बलिया: बिहार से सटे पूर्वांचल के जिलों में छठ पूजा को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. नहाय-खाय के साथ ही 4 दिन तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत गुरुवार से हो गई. पहले दिन जहां महिलाएं घर की साफ सफाई करती हैं. वहीं खाने में लौकी और चने की दाल का सेवन करती हैं. लौकी खाने को लेकर महिलाओं ने इसे शुद्ध सब्जी बताया. वहीं डॉक्टरों ने लौकी में पानी को रोके रहने की क्षमता होने की वजह से इसे इस कठिन व्रत में खाने की बात बताई.
80 रुपये किलो बिकी लौकी
कुछ दिनों पहले देश में प्याज बढ़ते दाम से लोगों के आंसू निकल रहे थे. वहीं अब छठ पूजा को लेकर बाजार में सब्जियों के दाम आसमान में पहुंच गए. 4 दिन तक चलने वाले इस छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है, जिसमें लौकी की सब्जी खाई जाती है. छठ पर्व को देखते हुए लौकी के दाम भी आसमान छूने लगे. त्योहार से पहले एक लौकी की कीमत 20 से 25 रुपये थी जो छठ पर्व में 70 से 80 रुपये प्रति लौकी हो गई है.
लौकी शुद्ध और सात्विक होता है. इसके खाने से शरीर ठंडा रहता है और मन को भी शांति मिलती है.
-चंदा देवी, स्थानीय महिला
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छठ पर्व का व्रत काफी कठिन होता है. महिलाएं इस व्रत को अपने परिवार के सुख समृद्धि और बच्चों के उन्नति के लिए रखती है. व्रत से एक या दो दिन पहले यदि लौकी का सेवन करते हैं तो जो महिलाएं व्रत रहती हैं, उनको काफी फायदा होता है क्योंकि लौकी के अंदर वॉटर होल्डिंग कैपेसिटी काफी ज्यादा मात्रा में होती है, जो शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता. पानी की मात्रा शरीर में कम नहीं होने से व्रत रहने वाली महिलाओं को कमजोरी भी महसूस नहीं होगी. यही कारण है कि छठ पर्व में पहले दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी खाई जाती है.
-रितेश सोनी, डॉक्टर, जिला अस्पताल बलिया