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बहराइचः हरी खाद से सुधरेगी किसानों की दशा, बढ़ेगी पैदावार

उत्तर प्रदेश के बहराइच कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख डॉ.एमपी सिंह ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. उन्होंने किसानों को रासायनिक खाद का कम प्रयोग करने की सलाह दी.

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Published : Jun 5, 2020, 12:36 PM IST

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हरी खाद के प्रयोग से फसलों की बढ़ेगी पैदावार

बहराइचः जनपद में कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डॉ.एमपी सिंह से ईटीवी भारत ने किसानों की तमाम समस्याओं पर बातचीत की. डॉ.एमपी सिंह ने सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को रासायनिक खाद का कम प्रयोग करने की सलाह दी. कृषि वैज्ञानिक डॉ.एमपी सिंह बताते हैं कि रासायनिक खाद का प्रयोग बहुत ही हानिकारक है.

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हरी खाद के प्रयोग से फसलों की बढ़ेगी पैदावार

हरी खाद के प्रयोग पर जोर

डॉ. एमपी सिंह ने कहा कि हरी खाद कम लागत में अधिक अनाज पैदा करने में सक्षम होती है. रसायनिक खादों के अधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है. मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए किसान हरी खाद बनाने वाली फसलें उगाएं.

जैविक खाद है कम खर्चीली

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि किसानों द्वारा जैविक या हरी खाद का प्रयोग करने से फसलें कम लागत में तैयार हो जाती हैं. किसानों को खेत में ढैंचा, सनई आदि उगाना चाहिए.

डॉ.एमपी सिंह बताते हैं कि ढैंचा, सनई आदि की जड़ों में राइजोबियम जीवाणु पाया जाता है. जो वायुमंडल की नाइट्रोजन का अधिक अवशोधन करके नाइट्रोजन स्थिरीकरण का कार्य करता है. यह खेत में उगाई जाने वाली अगली फसलों के लिए लाभकारी होता है.

इसे पढ़ेः बहराइच: परिवहन विभाग पर मौरंग और बालू की ओवरलोडिंग के लगाए आरोप

बहराइचः जनपद में कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डॉ.एमपी सिंह से ईटीवी भारत ने किसानों की तमाम समस्याओं पर बातचीत की. डॉ.एमपी सिंह ने सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को रासायनिक खाद का कम प्रयोग करने की सलाह दी. कृषि वैज्ञानिक डॉ.एमपी सिंह बताते हैं कि रासायनिक खाद का प्रयोग बहुत ही हानिकारक है.

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हरी खाद के प्रयोग से फसलों की बढ़ेगी पैदावार

हरी खाद के प्रयोग पर जोर

डॉ. एमपी सिंह ने कहा कि हरी खाद कम लागत में अधिक अनाज पैदा करने में सक्षम होती है. रसायनिक खादों के अधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है. मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए किसान हरी खाद बनाने वाली फसलें उगाएं.

जैविक खाद है कम खर्चीली

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि किसानों द्वारा जैविक या हरी खाद का प्रयोग करने से फसलें कम लागत में तैयार हो जाती हैं. किसानों को खेत में ढैंचा, सनई आदि उगाना चाहिए.

डॉ.एमपी सिंह बताते हैं कि ढैंचा, सनई आदि की जड़ों में राइजोबियम जीवाणु पाया जाता है. जो वायुमंडल की नाइट्रोजन का अधिक अवशोधन करके नाइट्रोजन स्थिरीकरण का कार्य करता है. यह खेत में उगाई जाने वाली अगली फसलों के लिए लाभकारी होता है.

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