी’
4 अगस्त को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान’ से सम्मानित किया. साथ ही ‘हिंदुस्तान अकादमी प्रयागराज’ ने प्रदेश के 10 साहित्यकारों को उनके उत्कृष्ट रचनाओं के लिए चयन किया गया था. जिनमें बृजमोहन प्रसाद को उनकी रचना ‘गुलरी के फूल’ के लिए यह सम्मान प्राप्त हुआ है.
भोजपुरी में रची हैं कई रचनाएं
बृज मोहन प्रसाद अनाड़ी की रचनाओं में गीत ग़ज़ल उपन्यास महाकाव्य आदि सभी विधाओं का समावेश है. उनकी अधिकांश रचनाएं भोजपुरी में है. जिनमें से ‘जिगनी के थाती’, ‘आसरा का दियाना’, ‘राजा की राजकली’, ‘अखिया के लोर’, ‘सीतही में मोती’ मुख्य हैं. इन्होंने हिंदी में भी कई सारी रचनाएं की हैं.